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सेबी ने कैंसिल किए 39 स्टॉक ब्रोकर्स और 7 कमोडिटी ब्रोकर्स के रजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली – भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने शुक्रवार को 39 शेयर ब्रोकर और सात कमोडिटी ब्रोकर का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया.पंजीकरण अनिवार्यताएं पूरी करने में विफल रहने पर इन ब्रोकर्स का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है. इसके अतिरिक्त, नियामक ने उन 22 ‘डिपॉजिटरी’ प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया, जो अब किसी भी ‘डिपॉजिटरी’ से संबद्ध नहीं हैं. सेबी ने तीन अलग-अलग आदेशों में कहा, ‘‘इन इकाइयों के पंजीकरण प्रमाणपत्र को रद्द करने का मुख्य कारण उन्हें ‘डिपॉजिटरी’ का सक्रिय भागीदार या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य बने बिना अपने सेबी पंजीकरण का दुरुपयोग करने से रोकना है, जिससे ‘अनजान’ निवेशकों की सुरक्षा हो सके.

सेबी ने कुछ दिनों पहले ही बेजल स्टॉक ब्रोकर्स (Bezel Stock Brokers), रिफ्लेक्शन इनवेस्टमेंट्स (Reflection Investments) और संपूर्णा पोर्टफोलियो (Sumpoorna Portfolio) जैसे स्टॉक ब्रोकर्स के खिलाफ कार्रवाई की थी. इसके साथ ही वेल्थ मंत्रा कमोडिटीज (Wealth Mantra Commodities) और संपूर्णा कॉमट्रेड (Sumpoorna Comtrade) जैसे कमोडिटी ब्रोकरों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया था. इसके अलावा मूंगिपा इन्वेस्टमेंट्स (Moongipa Investments) और पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (Punjab & Maharashtra Co-Operative Bank) जैसे डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स भी सेबी के एक्शन से प्रभावित हुए थे.

अगर आपने इनमें से किसी भी ब्रोकर के पास निवेश किया है, तो आप अपने फंड की स्थिति को लेकर चिंतित हो सकते हैं. हालाँकि, उनके पंजीकरण को रद्द करने का मतलब यह नहीं है कि आपके निवेश जोखिम में हैं.किंग स्टब एंड कासिवा, एडवोकेट्स एंड एटॉर्नीज़ के पार्टनर वत्सल गौड़ बताते हैं, “सेबी की कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य इन ब्रोकर्स को उचित निगरानी के बिना काम करने से रोककर निवेशकों की रक्षा करना है, क्योंकि वे अब मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों या डिपॉजिटरीज के सदस्य नहीं हैं.पाया गया कि ब्रोकर 1992 के ब्रोकर विनियमन नियमों के तहत निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं कर रहे थे.सरफ एंड पार्टनर्स के पार्टनर अभिराज अरोड़ा कहते हैं, “चूंकि ये ब्रोकर अब किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की सदस्यता नहीं रखते थे, इसलिए वे सेबी के नियमों के तहत पंजीकरण के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करते थे. इससे पता चलता है कि इनमें से कई ब्रोकरों के पास पंजीकरण रद्द होने के समय बहुत कम या कोई सक्रिय व्यवसाय नहीं था.

सेबी यह सुनिश्चित करता है कि डीरजिस्ट्रेशन के बाद भी ब्रोकर सारे रिकॉर्ड बनाए रखे. साथ ही निवेशकों की सभी समस्यायों का समाधान करे. इसके अलावा वह फंड और सिक्योरिटीज को या तो इनवेस्टर को वापस करे या फिर उन्हें किसी अन्य रजिस्टर्ड ब्रोकर को ट्रांसफर करे. कोई भी समस्या आने पर आप सेबी से भी संपर्क कर सकते हैं. इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए आप एक भरोसेमंद ब्रोकर को चुनें. आपको पता करना चाहिए कि वह डिस्काउंट ब्रोकर है या फिर फुल सर्विस ब्रोकर. डिस्काउंट ब्रोकर आपकी फीस बचा सकते हैं लेकिन, फुल सर्विस ब्रोकर मजबूत वित्तीय संस्थानों से जुड़े होते हैं. ये आपको ज्यादा सुरक्षा उपलब्ध करवा सकते हैं. निवेशकों को लगातार अपनी ट्रेडिंग पर ध्यान देना चाहिए.

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