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Diwali 2023: हर साल दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति खरीदना होता है जरूरी,जानें वज़ह


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नई दिल्लीः दिवाली पूजा: दीपावली के त्यौहार में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। दीपावली इस बार 12 नवंबर 2023 के दिन रविवार को है, लेकिन इस पर्व का सिलसिला 10 नंवबर 2023 दिन शुक्रवार से ही शुरू हो जाएगा। धनतेरस के दिन से ही दीपावली पर्व की शुरुआत हो जाती है। दीपावली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा एक साथ की जाती है।अगर आप दिवाली पर मां लक्ष्मी की नई मूर्ति खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले यह जान लें कि हर दिवाली पर मां लक्ष्मी की नई मूर्ति खरीदना क्यों जरूरी है। इसके पीछे क्या मान्यता है? दिवाली पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापना को लेकर देशभर में कई तरह की मान्यताएं हैं। दिवाली पर ज्यादातर लोग अपने घरों में मूर्तियां स्थापित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में धातु एवं मिट्टी की मूर्तियों का ही प्रचलन था। धातु की मूर्तियों की अपेक्षा मिट्टी की मूर्तियों की अधिक पूजा की जाती थी। जो हर साल विघटित और विकृत हो जाता है। इसलिए हर साल एक नई प्रतिमा स्थापित की जाती है।

दिवाली पर नई मूर्तियां स्थापित करना शुभ माना जाता

मान्यताओं के अनुसार दिवाली पर नई मूर्ति लाने से आध्यात्मिक विचार भी आता है, क्योंकि गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि नई मूर्ति लाने से घर में नई ऊर्जा आती है। इसलिए दिवाली पर नई मूर्तियां स्थापित करना शुभ माना जाता है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि केवल मिट्टी की मूर्तियां बदलने की परंपरा है जबकि साल भर तिजोरी में रखी सोने या चांदी की मूर्तियां कभी नहीं बदली जाती हैं। दिवाली के दिन ही इन्हें पूजा स्थल पर लाकर पूजा की जाती है। बाकी समय यह तिजोरी में ही रहता है।

दीपावली की संध्या में मां लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा की जाती है

मां लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा के लिए हम सभी उनकी मूर्ति खरीदते हैं और दीपावली वाले दिन उनकी स्थापना घर में करते हैं। उसके बाद दीपावली की संध्या में उनकी पूजा की जाती है। लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति खरीदने से पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं, वो कौन सी बाते हैं जिन्हें हमको मां लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्ति खरीदने से पहले ध्यान देना चाहिए।

इन बातों पर विशेष रखे ध्यान

  • लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ती यदि आप लेने जाते हैं, तो पहले देख लें दोनों मूर्तियां आपस में एक न हों। दोनों की मूर्तियां अलग ही होनी चाहिए। क्योंकि मां लक्ष्मी विष्णु जी की अर्धांगनी है और भगवान गणेश उनके दत्तक पुत्र है। मां लक्ष्मी के बाईं तरफ ही गणेश जी को विराजित करना चाहिए।
  • देवी लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति का चयन न करें जिसमें देवी लक्ष्मी उल्लू पर बैठी हुई हों। ऐसी मूर्ति काली लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है।
  • देवी लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति खरीदनी चाहिए जिसमें वह कमल के फूल पर बैठी हुई हों और हाथ वरमुद्रा में हों और धन की वर्षा कर रही हों।
  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति कभी भी खड़ी अवस्था में न खरीदें। माना जाता है कि ऐसी मूर्ति देवी लक्ष्मी की प्रस्थान मुद्रा में बनाई गई है।
  • माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसके साथ भगवान गणेश की मूर्ति भी होनी चाहिए। क्योंकि भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय हैं।
  • भगवान गणेश की मूर्ति यदि आप पूजा के लिए लेते हैं, तो उसमें उनकी सूंड़ बाईं तरफ की ओर होनी चाहिए और भगवान गणेश की मूर्ति बैठी मुद्रा में ही खरीदें।
  • पूजा में मिट्टी से बनी मूर्ती ज्यादातर लोग घर ले कर आते हैं। इसके अलावा आप अष्टधातु, सोने और चांदी की भी मूर्ति पूजा के लिए घर ला सकते हैं।
  • ध्यान रहे पूजा के बाद भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ती को विसर्जित न करें, क्योंकि मां लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्रि देवी हैं और भगवान गणेश विघ्न विनाशक हैं।
  • यदि दीपावली की पूजा के लिए आप भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति खरीद कर घर लाते हैं। तो मां लक्ष्मी की लाल रंग की मूर्ति खरीदें और भगवान गणेश की पीले रंग की मूर्ति लें। यह दोनों ही रंग शुभ माना जाता है।
  • विशेष रूप से मां लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्ति धनतेरस के दिन खरीदनी चाहिए और दीपावली के दिन इन दोनों की प्रतिमाओं को पूजा के लिए घर में स्थापित कर लेना चाहिए।

धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति खरीदे

दिवाली से पहले धनतेरस पर दिवाली पूजन के लिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और गणेशजी को घर लाना बहुत शुभ माना जाता है। दिवाली पर मूर्ति पूजा के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां एक साथ न खरीदें, बल्कि भगवान लक्ष्मी और भगवान गणेश की अलग-अलग मूर्तियां खरीदें।

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