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किसान का बेटा है हिमांशु राय , IIM से पढ़ा, बाद में बना IIM का ही डायरेक्‍टर, दिलचस्‍प है पूरी कहानी


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नई दिल्लीः प्रतिभाएं अपना मुकाम खुद बना लेती हैं, उन्‍हें बहुत संसाधनों की जरूरत नहीं रहती. बाद में यही प्रतिभाएं तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा बन जाती हैं. आज जो कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, वह भी कुछ ऐसी ही है. यह कहानी है उत्‍तर प्रदेश के एक किसान परिवार के लड़के की, जिसकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई गांव से हुई, उसके बाद आईआईएम में पढ़कर बाद में आईआईएम का ही डायरेक्‍टर बन गया. उनका नाम है हिमांशु राय, जो वर्तमान में आईआईएम इंदौर के डायरेक्‍टर हैं

प्रो. राय का कार्यकाल अब 31 दिसंबर 2028 तक रहेगा

भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) ने प्रो. हिमांशु राय को संस्थान के निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त करने की घोषणा की है। इससे उनका कार्यकाल अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ गया है। बीओजी के अध्यक्ष एम एम मुरुगप्पन ने प्रो. राय के सफल नेतृत्व और संस्थान में उल्लेखनीय योगदान पर विश्वास व्यक्त करते हुए यह खबर साझा की। प्रो. राय का कार्यकाल अब 31 दिसंबर 2028 तक रहेगा।

आईआईएम में पढ़कर बाद में आईआईएम का ही डायरेक्‍टर

प्रतिभाएं अपना मुकाम खुद बना लेती हैं, उन्‍हें बहुत संसाधनों की जरूरत नहीं रहती. आज जो कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, वह भी कुछ ऐसी ही है. यह कहानी है उत्‍तर प्रदेश के एक किसान परिवार के लड़के की, जिसकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई गांव से हुई, उसके बाद आईआईएम में पढ़कर बाद में आईआईएम का ही डायरेक्‍टर बन गया. उनका नाम है हिमांशु राय, जो वर्तमान में आईआईएम इंदौर के डायरेक्‍टर हैं.

हिमांशु राय का कार्यकाल पांच साल के लिए बढ़ा

उन्होंने कहा कि हमें आईआईएम इंदौर के साथ प्रो. हिमांशु राय की यात्रा को जारी रखने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और अटूट समर्पण ने संस्थान को ऊंचाइयों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आईआईएम इंदौर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष एम. एम. मुरुगप्पन ने कहा। प्रो. राय के नेतृत्व ने आईआईएम इंदौर को उत्कृष्टता के मार्ग पर अग्रसर किया है, भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित किया है और अकादमिक प्रतिभा के प्रतीक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, इस पुनर्नियुक्ति के साथ, हम प्रो. राय की दूरदर्शी दृष्टि में अपने विश्वास की पुष्टि करते हैं और आईआईएम इंदौर के और भी उज्जवल भविष्य की आशा करते हैं।

हिमांशु राय की शुरुआती समय गांव में ही गुजरा

कहते हैं कि आपके अंदर कुछ करने जज्‍बा है, तो आप अपना मुकाम बना ही लेंगे. उत्‍तर प्रदेश के देवरिया जिले के छोटे से गांव कतौरा निवासी हिमांशु राय की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. हिमांशु राय की शुरुआती समय गांव में ही गुजरा. खेती से सीमित आमदनी की वजह से उनके पिताजी राजेन्‍द्र राय आडिनेंस फैक्ट्री कानपुर में नौकरी करने लगे. हिमांशु राय बताते हैं कि उन्‍होंने वह दिन भी देखे जब एक ही कमरे में मां पिताजी समेत भाई व चचेरे भाई बहन के साथ गुजारा करना पड़ा, लेकिन कुछ करने का हौसला कम नहीं हुआ.

हिमांशु राय ने एनआईटी कर्नाटक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

उन्होंने मेहनत और पढ़ाई को अपना हथियार बनाया. हिमांशु राय ने एनआईटी कर्नाटक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग किया. इसके बाद उन्‍हें टाटा स्‍टील जमशेदपुर में नौकरी मिल गई, जहां उन्‍होंने 8 साल तक नौकरी की. यहां उन्‍होंने काफी काम किया और सामाजिक रूप से भी काफी सक्रिय रहे. यहां इन्होंने पर्वतारोहण, क्विजिंग, थियेटर इत्यादि में भी नाम कमाया.

कितने पढ़े लिखे है हिमांशु राय

हिमांशु राय बताते हैं कि उनके नाना नानी बंटवारे के समय पाकिस्‍तान के एक गांव से विस्‍थापित होकर कानपुर आकर बसे थे. उनके परनाना पं. किशनलाल शर्मा लड़कियों के लिए संस्कृत का गुरुकुल चलाते थे और पाकिस्तान के कटासराज मंदिर के पुरोहित थे, जिनकी प्रेरणा से माताजी ने संस्कृत में बीए, बीएड, एमए, एमएड, पीएचडी व डी लिट किया, इसलिए उनको संस्कृत की शिक्षा व संस्‍कार विरासत में मिले. ऐसे में उनकी भी रूचि पढ़ने लिखने और दर्शन, वेद से लेकर प्रकृति में काफी रहती थी.

जिम्मेदार वैश्विक नागरिक तैयार करेंगे हम

इस मौके पर प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि आईआईएम इंदौर के निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त किया जाना एक बहुत बड़ा सम्मान है और मैं अभिभूत हूं। मुझ पर दिए गए अटूट विश्वास के लिए मैं आभार मानता हूं और इस प्रतिष्ठित संस्थान को उत्कृष्टता की और भी अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने कहा, मैं एक ऐसे आईआईएम इंदौर की कल्पना करता हूं जो शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे और न केवल असाधारण प्रबंधकों बल्कि जिम्मेदार वैश्विक नागरिकों को भी तैयार करे।

आईआईएम इंदौर को तीन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं हासिल की

प्रो. राय के नेतृत्व में, आईआईएम इंदौर को तीन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं हासिल की, जिसमें एएमबीए की पुनः मान्यता और 2019 में एएसीएसबी मान्यता और 2023 में इक्विस से पुनः मान्यता प्राप्त करना शामिल है। यह प्रतिष्ठित “ट्रिपल क्राउन” मान्यताएं आईआईएम इंदौर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकादमिक क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करवाती हैं। हिमांशु राय ने कहा कि अब आईआईएम इंदौर वैश्विक स्तर के उन नवाचारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो दुनियाभर में अपने सकारात्मक बदलावों के लिए जाने जाएंगे।

10 साल तक आईआईएम लखनऊ में पढ़ाते

एक बार वह किसी पहाड़ी इलाके में घूमने गए और वहीं बैठकर एक किताब पढ़ रहे थे. इसी दौरान उन्‍हें कैट (CAT) के एग्‍जाम देने का विचार आया. इसके बाद कैट का पेपर देने के बाद नौकरी से रिजाइन कर दिया. हिमांशु को उनके घर वाले और परिजनों ने बहुत समझाया कि नौकरी छोड़कर उन्‍होंने सही नहीं किया, लेकिन जब कैट का रिजल्‍ट आया तो हिमांशु का सेलेक्‍शन आईआईएम अहमदाबाद के लिए हो गया, वहां से उन्‍होंने इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के तहत पीएचडी भी कर ली. पीएचडी करने के बाद वह एकेडमिक सेक्‍टर में आ गए और एक्‍सएलआरआई जमेशदपुर में बतौर प्रोफेसर नौकरी करने लगे. इसके बाद वह 10 साल तक आईआईएम लखनऊ में पढ़ाते रहे.

हिमांशु राय ने कही ये बात

हिमांशु यहीं नहीं रूके, यहां से उनका सेलेक्‍शन इटली के बोकोनी यूनिवर्सिटी के इंडिया कैंपस के डीन के रूप में हो गया और वह 2 साल तक वहां इस पद पर रहे. इसके बादिछले 5 साल से अधिक समय से वह आईआईएम इंदौर के डायरेक्‍टर पद पर कार्यरत हैं. उनकी विशेष रूचि योगा वेद उपनिषदों में हैं. योगा व घरेलू चिकित्‍सा पद्धतियों को लेकर उनकी जल्‍द ही एक किताब आने वाली है. हिमांशु कहते हैं कि युवाओं को खुद पर भरोसा रखना चाहिए और अपने लक्ष्‍य पर ध्‍यान रखना चाहिए. सफलता जरूर मिलेगी.

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