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तालिबान का अगला निशाना पाकिस्तान और इसके परमाणु हथियार?


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काबुल – अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़त के बाद से इस बात की चर्चा शुरू होने लगी है कि अब संगठन का अगला निशाना पाकिस्तान हो सकता है। इस बात की भी चर्चा है कि तालिबान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को हथिया सकता है। इसके अलावा, अफगानिस्तान में अब पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भी चर्चा हो रही है। ऐसे में पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने एक भारतीय टीवी चैनल से खास बातचीत की है और इस मामले पर अपनी राय दी है।

दरअसल जब हामिद मीर से सवाल किया गया कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से पाकिस्तान में जश्न की तस्वीरें शामिल आ रही हैं। नेताओं द्वारा उन्हें बधाई दी जा रही है। इस पर हामिद मीर ने कहा, ‘पाकिस्तान में दो तरह के लोग हैं। एक वो जो धार्मिक हैं और दूसरे वो लोग जो बहुमत में है और तालिबान के खिलाफ हैं।’ उन्होंने कहा, ‘तालिबान को बधाई देने वालों में धार्मिक नेता शामिल हैं। जबकि पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों और पाकिस्तानी आवामी की बड़ी संख्या इसके खिलाफ है।’

हामिद मीर ने कहा- पाकिस्तान ने दोहा शांति समझौते में मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। मगर तालिबान ने इसका उल्लंघन करते हुए कूटनीतिक रूप से दुनिया को हराया है। उन्होंने कहा सभी को मालूम है कि पाकिस्तान के साथ तालिबान बातचीत करता है। मगर फिर भी पाकिस्तान में लोग परेशान हैं। इसके पीछे की वजह नॉन पश्तून नेताओं को इस्लामाबाद में मौजूद होना है। वे पाकिस्तान पर दबाव बना रहे हैं। पाकिस्तान पर फिलहाल अफगान शरणार्थियों का दबाव है। अशरफ गनी का देश छोड़कर जाना भारत, पाकिस्तान और अमेरिकी के लिए नाकामी है। जहां पाकिस्तान ने उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया।

वहीं भारत के साथ उनके अच्छे रिश्ते थे। उन्होंने कहा- वर्तमान हालात में पाकिस्तान को अशरफ गनी की जरूरत है। पाकिस्तान की जेल में नौ साल गुजारने वाले मुल्ला अब्दुल गनी पाकिस्तान के बेहतर रिश्ते चाहते हैं। मगर फिर भी पाकिस्तान का तालिबान पर प्रभाव कम होगा। ‘भारत, इजरायल और अमेरिका तक को नहीं मालूम है कि पाकिस्तान के परमाणु अड्डे कहां हैं। ऐसे में ये सोचना पूरी तरह से गलत होगा कि तालिबान इसका पता लगा सकता है। पाकिस्तान के हथियार पूरी तरह महफूज हैं।

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