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Indian Budget: देश के ऐतिहासिक बजट और उनको मिले नामों की कहानी


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नई दिल्ली – वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण आज नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेंगी. बजट में सरकार की कमाई और खर्च का लेखा-जोखा देश के सामने रखा जाता है. इसके जरिए सरकार आर्थिक फैसलों की घोषणा भी करती है. कुछ बजट इन्हीं फैसलों की वजह से ऐतिहासिक बन जाते हैं. सीतारमण का 2021 का केंद्रीय बजट ‘100 सालों में एक बार आने वाला बजट’ नाम से मशहूर हुआ. निजीकरण, टैक्स प्रावधानों और इंफ्रास्ट्रकचर और स्वास्थ्य पर लिए गए फैसलों की वजहों से बजट को ऐसा नाम दिया गया.

पुअर मैन बजट

मोहम्मद अली जिन्ना के करीबियों में शामिल रहने वाले लियाकत अली खान ने ये बजट सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली (आज का संसद भवन) में पेश किया था. आज भी इतिहास में इस बजट को ‘पुअर मैन’ बजट का नाम का नाम दिया जाता है. इस बजट को लेकर देश के उद्योगपतियों ने भी नाराजगी जताई थी. बता दें कि लियाकत अली के इस बजट में टैक्स को काफी कठोर रखा गया था, जिससे कारोबारियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. वहीं इस बजट में उन्होंने उद्योगपतियों, कारोबारियों पर हर 1 लाख रुपए के मुनाफे पर 25 फीसदी का टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था. इतना ही नहीं कॉरपोरेट टैक्स को दोगुना करने का फैसला किया गया था.

आजादी के 6 महीने लियाकत अली खान लाए थे बजट

भारत की आजादी के लगभग 6 महीने पहले कांग्रेस और मुस्लिम लीग की अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री लियाकत अली खान (Liaquat Ali Khan) ने बजट पेश किया. यह आज भी याद किया जाता है. उन्होंने इस बजट में नमक पर से कर हटाया और कैपिटल गेन टैक्स को लागू करने का प्रस्ताव दिया. खान के इस बजट को गरीब आदमी के बजट की संज्ञा दी गई. उन्होंने टैक्स के लिए न्यूनतम सालाना आय को 2000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया. नमक पर से टैक्स हटाने और टैक्स आय में इजाफे से सरकार के राजस्व में जो कमी आई उसके लिए उन्होंने दो नए टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया.

काला बजट

वित्त वर्ष 1973-74 के बजट को काला बजट कहा जाता है. तब इंदिरा गांधी की सरकार थी. बजट को यशवंतराव बी चव्हाण ने पेश किया. 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध, सूखा पड़ने और कम बारिश से सरकार को भारी नुकसान हुआ. इसका असर बजट पर भी पड़ा. उस साल सरकार के बजट में 550 करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा दिखाया गया. यह उस समय बहुत बड़ी रकम थी. इस वजह से बजट को काला बजट कहा गया.

कैरेट एंड स्टिक बजट

वीपी सिंह के 28 फरवरी, 1986 को पेश किए बजट को ‘कैरेट एंड स्टिक’ बजट नाम दिया गया. इसमें कैरेट यानी गाजर को इनाम और स्टिक यानी छड़ी को दंड से संबंध था. इस बजट में एक तरफ सरकार ने MODVAT (मॉडिफाइड वैल्यू एडेड टैक्स) क्रेडिट पेश किया. इससे टैक्स के व्यापक प्रभाव से उपभोक्ताओं को रियायत मिली. वहीं, तस्करों, कालाबाजारी और टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ गंभीर अभियान शुरू किया. ये बजट भारत में लाइसेंस राज को खत्म करने की दिशा में भी पहला कदम था.

युगांतकारी बजट

1991 में भारत को आर्थिक तंगी से उबारने के लिए पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ‘युगांतकारी बजट’ लेकर आई. तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने इसे पेश किया था. ऐतिहासिक बजट ने लाइसेंस राज को समाप्त किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया. अगले 1 दशक देश में तेजी से विकास हुआ. कहा जाता है कि इस बजट ने भारत की किस्मत बदल दी. इसलिए इसे एपोकल यानी युगांतकारी कहा गया.

ड्रीम बजट

आजाद भारत के इतिहास में एक बजट को ड्रीम बजट का दर्जा मिला है. पी. चिदंबरम द्वारा 28 फरवरी, 1997 को पेश किए बजट में इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गई. काले धन को सामने लाने के लिए वॉलंटियरी डिस्क्लोजर ऑफ इनकम स्कीम लाॅन्च हुई. इसके अलावा, टैक्स प्रावधान को तीन अलग स्लैब में बांट दिया गया था. बजट की खूबियों की वजह से इसे ड्रीम बजट कहा गया.

मिलेनियम बजट

21वीं सदी का पहला बजट अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पेश किया. इसलिए, साल 2000 के बजट को मिलेनियम बजट नाम से जाना गया. इसमें आईटी सेक्टर को टैक्स में छूट दी गई. कंप्यूटर सहित 21 तरह के आईटी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई. देश में आईटी बूम का दौर शुरू हुआ.
बजट की एक बात और खास रही कि ये सुबह 11 बजे पेश हुआ. आजादी से पहले से ही बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे हुआ करता था. दरअसल, ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश होता था. उसी की घड़ी के हिसाब से भारत में शाम 5 बजे बजट पेश करने का सिलसिला चल रहा था. उस साल, यशवंत सिन्हा ने सालों पुरानी परंपरा तोड़ते हुए बजट को 11 बजे पेश किया.

रोलबैक बजट

मिलेनियम बजट के कुछ समय बाद साल 2002 में यशवंत सिन्हा ऐसा बजट लाए जिसे रोलबैक बजट के रूप में याद किया जाता है. इसके रसोई गैस की कीमत बढ़ाने, नए टैक्स प्रावधान जैसे फैसलों का जनता और खुद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया. बाद में सिन्हा ने बजट के कई ऐलानों को रोलबैक करने यानी वापस लेने की मांग मान ली.

हिंदू विरोधी बजट

इस बजट के पेश होने के बाद लियाकत अली पर गंभीर आरोप लगे थे. लोगों ने इस बजट को हिंदू विरोधी बजट करार दिया था. कारोबारियों ने आरोप लगाया था कि जानबूझकर उन्होंने इस तरह के टैक्स का प्रावधान लगाया है. कहा जाता था कि लियाकत हिंदू कारोबारियों के खिलाफ थे, इसलिए उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए ये बजट तैयार किया गया था.

पाकिस्तान के पहले पीएम

भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान की कमान लियाकल अली खान के हाथों में सौंप दी गई थी, उन्हें पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था. हालांकि वो ज्यादा दिनों तक वहां शासन नहीं कर पाए थे, चार साल बाद 1951 के दिन गोली मारकर उन्हीं हत्या कर दी गई थी.

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