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कौन हैं रामलला की मूर्ति को आकार देने वाले अरुण योगीराज?,MBA करके कॉरपोरेट वर्ल्ड में कर चुके हैं नौकरी


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नई दिल्लीः कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई ‘राम लला’ की मूर्ति अयोध्या में भव्य राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी। भगवान राम की मूर्ति बनाकर सुर्खियों में आए योगीराज अरुण मैसूर के रहने वाले हैं। वह प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों के वंश से आने वाले एक प्रतिष्ठित मूर्तिकार हैं। राम मंदिर में योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा में स्थापित की जाएगी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से लेकर राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने योगीराज अरुण को बधाई दी है।

राम मंदिर के लिए फाइनल हुई रामलला की मूर्ति

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, भव्य राम मंदिर के लिए तीन मूर्तियों का निर्माण 3 मूर्तिकारों गणेश भट्ट, योगीराज और सत्यनारायण पांडेय ने तीन पत्थरों से किया है। इसमें सत्यनारायण पांडेय की मूर्ति श्वेत संगमरमर की है, जबकि शेष दोनों मूर्तियां कर्नाटक के नीले पत्थर की हैं। इसमें गणेश भट्ट की प्रतिमा दक्षिण भारत की शैली में बनी थी। इस कारण अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन किया गया है। अरुण योगीराज बीते 6 माह से रोज 12 घंटे काम करके रामलला की मूर्ति तैयार कर रहे थे।

कौन हैं अरुण योगीराज?

शिल्पी के बेटे और 37 वर्षीय अरुण योगीराज मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से आते हैं। अरुण के पिता गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए भी कार्य कर चुके हैं। मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई कर चुके योगीराज पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अरुण की प्रतिभा की सराहना कर चुके हैं।अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकारों में से एक हैं। उन्होंने काफी कम उम्र में मूर्तिकला की दुनिया में कदम रखा था। अब तक वे काफी बड़ी-बड़ी हस्तियों की मूर्तियां बना चुके हैं। उनकी ही बनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति दिल्ली में स्थापित की गई थी। योगीराज अरुण अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी में मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने अपने पिता, दादा, बसवन्ना से प्रभावित होकर इस क्षेत्र में कदम रखा था। योगीराज अरुण के पूर्वज मैसरू में राजा के समय से इस काम को कर रहे हैं।

देशभर में मूर्तिकार अरुण योगीराज की बढ़ रही मांग

देश के अलग-अलग राज्यों में अरुण की तलाश इस मांग के चलते हो रही है कि अरुण के हुनर ​​से उपलब्धि हासिल करने वालों की प्रतिमाएं खड़ी की जाएं। बता दें कि इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति भी अरुण ने ही तराशी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले, पीएम मोदी की इच्छा थी कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर उनकी एक प्रतिमा स्थापित की जाए , जिसका अरुण योगीराज ने समर्थन किया था।

एमबीए की पढ़ाई और नौकरी भी

योगीराज अरुण मूर्तियों में जान डाल देते हैं। ताज्जुब की बात यह है कि वह थोड़े समय के लिए एमबीए करने के बाद कॉरपोरेट क्षेत्र में नौकरी भी कर चुके हैं। इसके बाद मूर्तिकला में झंडे गाड़ रहे हैं। योगीराज अरुण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मूर्तियाें में लगा ही नहीं उन्हें 2008 में कला के क्षेत्र में वापस खींच लाया था। योगीराज अरुण देश के सबसे ज्यादा व्यस्त मूर्तिकारों में से एक हैं। अरुण के पोर्टफोलियो में प्रभावशाली मूर्तियों की एक श्रृंखला है। इनमें सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति भी शामिल है। जो इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति के पीछे प्रमुखता लगी है। मूर्तिकला की दुनिया में उनके अन्य उल्लेखनीय योगदानों में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति से लेकर मैसूर में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा शामिल है।

इन मूर्तियों को भी बना चुके हैं योगीराज

अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी बनाई थी. मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृतशिला प्रतिमा, जयचामाराजेंद्र वोडेयार और कई अन्य मूर्तियां अरुण योगीराज के जरिए ही तराशी गई हैं.

नेहरू भी हुए थे मुरीद


साल 2022 में जब योगीराज अरुण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला था तब उन्होंने अपने परिवार के गौरवशाली अतीत को याद करते हुए फोटो साझा की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि पांच पीढ़ियों से उनका परिवार मूर्तिकला में हैं। उन्होंने लिखा था कि पिछली 5 पीढ़ियों से मूर्तिकला, इतिहास दोहराया गया! मेरे दादाजी बी.बसवन्ना शिल्पी 1952 में भारत के पहले प्रधान मंत्री से मिले थे, मुझे 2022 में हमारे प्रिय प्रधानमंत्री से मिलने का अवसर मिला।

बेटे को मूर्ति बनाते नहीं देख पाईं मां

अरुण योगीराज की मां सरस्वती ने बताया कि वह अपने बेटी की तरक्की को देखकर बहुत खुश हैं. उन्होंने कहना है कि उनके बेटे ने उन्हें भी भगवान राम की मूर्ति नहीं दिखाई थी. सरस्वती ने बताया, ‘यह हमारे लिए सबसे खुशी का पल है, मैं उन्हें मूर्ति बनाते हुए देखना चाहती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह मुझे आखिरी दिन ले जाएंगे. मैं प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अयोध्या जाऊंगी.’ उन्होंने बताया, ‘मैं अपने बेटे की तरक्की और उसकी सफलता देखकर खुश हूं. उसकी सफलता देखने के लिए उसके पिता मौजूद नहीं हैं. मेरे बेटे को अयोध्या गए 6 महीने हो गए हैं.’

पीएम मोदी भी कर चुके है तारीफ

अरुण योगीराज ने सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी. जिसे इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति स्थल के पीछे भव्य छतरी के नीचे पीएम मोदी ने स्थापित किया था. प्रधानमंत्री मोदी ने जब सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की थी उस दौरान मूर्तिकार अरुण योगीराज की भी तारीफ की थी. इतना ही नहीं अरुण योगीराज प्रधानमंत्री मोदी से भी मिल चुके हैं. इसके अलावा अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी जिसके बाद अरुण योगीराज चर्चा में आए. आज लाखों-करोड़ों राम भक्तों के आस्था के केंद्र राम मंदिर में अरुण योगीराज को रामलला की प्रतिमा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि अरुण योगीराज इसके लिए अपने आप को धन्य मानते हैं.

रामलला की मूर्ति तराशी

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य उडुप्पी पीठाधीश्वर विश्व तीर्थ प्रसन्नाचार्य बताते हैं कि कर्नाटक के मैसूर से आए कृष्ण श्यामल रंग के पत्थर से रामलला की प्रतिमा का निर्माण किया जाएगा. 5 वर्ष बालक समान भगवान राम लला की प्रतिमा बनाई जाएगी. कमल दल पर भगवान रामलला विराजमान होंगे हाथ में तीर और धनुष रामलला की प्रतिमा की शोभा बढ़ाएंगे.इतना ही नहीं कर्नाटक के मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज को राम लला की प्रतिमा बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी .

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले हैं। इस आयोजन के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं, जिसमें हजारों गणमान्य व्यक्तियों और समाज के सभी वर्गों के लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। अयोध्या में राम लला (शिशु भगवान राम) के प्राण-प्रतिष्ठा (अभिषेक) समारोह के लिए वैदिक अनुष्ठान मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी को शुरू होंगे।

14 जनवरी से 22 जनवरी तक अयोध्या में अमृत महाउत्सव

एएनआई के मुताबिक, वाराणसी के पुजारी लक्ष्मी कांत दीक्षित 22 जनवरी को राम लला के अभिषेक समारोह का मुख्य अनुष्ठान करेंगे। 14 जनवरी से 22 जनवरी तक अयोध्या में अमृत महाउत्सव मनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि 1008 हुंडी महायज्ञ का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाएगा। हजारों भक्तों को समायोजित करने के लिए अयोध्या में कई तम्बू शहर बनाए जा रहे हैं, जिनके भव्य अभिषेक के लिए उत्तर प्रदेश के मंदिर शहर में पहुंचने की उम्मीद है। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के मुताबिक, 10,000-15,000 लोगों के लिए व्यवस्था की जाएगी।

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