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सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर हिंडनबर्ग का सनसनीखेज दावा

नई दिल्ली – पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को शनिवार को बेबुनियाद बताया और कहा कि उनका वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब की तरह है।बुच दंपति ने एक बयान में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसने जवाब में चरित्र हनन की कोशिश करने का विकल्प चुना है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.

माधबी पुरी बुच सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी की चेयरपर्सन हैं. सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला चेयरपर्सन के तौर पर माधबी पुरी बुच इस पद पर नियुक्त होने वाली प्राइवेट सेक्टर की पहली शख्स भी हैं. अप्रैल 2017 तक वह सेबी के पूर्व चीफ अजय त्यागी के साथ सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम कर रही थीं जिनके रिटायरमेंट के बाद उन्होंने शेयर बाजार नियामक संस्था सेबी प्रमुख का पदभार संभाला.माधबी पुरी बुच भारत के शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी की पहली महिला प्रमुख हैं. अजय त्यागी की जगह उन्होंने सेबी का कार्यभार संभाला था जिनका पांच साल का कार्यकाल खत्म हो गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने तीन साल की अवधि के लिए माधबी पुरी बुच की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी.

अदाणी समूह पर अपनी पिछली के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, “सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है. शॉर्ट-सेलर ने (मामले से पर्दा उठाने वाले) “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए बुच दंपति ने अपने बयान में कहा, हिंडरबर्ग की 10 अगस्त 2024 की रिपोर्ट के संदर्भ में, हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में हमारे ऊपर लगाए गए सभी बेबुनियाद आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं.उन्होंने कहा, “इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब की तरह है. पिछले कुछ वर्षों में सेबी को सभी आवश्यक वित्तीय रिकॉर्ड पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं.

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