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भारत

इसी दिन शुरू होगा बंगाली नववर्ष,उत्सव और महत्व


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नई दिल्ली – पोइला बोइशाख का दिन बंगाली समुदाय में बेहद शुभ माना गया है. यह नए वित्तीय वर्ष (Bengali New Year 2024) की शुरुआत का प्रतीक है.इस शुभ दिन व्यवसायिक लोग नए लेखांकन के रूप में मनाते हैं. साथ ही किसान भगवान से अपनी अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं क्योंकि इस दिन से नई फसल के मौसम की शुरुआत होती है.

कैसे मनाते हैं पोइला बोइशाख (How we celebrate Poila Baisakh)

बंगाली समुदाय के लोग पोइला बोईशाख के दिन अपने घरों की अच्छा तरह सफाई कर. स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन दुकानदार से लेकर बिजनेस करने वाले नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं. पोइला बोइशाख के दिन बंगाल में कई जगहों में पर गौ माता की पूजा का भी विधान है. लोग बंगाली नववर्ष के पहले दिन गाय को स्नान कराने के बाद उसे तिलक लगाते हैं, भोग चढ़ाते हैं, कई जगह पारंपरिक मेलों का आयोजन किया जाता है. पोइला बोइशाख के अगले दिन लोग अच्छी वर्षा के लिए बादल की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इससे अच्छी फसल होती है.

पोहेला बोइसाख 2024

महत्व पोहेला बोइसाख बंगाली समुदाय के लोगों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कृषि महत्व रखता है. यह पुराने साल को विदाई देने और आशा, खुशी, खुशी और उत्साह के साथ नए साल का स्वागत करने का समय है.यह दिन फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है जो समृद्धि, नई शुरुआत, प्रचुरता और कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतिनिधित्व करता है.

पोइला बोइशाख का इतिहास (Poila Baisakh History)

पोइला बैसाख को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान, इस्लामी हिजरी कैलेंडर के साथ करों का संग्रह किया जाता था. लेकिन हिजरी कैलेंडर से चंद्र कैलेंडर मेल नहीं (कृषि चक्रों अलग होने के कारण) खाता था. इसलिए, बंगालियों ने इस त्योहार की शुरुआत की और बंगाली कैलेंडर को बंगबाड़ा के नाम से जाना जाने लगा.

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