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अमेरिका ने लाल सागर में हूती विद्रोहियों पर की कार्रवाई,ईरान ने उठाया बड़ा कदम


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नई दिल्लीः इजरायल और हमास के युद्ध का तनाव लाल सागर में देखने को मिल रहा है। दुनिया के सबसे प्रमुख जलमार्गों में से एक में लगातार तनाव बढ़ रहा है। ईरान का अल्बोर्ज युद्धपोत लाल सागर में प्रवेश कर गया है। यमन के हूती विद्रोही लगातार इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन दाग रहे हैं। इसके अलावा हूती विद्रोही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग में व्यापारी जहाजों पर हमला कर रहे हैं। हूती विद्रोहियों को ईरान समर्थन देता रहता है। रविवार को हूती विद्रोहियों पर अमेरिका ने हमला किया था, जिसके बाद ईरान का युद्धपोत लाल सागर में पहुंचा है। ईरान का यह जहाज लाल सागर में तब पहुंचा जब अमेरिकी नौसेना का यूएसएस जेराल्ड फोर्ड एयर क्राफ्ट कैरियर मिडिल ईस्ट से हट रहा है।

अमेरिका ने लाल सागर में हूती विद्रोहियों पर की कार्रवाई

अमेरिका ने एक बार फिर से लाल सागर में हूती विद्रोहियों पर कार्रवाई की है। अमेरिका नौसेना ने लाल सागर में व्यापारी जहाज पर हूती विद्रोहियों के हमले को नाकाम करते हुए उसके तीन जहाज को डुबो दिया, जिसमें 10 आतंकवादी मारे गए। अमेरिका अधिकारी ने यह जानकारी दी है।रविवार को हूती विद्रोहियों ने यमन के पास मार्सक मालवाहक जहाज पर चढ़ने की कोशिश की। हूती विद्रोही चार नावों के जरिए गोलीबारी करते हुए जहाज के करीब पहुंचे। जहाज की ओर से मदद मांगी गई, जिसे अमेरिकी नेवी के आइजनहावर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने सुना। अमेरिकी नौसेना का एक हेलीकॉप्टर मदद के लिए पहुंचा। उसने हूती विद्रोहियों की 3 नाव को डुबो दिया, जिसमें कम से कम 10 विद्रोहियों की मौत मानी जा रही है। एक नाव भागने में कामयाब रही।

लाल सागर में 48 घंटे के लिए जहाजों की आवाजाही पर रोक

यूएस सेंट्रल कमांड ने बताया कि अमेरिकी आइजनहावर और यूएस ग्रेवली के हेलीकॉप्टर को एक संकटपूर्ण कॉल मिला, जिस पर कार्रवाई करते हुए हमलावरों को खदेड़ा गया। अमेरिका अधिकारी के मुताबिक, हूती विद्रोहियों पर हमला करने के बाद लाल सागर में सभी जहाजों की यात्रा पर 48 घंटों के लिए रोक लगा दी गई है।

सिंगापुर के व्यापारिक जहाज पर हूती विद्रोहियों ने किया था हमला

अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने एक बयान जारी कर बताया कि शनिवार को सिंगापुर का झंडा लगे एक व्यापारिक जहाज पर हूती विद्रोहियों ने हमला किया। हमले की जानकारी मिलने पर अमेरिका ने तुरंत अपने युद्धक जहाज मौके पर भेजे और हूती विद्रोहियों की दो एंटी शिप मिसाइलों को तबाह कर दिया। इसके बाद जब सिंगापुर का यह जहाज दक्षिणी लाल सागर में पहुंचा तो रविवार की सुबह फिर से हूती विद्रोहियों ने इस जहाज पर हमला किया। रविवार के हमले में हूती विद्रोहियों ने कई नावों में सवार होकर इस जहाज पर कब्जे का प्रयास किया।

अमेरिकी नौसेना की कार्रवाई में मारे गए हूती विद्रोही

इस पर अमेरिका ने अपने युद्धक जहाज के साथ ही सैन्य हेलीकॉप्टर मौके पर भेजे तो हूती विद्रोहियों ने अमेरिका के हेलीकॉप्टर पर गोलीबारी की। इस गोलीबारी के जवाब में अमेरिका के हेलीकॉप्टर से भी हूती विद्रोहियों को निशाना बनाया गया। अमेरिका की इस कार्रवाई में कई हूती विद्रोही मारे गए और उनकी तीन नावें भी डूब गईं। एक नाव मौके से भागने में सफल रही। इस कार्रवाई में अमेरिकी सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ है। हूती विद्रीहियों ने भी उनके 10 लोगों के मारे जाने की बात स्वीकार की है, साथ ही इसका अंजाम भुगतने की धमकी भी दी है। इस घटना के बाद लाल सागर इलाके में तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।

इस्राइल हमास युद्ध के बाद से लाल सागर में बढ़े व्यापारिक जहाजों पर हमले

बता दें कि बीती 19 नवंबर से अब तक लाल सागर और अरब सागर के अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर व्यापारिक जहाजों पर 23 बार हमले हुए हैं। इस्राइल हमास युद्ध के चलते ये हमले हो रहे हैं। दरअसल ईरान समर्थित हूती विद्रोही फलस्तीन के लोगों के समर्थन में और गाजा में इस्राइली कार्रवाई के खिलाफ ये हमले कर रहे हैं।

2009 से काम कर रहा ईरान

ईरानी मीडिया ने लाल सागर में अलबोर्ज युद्धपोत की तैनाती का कोई विशेष कारण नहीं बताया। लेकिन यह जरूर बताया कि ईरानी सैन्य जहाज 2009 से इस क्षेत्र में काम कर रहे थे। तस्नीम न्यूज एजेंसी ने कहा, ‘अल्बोर्ज विध्वंसक लाल सागर के दक्षिणी सिरे पर बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य से होता हुआ, लाल सागर में प्रवेश कर गया, जो हिंद महासागर में अदन की खाड़ी से जुड़ता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि नौसैनिक बेड़ा 2009 से शिपिंग लेन सुरक्षित करने, समुद्री डाकुओं को पीछे हटाने समेत अन्य उद्देश्यों के लिए इस क्षेत्र में है।

अमेरिका सेना के हमले में 10 हूती विद्रियों की मौत

वहीं, हूती विद्रोहियों के एक प्रवक्ता ने कहा कि समूह ने हमला इसलिए किया क्योंकि जहाज के चालक दल ने चेतावनी कॉल पर ध्यान देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बताया कि लाल सागर में अमेरिकी सेना द्वारा उनकी नौकाओं पर हमला करने के बाद 10 हूती नौसैनिकों की या तो मौत हो गई है या फिर वह लापता हो गए हैं।

जहाजों के लिए खतरा

व्यापारी जहाजों पर यमन के हूती विद्रोहियों के हमले के बाद दिसंबर की शुरुआत में अमेरिका ने लाल सागर में एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक टास्क फोर्स का गठन किया। कई शिपिंग कंपनियों ने खतरों को देखते हुए इस रास्ते को व्यापार के लिए निलंबित कर दिया है। हूतियों का कहना है कि उनका हमला फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए है। दरअसल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास की ओर से आतंकी हमला किया गया था। इस हमले के बाद से इजरायल गाजा पर बमबारी कर रहा ह

कौन हैं हूती विद्रोही

  • साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
  • इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
  • अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का।
  • देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।

2014 में कैसे शुरु हुई थी यमन की जंग?

  • साल 2014 में यमन में गृह युद्ध की शुरुआत हुई। इसकी जड़ शिया और सुन्नी विवाद में है। दरअसल यमन की कुल आबादी में 35% की हिस्सेदारी शिया समुदाय की है जबकि 65% सुन्नी समुदाय के लोग रहते हैं। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद रहा था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत हुई तो गृह युद्ध में बदल गया। 2014 आते-आते शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
  • इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। देश बदलाव के दौर से गुजर रहा था और हादी स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
  • अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का। देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।

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