सिंधु से हिंदू और फिर इंडिया बनने की कहानी,कब मिली India शब्द को मंजूरी-जानें
नई दिल्लीः विपक्षी पार्टियों के नए गठबंधन को इंडिया नाम दिया गया है। इस नाम को राजनीतिक विशलेषक एक बड़ा दांव मान रहे हैं क्योंकि देश का नाम होने के चलते भाजपा के लिए इसका विरोध करना मुश्किल होगा। इस बीच एक सवाल ये भी उठने लगा कि आखिर देश का नाम इंडिया कैसे पड़ा। साथ ही देश को अलग-अलग नामों से क्यों जाना जाता है… कहते हैं कि देश का नाम भरत राजवंश पर पड़ा था. महान राजा भरत जो कि राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे थे, उन्हें इस राजवंश को शुरू करने वाला कहा जाता है. कुछ ऐसा भी मानते हैं कि इंडिया शब्द सिंधु घाटी सभ्यता से भी आया है.
भारत के बाद देश का नाम हिन्दुस्तान पड़ा। इस नाम के पीछे भी एक बड़ी रौचक कहानी है। दरअसल, तुर्की और ईरान के लोग जब भारत में दाखिल हुए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया था। ये लोग स को ह बोला करते थे, इसलिए उन्होंने सिंधु को हिंदू कहना शुरू कर दिया और यहीं से हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान कहना शुरू हो गया। कुछ ऐसा भी मानते हैं कि इंडिया शब्द सिंधु घाटी सभ्यता से भी आया है. इसे अंग्रेजी में इंडस वैली के तौर पर जानते थे. कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इंडस शब्द को ही ठीक करके इंडिया बना और फिर इसे इंडिया कहा जाने लगा. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 400 साल पहले 1600 में हुई थी। कंपनी एक व्यापारिक कंपनी थी, लेकिन उसके पास ढाई लाख सैनिकों की एक फौज थी। जब भी कंपनी को व्यापार से फायदा नहीं होता, वो उस जगह सेना की मदद से उसे संभव बना देती। इसी रणनीति के तहत कंपनी की सेना ने केवल सालों में ही भारत की आधी धरती पर कब्जा कर लिया था।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि भारत के लिए इंडिया शब्द की प्रेरणा ग्रीक से लैटिन भाषा में बदले शब्द इंडिका से मिली है. अंग्रेजों ने सबसे पहले इंडिया की जगह इंडी Indie का प्रयोग किया था. उन्होंने शुरुआती दिनों में फ्रेंच भाषा के प्रभाव के चलते ऐसा किया था. लेकिन 17वीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने इंडिया को स्वीकार कर लिया और फिर इस नाम को जबरन लागू कर दिया. अंग्रेज धीरे-धीरे भारत पर कब्जा करते जा रहे थे और नाम बदलते जा रहे थे. उन्होंने यहां पर कॉलोनियल दौर में इंडिया शब्द का प्रयोग जमकर किया. इस वजह से कुछ लोग आज तक मानते हैं कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है.देश का सबसे पुराना नाम आर्यवर्त था। इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों से पहले यहां इंसान नहीं रहते थे और आर्यों ने ही उनको बसाया, जिसके बाद इसे आर्यवर्त नाम दे दिया गया।