जानिए सेबी के नए इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट के बारे में
नई दिल्ली – बाजार नियामक सेबी (Sebi) के निदेशक मंडल ने उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए एक नयी परिसंपत्ति श्रेणी शुरू करने के प्रस्ताव पर सोमवार को मुहर लगा दी।नयी परिसंपत्ति की इस श्रेणी में प्रति निवेशक न्यूनतम 10 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है।नया निवेश विकल्प आने से परिसंपत्ति निर्माण में लचीलापन लाया जा सकेगा और म्यूचुअल फंड एवं पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
सेबी ने अपनी बोर्ड बैठक में सेबी (म्यूचुअल फंड्स) रेगुलेशंस 1996 के तहत म्यूचुअल फंड फ्रेमवर्क में नए इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट के लॉन्च किए जाने को मंजूरी दे दी है. नया इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट म्यूचुअल फंड और पीएमएस के बीच का प्रोडक्ट होगा. नया इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट निवेशकों को ज्यादा रिस्क वाला निवेश का विकल्प मुहैया कराएगा जिसे बेहतर तरीके से रेगुलेट किया जाएगा और बाजार के बेहतर प्रोफेशनल्स इस नए एसेट क्लास को मैनेज करेंगे.म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेशक कम से कम 500 रुपये के निवेश के साथ शुरुआत कर सकते हैं. जबकि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) में निवेश की न्यूनतम लिमिट 50 लाख रुपये है. नए इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट या एसेट क्लास में निवेशकों को एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी में कम से कम 10 लाख रुपये तक निवेश करना होगा.
सेबी के निदेशक मंडल की बैठक में कुल 17 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें भेदिया कारोबार नियमों में संशोधन और निवेश सलाहकारों एवं शोध विश्लेषकों के लिए पात्रता मानदंड और अनुपालन शर्तों में रियायत देना शामिल है।अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद निदेशक मंडल की यह पहली बैठक थी।हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति धवल बुच पर अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी के नियंत्रण वाले विदेशी कोष में निवेश करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस कोष का कथित तौर पर इस्तेमाल पैसे की हेराफेरी और शेयरों की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया गया था।
नए इंवेस्टमेंट प्रोडेक्ट में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए किए गए हैं. जैसे इसमें कोई लेवरेज की इजाजत नहीं होगी. इसके अलावा म्युचुअल फंड्स को जो इजाजत मिली हुई है और हेजिंग और रीबैलेंसिंग के लिए 25 फीसदी तक एसेट अंडर मैनेजमेंट का 25 फीसदी तक डेरिवेटिव्स में एक्सपोजर की इजाजत है इनके अलावा नए एसेट क्लास में अनलिस्टेड कंपनियों और अनरेटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश की इजाजत नहीं होगी.