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गोकुलपुरी मेट्रो हादसे के बाद उठे DMRC के कंस्ट्रक्शन कल्चर पर सवाल,दिल्ली मेट्रो की साख पर दाग


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नई दिल्लीः सेफ्टी के लिहाज से दिल्ली ही नहीं, देश के कंस्ट्रक्शन कल्चर में बदलाव लाने वाली दिल्ली मेट्रो के चलते हुए स्टेशन के प्लैटफॉर्म की दीवार ढहने के बाद अब मेट्रो की ‘विश्वसनीयता’ दांव पर लग गई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पहली बार किसी चालू मेट्रो स्टेशन की ऐसी दीवार ढह गई। जिसे पैसेंजरों की सेफ्टी के लिए महज पांच साल पहले ही बनाया गया था। इसके साथ ही ये भी सवाल उठा है कि क्या सेफ्टी के लिए ई. श्रीधरन ने जो स्टैंडर्ड बनाए थे, क्या उनका पालन हो रहा है?

सेफ्टी को लेकर गंभीर थे श्रीधरन

हालांकि श्रीधरन के एमडी रहते हुए भी दिल्ली मेट्रो में लक्ष्मी नगर और जमरुदपुर के हादसे हुए लेकिन ये सभी निर्माण के दौरान हुए थे। महत्वपूर्ण है कि दिल्ली मेट्रो के पहले फेज की मेट्रो लाइनें चालू हुए 18 वर्ष से अधिक बीत गए हैं लेकिन उन लाइनों और स्टेशनों पर इस तरह से रेलिंग या दीवार ढहने की घटनाएं सामने नहीं आईं। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सेक्रेटरी और दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन के चेयरमैन रहे एम. रामचंद्रन का कहना है कि उस वक्त सबसे अहम ये था कि खुद श्रीधरन सेफ्टी को लेकर बेहद गंभीर थे और यही वजह है कि सेफ्टी नियमों का पूरी तरह से पालन होता था। यही वजह है कि तेजी से काम कराने के बावजूद, वे निर्माण करने वाले कांट्रेक्टर पर पूरा कंट्रोल रखते थे। उन्होंने ही नियम बनाया था कि अगर कॉन्ट्रैक्टर की तय वक्त पर पेमेंट न हो तो जांच शुरु जो जाती थी ताकि कॉन्ट्रैक्टर को वक्त पर पैसा मिले और वह किसी तरह की लापरवाही न करे।

दोनों ओर बैरिकेडिंग का चलन

श्रीधरन ने ही सबसे पहले सेफ्टी के लिहाज से कंस्ट्रक्शन के दौरान दोनों ओर बैरिकेडिंग का चलन शुरू किया। जिसे बाद में देशभर की दूसरी एजेंसियों ने भी फॉलो किया। ये लोगों की सेफ्टी के लिहाज से महत्वपूर्ण था और इससे कंस्ट्रक्शन कल्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिला। 1998 में निर्माण शुरू होने के बाद जब दिसंबर 2005 में मेट्रो का पहला फेज पूरा हुआ, उसमें अभी भी कोई बड़ी सिविल कंस्ट्रक्शन की कमी नजर नहीं आती। यही वजह है कि जब निर्माणाधीन लाइनों पर दो बड़े हादसे हुए, तब भी श्रीधरन की काबिलियत पर सवाल नहीं उठे। दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों का दावा है कि जो सेफ्टी समेत अन्य मामलों में श्रीधरन ने जो परिपाटी कायम की थी, उसे ही फॉलो किया जा रहा है। लेकिन ये एक तथ्य है कि श्रीधरन की विदाई के बाद दिल्ली मेट्रो की परियोजनाओं के अमल में भी देरी हुई है और इस तरह के हादसे से निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान लगे हैं।

दमकल की पांच गाड़ियां पहुंची थीं मौके पर

हादसे के तुरंत बाद 25 फायरकर्मियों के साथ 5 फायर की गाड़ियां मौके पर पहुंची थीं. फायर डिविजनल ऑफिसर ने हादसे के बाद मौके पर मौजूद मीडियाकर्मियों को बताया कि गुरुवार सुबह लगभग 11:10 बजे फायर कंट्रोल रूम में मेट्रो स्टेशन के स्लैब के गिरने की सूचना मिली थी, जिसमें कुछ लोगों के दबे होने की बात कही गई थी. हादसे की सूचना पर फायर की 5 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं.

देर शाम अधिकारियों ने किया निरीक्षण

घटना का केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय और मेट्रो रेल संरक्षा आयुक्त (सीएमआरएस) ने भी संज्ञान लिया है। देर शाम को मंत्रालय के अधिकारियों और सीएमआरएस की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। गोकलपुरी मेट्रो स्टेशन नाले के किनारे बना हुआ है। डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गनीमत है कि स्टेशन के नीचे मौजूद सड़क मुख्य मार्ग नहीं है।दमकल विभाग की टीम के आने से पहले ही पुलिस ने आम लोगों की सहायता से स्लैब के नीचे दबे दो लोगों को निकाल कर जीटीबी अस्पताल इलाज के लिए भेज दिया गया था, जबकि तीन और लोगों को फायर की टीम ने रेस्क्यू कर जीटीबी अस्पताल भेज दिया. अधिकारी ने बताया कि यह दिल्ली मेट्रो का पिंक लाइन है, जिसके गोकुलपुरी मेट्रो स्टेशन की दीवार के गिरने से यह हादसा हुआ है. अभी भी कुछ हिस्सा खतरनाक स्थिति में स्टेशन से लटका पड़ा है, जिसे गिराने की कोशिश की जा रही है.

मेट्रो हादसे पर डीसीपी ने क्या कहा?

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली डिस्ट्रिकट के डीसीपी डॉ. जॉय तिर्की ने बताया था कि हादसा मेट्रो स्टेशन के पूर्वी तरफ वाले हिस्से में हुआ, जहां स्टेशन की दीवार का एक बड़ा हिस्सा जो लगभग 50 मीटर के आसपास होगा, वह अचानक ही गिर गया. तेज आवाज की वजह से तुरंत ही एसएचओ और एसीपी मौके पर पहुंचे और मलबे के नीचे दबे घायलों को निकालने की कोशिश में जुट गए. इस हादसे में 5 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 1 के पैर में फ्रैक्चर है, जबकि 3 को मामूली चोटें आई हैं, वहीं एक गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, उनके सिर और बॉडी के कई हिस्सों में चोटें हैं और फिलहाल वे अचेत हैं. हादसे के बाद जेसीबी मशीन की मदद से सड़क पर गिरे मलवे के साथ लटके पर स्लैब को भी तोड़कर नीचे गिरा सड़क को साफ किया गया ताकि ट्रैफिक शुरू हो सके.

दिल्ली सरकार ने लिया संज्ञान

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत ने गोकुलपुरी मेट्रो हादसे बेहद ही खेदजनक बताया है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का निर्देश दिया गया है, जिसकी रिपोर्ट 2 सप्ताह में देने का कहा गया है. इसके साथ ही उन्होंने 24 घंटे के भीतर मुआवजा दिए जाने की डीएमआरसी से अपील की है.

स्टेशन को खुले हो गए करीब पांच वर्ष

इसलिए इस स्टेशन को खुले करीब सवा पांच वर्ष ही हुए हैं। ऐसे में कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने व भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। मेट्रो का परिचालन शुरू होने से पहले कारिडोर के ढांचे, मेट्रो ट्रेक इत्यादि की सुरक्षा जांच भी होती है। सीएमआरएस द्वारा सुरक्षा जांच के बाद स्वीकृति मिलने पर ही मेट्रो का परिचालन शुरू होता है। ऐसे में निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठना भी लाजमी है।

स्टेशन की डिजाइन में भी है खामी

डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गोकुलपुरी स्टेशन के डिजाइन में भी खामी है। स्टेशन के ऊपर जो स्लैब डाला गया था उसके कालम के नीचे बेस नहीं है। इस वजह से यह हादसा हुआ। सूत्रों के अनुसार पिंक लाइन के कई स्टेशनों पर यह समस्या है। दिल्ली मेट्रो देश के कई शहरों में मेट्रो नेटवर्क के विकास में सलाहकार है।

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