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क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन?क्या किसानों के खाते में पैसा भी जाएगा?

नई दिल्ली – भारत सरकार किसानों के लिए समय-समय पर योजनाएं लाती रहती है और उनके हित में काम करती हैं. इसी उद्देश्य से किसानों की इनकम को बढ़ाने के लिए सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का खाका खींच चुकी है. यह योजना तैयार है और सरकार ने घोषणा भी कर दी है. इस मिशन के तहत कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए 2,817 करोड़ रुपये की डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी गई है. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन भारत सरकार की एक योजना है, जिसका मकसद कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है.

गुरुवार को आयोजित हुई बैठक में किसान सभा से जुड़े पदाधिकारियों ने कहा कि 1400 करोड़ रुपए वाले डिजिटल कृषि मिशन से किसानों का कोई सीधा हित नहीं है.संघ के अध्यक्ष अशोक धवले कहते हैं कि भारतीय किसानों का बड़ा हिस्सा छोटे, सीमांत, भूमिहीन और बटाईदार किसानो का है.उनका आरोप है कि यदि इन तबकों को बड़े व्यवसाय के नेतृत्व वाले डिजिटलीकरण में शामिल किया जाता है तो निगम पूरे कृषि उत्पादन पर हावी हो सकते हैं। ऐसी दशाओं में किसानों की आजीविका पर दुष्प्रभाव पड़ना तय है.

कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना सरकार की अन्य ई-गवर्नेंस इनिशिएटिव्स (आधार, डिजिलॉकर, ई-साइन और यूपीआई जैसे डिजिटल सॉल्यूशन्स) की तरह ही है. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत तीन प्रमुख घटक है: एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (Krishi DSS), और मिट्टी प्रोफाइल मैप्स. इनमें से प्रत्येक घटक किसानों को विभिन्न सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करेगा. इस मिशन का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा डिजिटल जनरल क्रॉप एस्टिमेशन सर्वे (DGCES) है, जो कृषि उत्पादन के सटीक अनुमान देगा.

किसान-केंद्रित DPI एग्रीस्टैक में तीन बुनियादी कृषि क्षेत्र रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं. किसान रजिस्ट्री, Geo-referenced Village Maps और फसल सवां रजिस्ट्री Crop Sown Registry. ये सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों बनाए और मेंटेन किए जाएंगे.
किसान रजिस्ट्री: किसानों को आधार की तरह एक डिजिटल पहचान (‘किसान ID’) दी जाएगी, जो जमीन, पशुधन की स्वामित्व, बोई गई फसलों, जनसंख्या विवरण, परिवार की जानकारी, योजनाओं और लाभों की जानकारी आदि के रिकॉर्ड से गतिशील रूप से जुड़ी होगी.
एक अन्य स्त्रोत की मानें तो किसान ID के निर्माण के लिए पायलट परियोजनाएं छह जिलों, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), बीड (महाराष्ट्र), यमुनानगर (हरियाणा), फतेहगढ़ साहिब (पंजाब), और वीरुधुनगर (तमिलनाडु) में की गई हैं.

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