पीएम मोदी ने ASEAN शिखर वार्ता में दिया बड़ा बयान,PM मोदी ने ड्रैगन को दी चेतावनी
नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में युद्धों से घिरी दुनिया और विश्व में फैले व्यापक तनाव के मद्देनजर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भारत-आसियान के बीच समग्र साझेदारी को मजबूत करने के लिए आज यहां 10 सूत्री योजना की घोषणा भी की। पीएम मोदी ने कहा कि क्षेत्रीय समूह के साथ संबंध एशिया के भविष्य को दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि संघर्षों और तनावों से गुजर रही दुनिया के बीच भारत-आसियान की साझेदारी दुनिया को एक नई दिशा देगी।
दक्षिण चीन सागर की शांति पूरे इंडो पैसिफिक क्षेत्र के हित में’
19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है. ASEAN भारत के इंडो पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है. भारत की इंडो पैसिफिक महासागरों की पहल और इंडो पैसिफिक पर आसियान आउटलुक के बीच गहरी समानताएं हैं. एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम आधारित इंडो पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो पैसिफिक क्षेत्र के हित में है.”
प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान शिखर सम्मेलन को बताया सफल
पीएम मोदी ने एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारत-आसियान शिखर सम्मेलन फलदायी रहा। हमने इस बारे में चर्चा की कि भारत तथा आसियान के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी को और कैसे मजबूत किया जाए। हम व्यापार संबंधों, सांस्कृतिक संबंधों और प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी तथा ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग को गहरा बनाने की आशा करते हैं।’’भारत-आसियान साझेदारी को और मजबूत करने के लिए 10 सूत्री योजना में वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाना, नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्तियों की संख्या को दोगुना करना और भारत में कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नए अनुदान प्रदान करना शामिल है। प्रधानमंत्री ने ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के एक दशक पूरा होने पर अनेक जन केंद्रित गतिविधियों की घोषणा की जिनमें युवा सम्मेलन, स्टार्टअप उत्सव, ‘हैकाथन’, संगीत उत्सव, आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक और दिल्ली संवाद शामिल हैं।
ASEAN के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम म्यांमार की स्थिति पर ASEAN के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं. हम पांच सूत्री सहमति का भी समर्थन करते हैं. साथ ही, हमारा मानना है कि मानवीय सहायता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है और लोकतंत्र की बहाली के लिए भी उचित कदम उठाए जाने चाहिए. हमारा मानना है कि इसके लिए म्यांमार को शामिल किया जाना चाहिए, अलग थलग नहीं किया जाना चाहिए. पड़ोसी देश के रूप में भारत अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा.”