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राजनीति

विदाई भाषण में PM मोदी ने मनमोहन सिंह की तारीफों के बांधे पूल,कही ये बात


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नई दिल्लीः आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Former PM Manmohan Singh) की जमकर तारीफ की है। लोकसभा चुनाव से पहले ये संसद का आखिरी सत्र है। इस दौरान पीएम मोदी ने आज सभी रिटायर हो रहे सदस्यों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के विदाई भाषण में कहा कि वैचारिक मतभेद तो अल्पकालीन होते हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने इतने लंबे समय तक सदन का मार्गदर्शन किया है। देश का मार्गदर्शन किया है। पीएम मोदी ने कहा कि हमेशा जब भी हमारे लोकतंत्र की चर्चा होगी तो उसमें मनमोहन सिंह के योगदान की चर्चा जरूर होगी। पूर्व पीएम मनमोहन ने जिस प्रकार से देश जीवन को कंडक्ट किया है। जिस प्रकार की प्रतिभा के दर्शन उन्होंने अपने कार्यकाल में कराए, उसको हम लोग सीखने का प्रयास कर रहे हैं।

PM मोदी ने मनमोहन सिंह की तारीफों के बांधे पूल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (8 फरवरी) को राज्यसभा में बोलते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के योगदान की सराहना की और कहा कि, ‘मनमोहन सिंह ने ‘व्हीलचेयर में भी काम किया.’ प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी तब आई जब उन्होंने राज्यसभा के सेवानिवृत्त सदस्यों की विदाई के दौरान सदन को संबोधित किया.पीएम मोदी ने कहा ‘मैं आज डॉ. मनमोहन सिंह को याद करना चाहता हूं, उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है. इतने लंबे समय तक उन्होंने जिस तरह से इस सदन और देश का मार्गदर्शन किया है, उसके लिए डॉ. मनमोहन सिंह को हमेशा याद किया जाएगा.’

देश पर आया था आर्थिक संकट

साल 1991 में जून के महीने में सरकारी के सामने भारी संकट आ गया था। देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया था। हालात ऐसी थी कि इसमें एक अरब डॉलर की रकम बची थी। इससे देश सिर्फ 20 दिनों का तेल और खाने का सामान ही मंगा सकता था। इसके अलावा मोटा विदेशी कर्ज अलग से गले तक आ पहुंचा था। ऐसे ही हालात श्रीलंका के हुए हैं। भारत उसी हालात के करीब पहुंच चुका था। ये वो समय था जब देश में चंद्रशेखर की सरकार थी। वह नवंबर 1990 से जून 1991 तक सात महीनों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे थे। जब पीवी नरसिम्हा राव 21 जून 1991 में प्रधानमंत्री बने तो ऐसा लग रहा था कि भारत विदेशी क़र्ज़ तय समय पर नहीं चुका पाएगा। डिफ़ॉल्टर घोषित हो जाएगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णकाल

साल 2004 में जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तो तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ मिलकर उन्होंने अर्थव्यवस्था की रफ्तार और तेजी की। वह दौर भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णकाल माना जाता है। मनमोहन सिंह के दौर में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 8 से 9 फीसदी तक पहुंच गई थी। साल 2007 में भारत ने ऐतिहासिक रूप से 9 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल किया था। भारत दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया। साल 2005 में मनमोहन सिंह ने देश के वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट व्यवस्था की शुरुआत की थी। उन्होंने पुराने जटिल टैक्स सिस्टम को खत्म कर दिया था। इसी तरह से कारोबार, उद्योग के लिए सर्विस टैक्स व्यवस्था की शुरुआत की थी। उनके कार्यकाल में साल 2006 में देश में स्पेशल इकोनॉमिक जोन की शुरुआत हुई थी।

‘व्हीलचेयर पर आए और अपना वोट डाला’

मोदी ने आगे कहा, ‘मुझे याद है कि दूसरे सदन में, मतदान के दौरान, यह ज्ञात था कि सत्ता पक्ष जीतेगा, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह अपनी व्हीलचेयर पर आए और अपना वोट डाला. यह एक सदस्य के सतर्क रहने का उदाहरण है. सवाल ये नहीं है कि वो किस को ताकत देने आए थे. मैं मानता हूं वो लोकतंत्र को ताकत देने आए थे.’

शेयर बाजार को मिली रफ्तार

नरसिंह राव ने वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह को अर्थव्यस्था में सुधार के लिए बड़े बदलाव करने की छूट दी। उन्होंने 1991 में अपना पहला बजट पेश किया। इस बजट को भारत के लिए गेम चेंजर बजट कहा जाता है। इसी की बदौलत भारत की अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी और देश में आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का खाका तैयार हुआ। इसने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को तरक्‍की की राह पर बढ़ा दिया था। सुधारों से भरे इस बजट ने इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक सहित प्राइवेट सेक्‍टर के बैंकों के लिए रास्‍ता खोला था।दरअसल, रिटायर हो रहे राज्यसभा सदस्यों को गुरुवार को दिल्ली में सभापति जगदीप धनखड़ के आवास पर विदाई दी जा रही है. इससे पहले आज सुबह 10 बजे राज्यसभा के सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन में एक ग्रुप फोटो में हिस्सा लिया. शाम 6.30 बजे वे सभापति के आवास पर सेवानिवृत्त सदस्यों के विदाई समारोह में शामिल होंगे.

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