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राजनीति

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने दिया इस्तीफा-जानें वज़ह


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नई दिल्लीः पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwari Lal Purohit) ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया है. इस्तीफे में उन्होंने लिखा है कि वह निजी कारणों से यह निर्णय ले रहे हैं. बनवारीलाल पुरोहित ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) के नाम चिट्ठी में लिखा, ”व्यक्तिगत कारणों और अन्य प्रतिबद्धता के कारण, मैं पंजाब के गवर्नर और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर अपना इस्तीफा देता हूं. कृपया इसे स्वीकार करें.”

निजी कारणों से बनवारी लाल ने दिया इस्तीफा

जानकारी के मुताबिक, पंजाब की सियासत से जुड़ी इस समय बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल, पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके द्वारा यह इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा गया, जिसमें उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया है और कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा उनके इस्तीफे को मंजूर किया जाए। बता दें कि बनवारी लाल पुरोहित द्वारा कल ही अमित शाह से मुलाकात की गई थी। पंजाब के राज्यपाल के रूप में उन्होंने 1 सितंबर 2021 को पदभार संभाला था और आज 3 फरवरी 2024 को इस्तीफा दे दिया है। बनवारी लाल पुरोहित भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। बता दें कि वह 2017 से 2021 तक तमिलनाडु के राज्यपाल रहे जबकि इससे पहले 2016 से 2017 तक वे असम के गवर्नर रह चुके हैं।

ऐसा रहा कार्यकाल

83 वर्षीय बनवारी लाल पुरोहित इससे पहले 2017 से 2021 के बीच तमिलनाडु के गवर्नर रहे हैं. 2016-2017 के बीच वह असम के गवर्नर भी रह चुके हैं. जबकि अगस्त 2021 में उन्होंने पंजाब के 29वें गवर्नर के रूप में शपथ ली थी. उन्होंने करीब साढ़े तीन साल बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बनवारीलाल पुरोहित भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नागपुर लोकसभा सीट से तीन बार सांसद भी रह चुके हैं. वहीं, इसके पहले वह दो बार कांग्रेस के टिकट से इसी सीट से सांसद रहे हैं. बनवारी लाल ने निजी कारणों से पद से इस्तीफा दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिए गए इस्तीफे पत्र में बनवारी लाल ने लिखा है कि अपने व्यक्तिगत कारणों और कुछ अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण, मैं पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक के पद से अपना इस्तीफा देता हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।

राज्यपाल और सीएम के बीच चल रही थी तनानती

बता दें कि पंजाब के सीएम भगवंत मान और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच अनबन चल रही थी. सीएम मान ने दो दिन पहले ही गवर्नर पर निशाना साधते हुए उनपर तंग करने के आरोप लगाए थे. मान ने कहा था कि प्रदेश में हमारी चुनी हुई सरकार है. हम निर्वाचित तरीके से राज करेंगे या सेलेक्टेड तरीके से शासन करेंगे. लोकतंत्र में निर्वाचित तरीके से शासन होता है. भगवंत मान ने यह भी कहा था कि राज्यपाल बात-बात पर कह देते हैं कि यह गैरकानूनी और वह कानूनी है. बता दें कि राज्यपाल के साथ उनकी तनातनी की वजह कुछ विधेयक भी थे जिन्हें राज्यपाल ने पहले मंजूरी नहीं दी थी जिसके खिलाफ मान सुप्रीम कोर्ट गए थे. इसके बाद फिर राज्यपाल ने विधेयकों को मंजूरी दे दी थी.

2021 में संभाला था पदभार

बनवारीलाल पुरोहित ने अगस्त 2021 को पंजाब के गवर्नर का पद संभाला था। वह 2017 से 2021 तक तमिलनाडु के राज्यपाल रहे। इससे पहले 2016 से 2017 तक वे असम के गवर्नर रह चुके हैं। पुरोहित भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वह तीन बार नागपुर से सांसद रह चुके हैं। पुरोहित का जन्म 16 अप्रैल 1940 में राजस्थान में हुआ था।

असम के भी राज्यपाल रह चुके बनवारी लाल

इससे पहले वह असम के भी राज्यपाल रह चुके हैं। 78 वर्षीय बनवारी लाल पुरोहित दो बार कांग्रेस एक बार भाजपा की टिकट से सांसद भी बन चुके हैँ। वह 1977 में राजनीति में आए थे और 1978 में विदर्भ आंदोलन समिति के टिकट पर नागपुर से विधानसभा का चुनाव जीते।

दक्षिण नागपुर से बने थे कांग्रेस के विधायक

1980 में दक्षिण नागपुर से कांग्रेस के विाायक बने। 1984 व 1989 में कांग्रेस के टिकट पर नागपुर लोकसभा क्षेत्र से चुने गए। राममंदिर मुद्दे पर उन्होंने 1991 में कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें 1996 में टिकट दिया और वह तीसरी बार सांसद बने।

कौन हैं बनवारीलाल पुरोहित

बता दें कि अगस्त 2021 में उन्होंने पंजाब के 36वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी. तब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि शंकर झा ने पंजाब राजभवन में बनवारीलाल पुरोहित को पद की शपथ दिलाई थी. बनवारीलाल पुरोहित पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ तनातनी के कारण भी सुर्खियों में रहे थे. गौरतलब है कि बनवारी लाल पुरोहित तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं और मध्य भारत के सबसे पुराने अंग्रेजी दैनिक ‘द हितवाद’ के प्रबंध संपादक भी रहे हैं. बेदाग छवि के पुरोहित की पहचान एक प्रख्यात शिक्षाविद्, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रवादी विचारक की रही है. उनके पास सार्वजनिक जीवन में चार दशकों से अधिक समय का अनुभव रहा है.

बनवारी लाल का रहा है विवादों से नाता

पंजाब में विधानसभा सत्र को बुलाने, विश्वविद्यालयों के वीसी की नियुक्ति और विधानसभा में पारित बिलों को रोकने के मामले में उनका मुख्यमंत्री भगवंत मान से काफी टकराव रहा। हालात यहां तक पहुंच गए कि सरकार को राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था मामला

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल से जब यह कहा कि वह चुने हुए नुमाइंदे नहीं हैं और सरकार चलाना चुने हुए नुमाइंदों का काम है तब कहीं जाकर यह विवाद शांत हुआ और विधानसभा का सत्र बुलाया गया।

कल ही भगवंत मान ने साधा था निशाना

पंजाब के सीएम भगवंत मान ने शुक्रवार को गवर्नर पर निशाना साधा था। मान ने दिल्ली में कहा था कि पंजाब में गवर्नर हमें तंग कर रहे हैं। बात-बात पर गवर्नर कह देते हैं कि यह कानूनी नहीं गैर-कानूनी है। लोकतंत्र में इलेक्टेड राज चलता है। कई लोगों ने सेलेक्टेड राज की आदत डाल ली है।

विवादों से भरा रहा कार्यकाल

पंजाब में उनका कार्यकाल काफी विवादों से घिरा रहा। खासतौर पर भगवंत मान सरकार के बनने के बाद से उनके और सीएम के रिश्तों में काफी तल्खी देखी गई थी। दरअसल, पंजाब में आप सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल के बीच काफी तल्खी देखने को मिली। यहां तक कि दोनों में दरार इतनी बढ़ी थी कि पंजाब विधानसभा के सत्र बुलाने को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अभी कल ही दिल्ली में आप के शक्ति प्रदर्शन दौरान मुख्यमंत्री ने गवर्नर पर निशाना साधते कहा था कि पंजाब में गवर्नर हमें तंग कर रहे हैं। पंजाब विधानसभा के सत्र को बुलाने को लेकर तो दोनों में रार इतनी बढ़ी कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। वे अक्सर सरकार से विभिन्न मुद्दों को लेकर जवाब मांगते रहते थे।अक्तूबर में पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में पेश किए जाने वाले तीन विधेयकों को मंजूरी देने से उन्होंने इनकार कर दिया था। इसके बाद सीएम भगवंत मान समेत आम आदमी पार्टी ने उनका विरोध किया था

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