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राजनीति

लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी कराएंगे ‘फाइनेंशियल’ सर्वे


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नई दिल्लीः कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की न्याय यात्रा गुरुवार को बिहार के औरंगाबाद पहुंची। यहां पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी बीजोपी और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर बरसे। कांग्रेस नेता ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी ने मणिपुर को आग लगाने का काम किया, वे एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करते हैं। राहुल गांधी ने सभा में मौजूद लोगों से पूछा कि आप लोगों का मूड कैसा है।

गरीबों को यहां नहीं मिलेगा न्याय

राहुल गांधी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश के किसान दिल्ली जा रहे हैं। रास्ते में उन्हें छर्रे और टियर गैस के गोले मारे जा रहे है। राहुल गांधी ने दावा किया कि दो दिन पहले किसानों से उनकी बात हुई थी। राहुल गांधी ने कहा कि इस सरकार में गरीबों को न्याय नहीं मिलेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि जातीय जनगणना तो एक्स-रे है। कांग्रेस सरकार आएगी तो देशभर में फाइनेंशियल सर्वे कराएगी। देश जानेगा कि किसके पास कितना धन है।

73 फीसदी लोगों के साथ हो रहा अन्याय

कांग्रेस नेता ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जितनी जीएसटी देश का मजदूर देता है, उतनी ही अंबानी और अडाणी देते हैं। देश के 73 फीसदी लोगों के साथ अन्याय हो रहा है। यही कारण है कि मैं बार-बार जाति जनगणना की आवाज उठाई। राहुल गांधी ने कहा कि जाति जनगणना समाज का एक्स-रे है। इससे समाज की वास्तविक स्थिति लोगों के सामने आएगी। इसके बाद हम आर्थिक सर्वे भी करवाएंगे। किसके पास कितना धन है, यह सब पता चल जाएगा। राहुल गांधी ने आगे कहा कि 90 आईएएस अधिकारी देश का बजट बांटते हैं। इन 90 में 73 फीसदी वालों की संख्या नगण्य है।

सीएम नीतीश पर भी कसा तंज

राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे पर भी पीएम मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों को कुचला जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मरने-मिटने वाले ने पाला बदल लिया है। उन्हें बिहार की तरक्की रास नहीं आई। रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि गरीबों की बात सिर्फ कांग्रेस पार्टी करती है। उन्होंने कहा बीजेपी ने नीतीश कुमार को डरा धमकाकर अपने पास बुला ली। गरीबों को चूसने वाली पार्टी के साथ नीतीश कुमार हैं। खरगे ने कहा कि बिहार में पार्टी को तोड़ने की बहुत कोशिश की गई। कांग्रेस के लोग ना ही टूटने वाले हैं, ना ही झुकने वाले हैं।

क्या बदलेगा राहुल की यात्रा का रूट?

दरअसल, राहुल गांधी की यात्रा के दौरान उनका प्लान आनंद भवन, फिरोज गांधी की मजार पर जाने का नहीं है. अब सवाल यह उठ रहे हैं कि सोनिया गांधी द्वारा चिट्ठी में फिरोज गांधी की जिक्र करने के बाद क्या राहुल गांधी, भारत जोड़ो न्याय यात्रा का प्लान बदलते हुए प्रयागराज में उनकी मजार पर जाएंगे. राहुल की यात्रा 17 फरवरी को यूपी में एंट्री करेगी.सोनिया ने आगे लिखा- उनके बाद मेरी सास इंदिरा गांधी को आपने अपना बना लिया. तब से अब तक, यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार और जोश के साथ आगे बढ़ता गया और इस पर हमारी आस्था मजबूत होती चली गई.इसी रौशन रास्ते पर आपने मुझे भी चलने की जगह दी. सास और जीवनसाथी को हमेशा के लिये खोकर मैं आपके पास आई और आपने अपना आँचल मेरे लिये फैला दिया.

रायबरेली से कौन?

सोनिया गांधी ने लिखा- पिछले दो चुनावों में विषम परिस्थितियों में भी आप एक चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे, मैं यह कभी भूल नहीं सकती. यह कहते हुए मुझे गर्व है कि आज मैं जो कुछ भी हूँ, आपकी बदौलत हूँ और मैंने इस भरोसे को निभाने की हरदम कोशिश की है.अब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. इस निर्णय के बाद मुझे आपकी सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा, लेकिन यह तय है कि मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा. मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही सँभाल लेंगे जैसे अब तक सँभालते आये हैं.दूसरी ओर सोनिया गांधी के इस पत्र के बाद इस बात का कयास लगाए जा रहे हैं कि अब इस सीट पर परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा. जिसमें मुख्यतः प्रियंका गांधी के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने के कयासों को बल मिल रहा है. राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भी इस बात के कयास हैं कि प्रियंका गांधी रायबरेली में राहुल गांधी के साथ उस यात्रा में शामिल होंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सीजेआई डीवाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 की चुनावी बॉन्ड योजना को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सूचना के संवैधानिक अधिकारों का ‘उल्लंघन’ बताया. कोर्ट केंद्र की इस दलील से सहमत नहीं थी कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना और काले धन पर अंकुश लगाना था. कोर्ट ने ये फैसला ऐसे समय पर सुनाया है जब अप्रैल- मई में लोकसभा चुनाव होने की संभावना है.

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