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नेशनल अवॉर्ड विनर डायरेक्टर कुमार साहनी का हुआ निधन


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मुंबई – फिल्म निर्माता कुमार साहनी का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है।साहनी की करीबी दोस्त और अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने बताया कि निर्देशक का कल रात कोलकाता के एक अस्पताल में निधन हो गया.’वार वार वारी’, “ख्याल गाथा” और “कस्बा” में निर्देशक के साथ काम कर चुकीं वशिष्ठ ने कहा, ‘कल रात लगभग 11 बजे कोलकाता के एक अस्पताल में उम्र से जुड़े हेल्थ इश्यूज की वजह से उनका निधन हो गया. वो बीमार थे और उनकी हेल्थ भी बिगड़ रही थी,ये एक बहुत बड़ी व्यक्तिगत क्षति है.” अभिनेत्री ने कहा, ‘हम उनके परिवार के संपर्क में थे. कुमार और मैं खूब बातें करते थे और मुझे पता था कि वो बीमार हैं और अस्पताल जाते रहते हैं।

ऋत्विक घटक के पसंदीदा छात्रों में से एक

वह मशहूर फिल्म निर्देशक ऋत्विक घटक के पसंदीदा छात्रों में से एक थे। साहनी ने निर्मल वर्मा की कहानी पर आधारित ‘माया दर्पण’ नामक फिल्म बनाई थी, जिसे बेस्ट फीचर फिल्म की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। उन्होंने ‘तरंग’, ‘ख्याल गाथा’, ‘कस्बा’ और ‘चार अध्याय’ समेत कई समानांतर फिल्मों का निर्देशन किया। 1997 में साहनी की ‘चार अध्याय’ प्रदर्शित हुई, जो गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के 1934 के उपन्यास पर आधारित थी।

कौन थे कुमार शाहनी?

मशहूर डायरेक्टर कुमार शाहनी का सिनेमा में बेहद अहम योगदान रहा है। फिल्म इंडस्ट्री को कुमार ने ‘माया दर्पण’ और ‘तरंग’ जैसी फिल्में दी है। बता दें कि शाहनी महज एक डायरेक्टर ही नहीं बल्कि एक एजुकेटर और राइटर भी रहे। कुमार ने ‘द शॉक ऑफ डिजायर एंड अदर एसेज’ जैसी किताबें लिखीं है। अपने करियर में कुमार ने ना सिर्फ बेहतर फिल्मों का निर्माण किया बल्कि अपनी मेहनत के लिए नेशनल अवॉर्ड भी जीता। लोगों को उनकी फिल्में बेहद पसंद आती थी। दर्शक उनकी फिल्मों के दीवाने थे।

नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता

कुमार शाहनी एक शानदार डायरेक्टर थे। उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) पुणे से अपनी पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान भी वो हमेशा अपनी टीचर्स के फेवरेट रहते थे। फिल्म ‘माया दर्पण’ के लिए कुमार ने बेस्ट फीचर फिल्म की कैटेगरी में नेशनल फिल्म अवॉर्ड अपने नाम किया था। इसके अलावा भी उन्होंने कई बेस्ट फिल्में दी है। नेशनल अवॉर्ड के अलावा भी कुमार ने 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। बता दें कि साल 2004 में कुमार ने फिल्में छोड़ दी थी और इसके बाद उन्होंने लिखना और पढ़ना शुरू कर दिया था।

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