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टेक्नोलॉजी

2024 में 10 बड़े मिशन पर काम करेगा ISRO


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नई दिल्लीः स्पेस के लिहाज से साल 2023 भारत और दुनिया के लिए काफी अहम रहा. अब दुनिया की निगाहें 2024 के कई प्रमुख अभियानों पर हैं. इनमें लोग अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा, यूरोप स्पेस एजेंसी ईसा, भारत के इसरो और चीन के अंतरिक्ष अभियानों के अलावा दुनिया कई देशों के अभियानों पर नजर रखे हुए हैं. इनमें चंद्रमा के लिए अभियान विशेष हैं. वहीं कुछ अभियानों की तैयारियों पर निगाह होगी.

PSLV-C58-XPoSat मिशन लॉन्च करने की तैयारी

नए साल के पहले दिन ही यानी 1 जनवरी को ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दुनिया को अपना दम दिखाने की तैयारी में है। इसरो नए साल के दिन PSLV-C58-XPoSat मिशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले आज यानी 31 को इसरो ने एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट लॉन्च का लाइव स्ट्रीमिंग डिटेल शेयर किया है। XPoSat का पूरा नाम एक्स-रे पोलरिमेट्री सैटेलाइट है। इसकी लॉन्चिंग के लिए इसरो पूरी तरह से तैयार है।

क्या कहा इसरो ने

इसरो द्वारा शेयर की गई लाइव स्ट्रीमिंग डिटेल में बताया गया है कि PSLV-C58/ XPoSat मिशन: एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) का लॉन्च1 जनवरी, 2024 को 09:10 बजे निर्धारित किया गया है। प्रथम लॉन्च-पैड, SDSC-SHAR, श्रीहरिकोटा से आईएसटी लॉन्च को 08:40 बजे से लाइव देखा जा सकता है। बता दें कि इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा।

वैज्ञानिकों ने की पूजा

वहीं लॉन्चिंग से पहले इसरो के वैज्ञानिक तिरुमाला के श्रीवेंकटेश्वर मंदिर पहुंचे। वैज्ञानिकों ने नए साल पर उपग्रह की लॉन्चिंग से पहले की पूजा मंदिर में पूजा की। मंदिर पहुंचने वाले इसरो के वैज्ञानिकों में अमित कुमार पात्रा, विक्टर जोसेफ, यशोदा, श्रीनिवास थे।

क्या है एक्सपोसैट

एक्सपोसैट(एक्स पोलारिमीटर सैटेलाइट) आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान करने वाला इसरो का पहला उपग्रह हैँ। सैटेलाइट कॉन्फिगरेशन को आईएमएस-2 बस प्लेटफॉर्म से संशोधित किया गया है। इसमें पोलिक्स (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण) और एक्सस्पेक्ट (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) दो पेलोड हैं। पोलिक्स को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा और एक्सस्पेक्ट को यू.आर.राव उपग्रह केंद्र के स्पेस एस्ट्रोनॉमी ग्रुप द्वारा बनाया गया है.

क्या करेगी यह सैटेलाइट

एक्सपोसैट(एक्स पोलारिमीटर सैटेलाइट) इसरो का पहला उपग्रह है जो आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान कर सकेगा। यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी की निचली कक्षा में दो वैज्ञानिक पेलोड ले जाएगा। यह मिशन देश का पहला समर्पित पोलारिमीटर मिशन है। यह चमकीले तारों की भी स्टडी करेगा। इससे न्यूट्रॉन स्टार्स, पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनरिज, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लि और नॉन-थर्मल सुपरनोवा के बारे में भी जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी। इससे अंतरिक्ष के कई रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद मिलेगी।

इसरो के इस मिशन का उद्देश्य

पोलिक्स पेलोड द्वारा थॉमसन स्कैटरिंग के जरिए लगभग 50 संभावित ब्रह्मांडीय स्रोतों से निकलने वाले ऊर्जा बैंड 8-30keV में एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापना एक्सस्पेक्ट पेलोड द्वारा ऊर्जा बैंड 0.8-15keV में ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों का दीर्घकालिक वर्णक्रमीय और अस्थायी अध्ययन करना। सामान्य ऊर्जा बैंड में क्रमशः पोलिक्स और एक्सस्पेक्ट पेलोड द्वारा ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का ध्रुवीकरण और स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप करना।

गगनयान मिशन के तहत लॉन्च होंगे दो मानव रहित मिशन

जितेंद्र सिंह ने बताया कि ISRO अपने सबसे नए लॉन्च व्हीकल SSLV की तीसरी डेवलपमेंट फ्लाइट के साथ एक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन सैटेलाइट भी लॉन्च करेगा। इसके अलावा गगनयान मिशन के तहत दो मानव रहित मिशन लॉन्च करने की भी योजना है।इसके अलावा अबॉर्ट की स्थितियों में गगनयान के क्रू एस्केप सिस्टम को मान्य करने लिए एक टेस्ट व्हीकल की मदद से कई सब-ऑर्बिटल मिशनों को लॉन्च करने की योजना है।

चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में ट्रांसफर किया।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, यानी ISRO ने हॉप एक्सपेरिमेंट के बाद एक और यूनीक एक्सपेरिमेंट में चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में ट्रांसफर किया। ये एक्सपेरिमेंट इसरो के चंद्रयान-4 मिशन के लिहाज से काफी अहम है। चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा का सॉइल सैंपल पृथ्वी पर लाया जाएगा।

साल 2024 के बड़े स्पेस मिशन

  • साल 2024 में नासा का आर्टिमिस 2 अभियान एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा का चक्कर लगवाएगा. इस तरह का अभियान करीब 50 साल बाद हो रहा है. यह नासा के आर्टिमिस अभियान का दूसरा चरण होगा जिसमें चार यात्री 8 दिन के अभियान में स्पेस एक्स के ओरियोन यान से चंद्रमा का चक्कर लगाएंगे.
  • इस साल एक बड़ा अभियान जिस पर दुनिया की निगाह है. वह ईसा का यूरोपा क्लिपर है जिसे नासा गुरु ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा यूरोपा के लिए प्रक्षेपित करेगा. यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है लेकिन उसकी पूरी की पूरी सतह मोटी बर्फ की चादर से ढकी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी बर्फीले खोल के अंदर नमकीन पानी के महासागर हैं जहां जीवन हो सकता है. क्लिपर यूरोपा के 50 चक्कर लगाकर इसी की पड़ताल करेगा.
  • चंद्रमा पर 2023 में जहां भारत के चंद्रयान 3 ने उतर कर इतिहास रचा था. उसी कड़ी में जापान का स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टीगेंटिंग मून यानी स्लिम पर सभी की निगाहें अभी से हैं. वैसे तो यह 6 सिंतबर 2023 को प्रक्षेपित हो चुका है, लेकिन अभी यह चंद्रमा की कक्षा में हैं और 19 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करने की कोशिश करेगा. सफल होने पर जापान, सोवियत संघ, अमेरिका, चीन और भारत के समूह में शामिल हो जाएगा.
  • चंद्रमा पर लंबे मानवीय आवास के लिए कई अभियानों की तैयारी है. इनमें से एक 2024 के आखिर में चंद्रम के दक्षिणी ध्रुव पर वोलेटाइल पोलर एकसप्लोरेशन रोवर, वाइपर अभियान जाएगा. जिसमें नासा का गोल्फ कार्ट के आकार का रोवर चंद्रमा पर पानी की तलाश करेगा.
  • नासा ने हाल ही में कम लागत वाले छोटे अभियानों, जिन्हें स्मॉल, इनोवेटिव मिशन्स फॉर प्लैनेटरी एक्प्लोरेशन, सिम्पलेक्स में भारी निवेश किया है. इन्हें अन्य प्रक्षेपणों के साथ लॉन्च किया जाएगा जिससे अभियानों की लागत कम रहेगी. वाइपर की तरह ट्रेलब्लेजर अभियान चंद्रमा पर पानी की तलाश करेगा. ट्रेल ब्लैजर चंद्रमा की सतह पर नहीं उतरेगा बल्कि उसकी कक्षा से पानी की पड़ताल करेगा. ट्रेलब्लेजर के साथ ही प्राइम वन अभियान भी भेजा जाएगा जो चंद्रमा पर खादाई का काम करेगा. यह वाइपर के रोवर के लिए बहुत उपयोगी होगा.
  • भारत का गगनयान अभियान का भारत के लोगों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को इंतजार है. खास तौर से नासा देखना चाहता है कि भारत अंतरिक्ष में यात्री भेजने की क्षमता कितनी जल्दी हासिल करता है. 2024 में भारत की स्पेस एजेंसी इसरो गगनयान अभियान का पहले चरण प्रक्षेपित करेगा. इसमें अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस में पहुंचाने वाले रॉकेट और अंतरिक्ष यान का परीक्षण होगा. अगर सब कुछ योजना अनुसार हुआ तो इसका दूसरा चरण भी इसी साल के अंत में पूरा कर लिया जाएगा. दूसरे चरण में अंतरिक्ष यान की रीएंट्री और लैंडिंग को जांचा जाएगा.
  • मंगल पर अभी तक नासा के बाद भारत और चीन ने हाल के सालों में अभियान भेजे हैं. इसमें जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा का नाम भी जुड़ने वाला है. 2024 में जाक्सा एक खास रोबोटिक अभियान भेजेगा जिसका नाम मार्शयन मून एक्स्प्लोरेशन या एमएमएक्स होगा जो मंगल के चंद्रमाओं फोबोस और डीमोस पर यान पहुंचाएगा. इसके जरिए इन चंद्रमाओं के नमूने भी पृथ्वी पर लाए जाएंगे.
  • हीरा यूरोपीय स्पेस एजेंसी, ईसा का अभियान है जो डिडिमोस- डिमोर्फोस क्षुद्रग्रह तंत्र पर यान भेजेगा और इस क्षुद्रग्रह के जोड़े का अध्ययन करेगा. ये दोनों वहीं क्षुद्रग्रह हैं जहां पर नासा के डार्ट अभियान ने ग्रह की रक्षा का एक सिस्टम का परीक्षण किया था. इसमें डिमोर्फोस से टकारव से उसकी कक्षा में बदलाव करने का प्रयास किया गया था.
  • 2024 दुनिया के कई शक्तिशाली रॉकेट के परीक्षण का भी गवाह बनेगा. इनमें स्पेस एक्स का स्टारशिप रॉकेट का तीसरा परीक्षण होगा, तो वहीं वाल्कन सेंटॉर, सिएरा स्पेस ड्रीम चेसर जैसे शक्तिशाली रॉकेट के भी परीक्षण होंगे. इसके अलावा ईसा का एरिएन 6 रॉकेट के पहले प्रक्षेपण की तैयारियां चल रही हैं.

ब्लैक होल का भी अध्ययन करेगा उपग्रह

पीएसएलवी-सी58 रॉकेट अपने 60वें मिशन में प्राथमिक पेलोड एक्सपोसै(XPoSat ) और 10 अन्य उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में तैनात करेगा। चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित इस स्पेसपोर्ट के पहले लॉन्च पैड से एक जनवरी को सुबह 9.10 बजे उड़ान भरने के लिए रविवार को 25 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो गई हैं। गौरतलब है कि इसरो के अलावा अमेरिका स्थित नेशनल एयरोनॉटिक्स स्पेस एजेंसी (NASA) ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोटों के अवशेषों, ब्लैक होल द्वारा उत्सर्जित कण धाराओं और अन्य ब्रह्मांडीय घटनाओं पर एक समान अध्ययन – इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर मिशन आयोजित किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि भारत में इमेजिंग और टाइम डोमेन अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अंतरिक्ष-आधारित एक्स-रे खगोल विज्ञान स्थापित किया गया है। सोमवार का दिन वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन हैं। 

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