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मई में इच्छामृत्यु से मरने वाली है नीदरलैंड की ये महिला,जानिए किस देश में इसके लिए क्या है कानून


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नई दिल्लीः इस दुनिया में जितने भी लोग हैं, उनकी जिंदगी में छोटी-बड़ी सैकड़ों तरह की समस्याएं हैं, जिनसे वो आए दिन निपटने की कोशिश में लगे रहते हैं. जिंदगी का नाम ही समस्याओं से जूझना और उनको हराकर आगे बढ़ना है. यही इंसान को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. जीवन से हार मान लेना और जीवन खत्म करने की कोशिश करना, समाधान नहीं है. फिर भी कुछ लोग जीवन से बहुत जल्दी हार मान जाते हैं. नीदरलैंड की एक 28 साल की महिला भी ऐसा ही करने का सोच रही है. उसका एक बॉयफ्रेंड है, पालतू बिल्ली है, जिससे वो बहुत प्यार करती है. ऐसा भी नहीं है कि उसे पैसों की कमी है, वो शरीर से भी स्वस्थ है, पर उसके बावजूद भी अपने लिए मौत की मांग कर रही है. आखिर इसके पीछे क्या वजह है?

क्यों जिंदगी से खफा हो गई जोराया?

जोराया इतनी परेशान है, लेकिन दुनिया के लिए उसका प्यार देखिए। उसने तय कर लिया है कि मृत्यु के बाद उसके शव को जलाया जाएगा। धार्मिक प्रथा के मुताबिक तो उसे कब्र में दफनाया जाना चाहिए। फिर उसने जलाने का आग्रह क्यों किया? जवाब आपकी आंखें नम कर देगा। दरअसल, जोराया चाहती है कि उसके बॉयफ्रेंड को उसके मकबरे की बार-बार सफाई करने की फजीहत नहीं उठानी पड़े। इतना प्यार है बॉयफ्रेंड के लिए तो क्या अपनी जिंदगी के प्रति इतनी बेरुखी यूं ही पैदा हो गई होगी? ना, उसका चेहरा भले ही न बता रहा हो, लेकिन सच तो बहुत अलग है ही। वरना बॉयफ्रेंड ही क्या, बिल्ली से भी बेइंतहा प्यार करने वाली जोराया अपनी जिंदगी से तौबा क्यों करती भला! वह डिप्रेशन, ऑटिज्म और बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित है।

गंभीर मानसिक समस्याओं से है पीड़ित

वो नीदरलैंड में, जर्मनी के बॉर्डर के पास एक ग्रामीण इलाके में रहती हैं. उन्होंने अपने जीवन में ऑटिज्म, डिप्रेशन और पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से काफी संघर्ष किया है. उनका एक 40 साल का बॉयफ्रेंड है और बिल्ली है. मेडिकल तौर पर महिला के सेहत से फिट बताया जा रहा है, वो मानसिक समस्याएं हैं.द मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, जोराया गंभीर मानसिक समस्याओं से पीड़ित हैं. वह ऑटिज्म, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर और डिप्रेशन से काफी पीड़ित रही हैं. वह अपनी ऐसी जिंदगी से इतना परेशान हो चुकी हैं कि इस जिंदगी को ही अलविदा कह देना चाहती हैं. इसीलिए उन्होंने इच्छामृत्यु मांगी है. हालांकि ऐसा नहीं है कि जोराया ने अपनी इन गंभीर समस्याओं का इलाज नहीं कराया है. उन्होंने इलाज तो बहुत कराया, पर डॉक्टरों ने साफ-साफ कह दिया कि वो उनकी समस्याओं का कोई इलाज नहीं कर सकते. ऐसे में जोराया ने फैसला किया कि अब वह इन मानसिक समस्याओं को लेकर ज्यादा दिन तक ढो नहीं सकतीं.

नीदरलैंड में बढ़ रहे इच्छामृत्यु के मामले

फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी देशों में ऐसे कई लोग हैं जो मेंटल हेल्थ, जैसे डिप्रेशन या एंग्जाइटी की वजह से, या फिर पर्यावरण में बदलाव के कारण इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं. महिला चाहती है कि उसे अपने घर के सोफे पर मौत दी जाए और फिर उसका अंतिम संस्कार शव को जलाकर किया जाए. अंतिम वक्त पर उसका बॉयफ्रेंड उसके साथ ही रहेगा. न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था जहां इच्छामृत्यु को साल 2001 में लीगल कर दिया गया था. साल 2022 में नीदरलैंड में 8702 इच्छामृत्यु के मामले आए थे. इसी साल फरवरी में नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री Dries van Agt और उनकी पत्नी ने हाथों में हाथ डाले मौत को स्वीकार किया था. जानकारों का कहना है कि नीदरलैंड में लोग डिप्रेशन से भी हार मान ले रहे हैं.

सोफे पर दी जाएगी मौत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले महीने यानी मई में जोराया को उनकी इच्छा के मुताबिक उनके ही घर में सोफे पर मौत दी जाएगी. इस दौरान उनका बॉयफ्रेंड भी उनके साथ ही रहेगा. जोराया की अंतिम इच्छा है कि मरने के बाद उनके शव को दफनाने के बजाय जलाया जाए.

किस देश में इच्छामृत्यु का कौन सा कानून?

नीदरलैंड ही वह देश है जिसने दुनिया में पहली बार इच्छा मृत्यु को कानूनी अनुमति दी है। वर्ष 2001 में वहां इच्छा मृत्यु को वैधता मिली और वर्ष 2022 में 8,702 इच्छामृत्यु के मामले सामने आ गए। अभी 5 फरवरी को ही नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्राइज वैन एग्ट ने अपनी पत्नी के साथ इच्छा मृत्यु का वरन कर लिया। खबरें हैं कि नीदरलैंड में डिप्रेशन की समस्या आम होती जा रही है। संभवतः इसी वजह से नीदरलैंड की सरकार पर इच्छा मृत्यु का कानून लाने का दबाव बढ़ा होगा और उसने परिस्थितियों को समझकर ही इसकी जरूरत भी महसूस की होगी। अब तो कई देश इच्छा मृत्यु का कानून ला चुके हैं। 2018 से भारत में भी इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाने लगी है। इच्छामृत्यु को मर्सी किलिंग के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी अपील को नैतिक, कानूनी और चिकित्सीय पैमानों पर परखने के बाद ही अनुमति दी जाती है। आइए जानते हैं कि किस देश में इच्छा मृत्यु को लेकर क्या कानून है…

नीदरलैंड

➤ नीदरलैंड दुनिया का पहला देश था जिसने 2002 में अनुरोध पर जीवन की समाप्ति और सहायता प्राप्त आत्महत्या (समीक्षा प्रक्रिया) अधिनियम के तहत इच्छामृत्यु और चिकित्सक-सहायता प्राप्त आत्महत्या को वैध बनाया था।
➤ वैसे व्यक्ति को ही इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जा सकती है जो ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जिसमें सुधार की संभावना नहीं बची है, वह असहनीय पीड़ा से गुजर रहा हो और अच्छे से सोच-समझकर, बार-बार इच्छा मृत्यु देने की मांग कर रहा हो।
➤ ऐसे रोगी को डॉक्टर से यह प्रमाण पत्र लेना होगा कि उसकी बीमारी लाइलाज है।
➤ डॉक्टर को ऐसा प्रमाण पत्र देने से पहले कम से कम एक अन्य स्वतंत्र डॉक्टर से परामर्श करना होगा।
➤ मौत देने की प्रक्रिया में मेडिकल स्टैंडर्ड का पालन करना होगा।
➤ इच्छामृत्यु के प्रत्येक मामले की समीक्षा एक क्षेत्रीय समीक्षा समिति द्वारा की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा किया गया है।

बेल्जियम

➤ बेल्जियम ने 2002 में इच्छामृत्यु को वैध बनाया, जिससे डॉक्टरों को अनुमति मिल गई कि वो असहनीय शारीरिक या मानसिक पीड़ा सहित विशिष्ट परिस्थितियों में अपने जीवन को समाप्त करने में रोगियों की सहायता कर सकें।
➤ रोगी को एक लाइलाज बीमारी के कारण लगातार, असहनीय शारीरिक या मानसिक पीड़ा की स्थिति में होना चाहिए।
➤ अनुरोध स्वैच्छिक, सुविचारित और बार-बार किया जाना चाहिए।
➤ डॉक्टर को रोगी की स्थिति के संबंध में किसी अन्य स्वतंत्र चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
➤ नाबालिग भी कुछ सख्त शर्तों के तहत इच्छामृत्यु का अनुरोध कर सकते हैं।

कनाडा

➤ कनाडा ने 2016 में मौत के लिए चिकित्सीय सहायता (MAID) को वैध बनाया, जिससे गंभीर और लाइलाज बीमारियों वाले वयस्कों को मरने में सहायता का अनुरोध करने की अनुमति मिली।
➤ वयस्क जो अपने स्वास्थ्य के संबंध में निर्णय लेने में सक्षम हैं, जिनकी गंभीर और लाइलाज चिकित्सीय स्थिति है, और जिसे बीमारी के कारण लंबे समय के लिए बचाया नहीं जा सकता।
➤ इस प्रक्रिया में दो स्वतंत्र आकलन और 10 दिन की विचार अवधि शामिल है, जिसे कुछ परिस्थितियों में माफ किया जा सकता है।
➤ 2021 में कानून में संशोधन करके उन लोगों को भी इच्छा मृत्यु के दायरे में ला दिया जिनकी बीमारी के कारण मौत तो नहीं होगी, लेकिन बीमारी भी कभी ठीक नहीं हो सकती।

स्पेन

➤ स्पेन ने 2021 में गंभीर और लाइलाज बीमारियों या निरंतर और असहनीय पीड़ा वाले लोगों के लिए इच्छामृत्यु और सहायता प्राप्त आत्महत्या को वैध बनाया।
➤ कानून गंभीर और लाइलाज बीमारियों या निरंतर और असहनीय पीड़ा वाले लोगों के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति देता है।
➤ रोगियों को स्पेनिश नागरिक या कानूनी निवासी होना चाहिए और उन्हें एक स्वैच्छिक, सूचित और बार-बार अनुरोध करना चाहिए।
➤ अनुरोध उचित है या नहीं, इसकी समीक्षा डॉक्टरों की एक टीम और एक क्षेत्रीय आयोग करेगा।

भारत

भारत की सर्वोच्च अदालत ने 2018 में सबसे पहले इच्छामृत्यु को मंजूरी दी थी। लेकिन यहां परोक्ष इच्छामृ्त्यु (Passive Euthanasia) की ही इजाजत है। इसका मतलब है कि डॉक्टर या कोई और मरने में मदद नहीं कर सकता, सिर्फ इलाज बंद कर दिया जाएगा। पेसिव यूथनेसिया की इजाजत भी तभी दी जा सकती है, जब मरीज को लाइलाज बीमारी हो और उसका जिंदा बच पाना नामुमिकन हो। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में मरणासन्न व्यक्ति को अपनी इच्छामृत्यु की वसीयत (लिविंग विल) लिखवाने की अनुमति दी गई। कोर्ट ने कहा कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह आखिरी सांस कब ले। कोर्ट ने कहा कि लोगों को सम्मान से मरने का पूरा हक है। ‘लिविंग विल’ एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। ‘पैसिव यूथेनेशिया’ (इच्छा मृत्यु) वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है।

न्यूजीलैंड

2021 में न्यूजीलैंड ने एक जनमत संग्रह के बाद ऐसे रोगियों के लिए इच्छामृत्यु को वैध बना दिया जिसकी प्राकृतिक रूप से मृत्यु छह महीने के अंदर निश्चित है।
➤ रोगी को असहनीय पीड़ा का अनुभव करना चाहिए जिसे उस तरीके से दूर नहीं किया जा सकता है जिसे वे सहनीय मानते हैं।
➤ अनुरोध की पुष्टि दो डॉक्टरों द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें रोगी की स्थिति का विशेषज्ञ भी शामिल है।

कोलंबिया

➤ कोलंबिया में कई अदालती फैसलों और रेग्युलेशनों के बाद टर्मिनल बीमारी या असहनीय पीड़ा वाले रोगियों के लिए इच्छामृत्यु वैध है।
➤ कानूनी ढांचा अदालती फैसलों के माध्यम से विकसित हुआ है, जिसमें 1997 का संवैधानिक न्यायालय का निर्णय भी शामिल है जिसने इच्छामृत्यु को अपराधमुक्त कर दिया।
➤ इच्छामृत्यु देने के लिए गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल तय किए गए हैं

लक्जमबर्ग

➤ लक्जमबर्ग ने 2009 में इच्छामृत्यु और सहायता प्राप्त आत्महत्या को वैध बनाया, जिसमें बेल्जियम और नीदरलैंड के समान शर्तें थीं।
➤ कानून बेल्जियम के समान है, जिसमें असहनीय पीड़ा और एक लाइलाज स्थिति की आवश्यकता होती है।
➤ रोगी को बार-बार अनुरोध करना चाहिए, और डॉक्टर को किसी अन्य स्वतंत्र डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
➤ प्रक्रिया की समीक्षा के लिए एक राष्ट्रीय आयोग बनाया गया है।

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