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लता मंगेशकर पुण्यतिथि : कभी रिलीज नहीं हुआ स्वर कोकिला का पहला गाना, इस गाने ने बदली किस्‍मत


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मुंबई – स्वर कोकिला के नाम से पूरे देशभर में मशहूर लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का दो साल पहले 6 फरवरी साल 2022 को निधन हो गया था। लता जी को गुजरे हुए भले ही 2 साल हो गया, लेकिन वो अपने पीछे अपनी आवाज हमेशा के लिए छोड़ गई हैं। लता मंगेशकर वो आवाज हैं जिनकी खनक कभी मध्यम नहीं पड़ सकती। भारत की धरती पर 28 सितम्बर को पैदा हुई थीं सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, जिनकी आवाज की दुनिया दीवानी है।वह अपने पीछे 70 साल से अधिक के करियर में गाए गए अपनी मधुर आवाज में गाए गीतों का खजाना छोड़ गई हैं। इस दौरान हम आपको स्वर कोकिला के लाइफ के कुछ उन सुने किस्से बता रहे हैं।

कलाकारों के परिवार से थीं स्वर कोकिला

लता मंगेशकर की बहन और मशहूर गायिका आशा भोंसले के बारे में तो सभी जानते हैं. लता जी के परिवार में सभी कलाकार थे. उनके पिता एक थिएटर चलाया करते थे. एक दिन उन्होंने लता को गाते हुए सुना और उनकी मां से कहा कि हमारे घर पर ही एक गायक है. उनकी दो छोटी बहनें मीना खाड़ीकर और ऊषा मंगेशकर भी सिंगर हैं.

लता मंगेशकर का पहला गाना फिल्म से हटा दिया गया था

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार से ताल्लुक रखती थी। उन्हें संगीत और सुर का ज्ञान अपने पिता से विरासत में मिला था। बहुत कम लोग जानते हैं कि लता जी ने अपने करियर का पहला गाना “नाचू या गाडे, खेलु सारी मनि हौस भारी” 1942 में किती हसाल नामक एक मराठी फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया था, लेकिन दुर्भाग्य से ये गाना फिल्म के अंतिम कट से हटा दिया गया था, इसलिए वो गाना कभी रिलीज नहीं हो सका।

गुलाम हैदर ने दिया था पहला ब्रेक

बॉलीवुड फिल्म कंपोजर गुलाम हैदर ने लता को पहला ब्रेक दिया. हालांकि वह पार्टीशन के बाद लाहौर चले गए. उन्होंने लता को फिल्म मजबूर 1948 में गाना “दिल मेरा तोड़ा” गाने को अपनी आवाज देने की पेशकश की.

जब गाना रिकॉर्ड करते समय बेहोश हो गई थीं लता

यूं तो लता जी ने कई बड़े-बड़े संगीतकार के साथ गाने गाए हैं, लेकिन एक बार कुछ ऐसा हुआ था कि वह बेहोश हो गई थी। दरअसल, दीदी एक बार संगीतकार नौशाद के साथ एक गाना रिकॉर्ड करते समय बेहोश हो गई थीं। उन्होंने बताया था कि “हम गर्मी की एक लंबी दोपहर में एक गाना रिकॉर्ड कर रहे थे। आप जानते हैं कि गर्मियों में मुंबई की हालत कैसी होती है। उन दिनों रिकॉर्डिंग स्टूडियो में एयर कंडीशनिंग नहीं होते थे और यहां तक कि अंतिम रिकॉर्डिंग के दौरान सीलिंग फैन भी बंद कर दिया गया था। बस, फिर क्या मैं बेहोश हो गई थी।”

क्यों बदला गया लता मंगेशकर का नाम

बता दें कि जब लता का जन्म हुआ तो माता-पिता ने उनका नाम हेमा रखा था। पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर एक्टर, फेमस संगीत संगीतकार के साथ लता जी भी गाया करती थीं। एक बार उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ‘भावबंधन’ नाटक में काम कर रहे थे। इसी प्ले में एक फीमेल कैरक्टर थी जिसका नाम था ‘लतिका’था। कहते हैं कि दीनानाथ मंगेशकर को ये नाम इतना पसंद आया कि उन्होंने बेटी हेमा का नाम बदलकर लता रख दिया।

लता दीदी ने कभी अपने गाने नहीं सुने

लता मंगेशकर ने एक बार बॉलीवुड हंगामा को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपने गाने नहीं सुनती क्योंकि अगर वह ऐसा करती तो उनकी गायकी में सैकड़ों खामियां नजर आतीं।

इस गाने ने बदल दी किस्‍मत

लता जी के रिजेक्‍शन की बात मास्टर गुलाम हैदर को पसंद नहीं आयी और उन्‍होंने लता को स्टार बनाने की ठान ली. साल 1948 में लता को फिल्म ‘मजबूर’ में मास्टर गुलाम हैदर में एक गाना गवाया, गाने के बोल थे ‘दिल मेरा तोड़ा’. ये गाना काफी हिट हुआ और इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

पिता ने की भी बेटी के सिंगर बनने की भविष्यवाणी

लता जी जब 13 साल की थीं, तभी उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था और लता जी पर पारिवारिक जिम्मेदारी आ गईं थीं. एक बार एक इंटरव्यू में लता जी ने कहा था कि अगर मेरे पिता जिंदा होते तो आज में सिंगर न होती. उन्होंने बताया था कि उनके पिता को लंबे समय तक ये नहीं मालूम था कि लता जी के पास इतनी सुरीली आवाज है. जब उन्‍हें इस बात का पता चला, तो वो उनकी प्रतिभा को निखारना चाहते थे और बेटी लता से गीत सुनाने के लिए कहा करते थे, लेकिन लता जी को पिता से बहुत शर्म लगती थी और वे रसोई में अपनी मां के पास भाग जाया करती थीं. लेकिन पिता उनकी आवाज से ये भांप गए थे कि उनकी बेटी एक समय बाद बहुत बड़ी सिंगर बनेगी.

पहले गीत से हुई थी 25 रुपए की कमाई

भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के जैसे कई अवॉर्ड से लता मंगेशकर सम्मानित हुईं। स्वर कोकिला, स्वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिंद जैसे की नाम से जानी जाती हैं हमारी अपनी लता मंगेशकर। भारतीय म्यूजिक और फिल्म इंडस्ट्री का वो नाम हैं लता जिन्होंने दुनिया के सामने एक अलग मिसाल पेश की। आज उनके 94वें जयंती पर बता रहे हैं उनके पहले गाने का किस्सा जो उन्होंने स्टेज पर गाया था। पहली बार स्टेज पर गाने के लिए लता मंगेशकर को 25 रुपए मिले थे। इसी रकम को लता मंगेशकर अपनी पहली सैलरी मानती आई थीं। हालांकि लता मंगेशकर ने पहला गाना एक मराठी फिल्म ‘कीर्ती हसाल’ के लिए साल 1942 में गाया था।

लता मंगेशकर का पहला हिट गाना

साल 1948 में लता को फिल्म ‘मजबूर’ (Majboor) में मास्टर गुलाम हैदर में एक गाना गवाया, गाने के बोल थे ‘दिल मेरा तोड़ा’। इसके बाद लता की किस्मत बदल गई। इस फिल्म के साथ-साथ इस फिल्म गीत और संगीत दोनों हिट हो गया। हालांकि एक वक्त वो भी था, जब लोगों को उनकी आवाज पसंद नहीं आई थी। पतली आवाज की वजह से फिल्मों से बाहर किया गया था, लेकिन कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने देशभर में राज भी किया।

36 भाषाओं में दी है अपनी आवाज

लता जी ने सिर्फ हिंदी और उर्दू भाषाओं के गानों में ही राज नहीं किया बल्कि सारे देश में 36 भारतीय भाषाओं, मराठी, तमिल, भोजपुरी, कन्नड़ा, बंगाली जैसी कई भाषाओं में अपनी आवाज दी.

30 हजार से भी ज्यादा गाने गाए थे

आपको जानकर हैरानी होगी की लता मंगेशकर ने 30 हजार से भी ज्यादा गाने गाए हैं। वह भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक सम्मान (भारत रत्न, पद्म भूषण और पद्म विभूषण) सहित तीन राष्ट्रीय और चार फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी थी।

कुकिंग की शौकीन थीं लता

लता जी की सिंगिंग के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन कम लोग जानते हैं कि वे कुकिंग की भी शौकीन थीं. कहा जाता है कि लता जी चिकन और हलवा बहुत अच्‍छा बनाती थीं. जिसने भी उनके हाथ का चिकन खा लिया, वो उस स्‍वाद को कभी भुला नहीं पाया. इसके अलावा लता जी खाने पीने की बहुत शौकीन थीं. सी फूड खासकर गोवा की फिश और समुद्री झींगे उन्‍हें बहुत पसंद थे. इसके अलावा केसर जलेबी भी उन्‍हें बेहद प्रिय थी.

6 फरवरी 2022 को दुनिया को कहा अलविदा

6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर ने हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं। कोरोना के लक्षण पता लगने के बाद उन्हें हॉस्पिटलाइज किया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। लता के नाम बेशुमार हिट और क्लासिकल गाने हैं । ‘हमको हमी से चुरा लो’, ‘मेरा दिल ये पुकारे आजा’, ‘जिंदगी की न टूटे लड़ी’ जैसे न जाने अनगिनत कितने ही गीत स्वर कोकिला के नाम हैं, जो संगीत प्रेमियों के कान में नहीं बल्कि दिलों में बसते हैं।

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