Geeta Jayanti 2023: कब और क्यों मनाई जाती है गीता जयंती
नई दिल्ली – इस साल 22 दिसंबर को गीता जयंती है. मान्यता है कि जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन उपवास करने की मान्यता है. गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है. साथ ही समस्त पापों से भी छुटकारा मिलता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था.महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है.
चारों वेदों का सार गीता में
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितना महाभारत के समय कुरुक्षेत्र युद्ध के मैदान में अर्जुन के लिए था. गीता ज्ञान से मनुष्य को जीवन की सही राह मिलती है.हिंदू धर्म में चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद है. इन चारों वेदों का सार गीता में मिलता है. यही कारण है भगवत गीता को हिंदू धर्म का पवित्र और सर्वमान्य धर्मग्रंथ माना जाता है. इसकी महत्ता इतनी है कि, यदि कोई गीता को स्पर्श कर ले तो वह झूठ नहीं बोलता है.
हर साल जयंती मनाई जाती
गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी हर साल जयंती मनाई जाती है. गीता को श्रीमद्भगवद्गीता और गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से समस्त कठिनाइयों और शंकाओं का निवारण होता है.गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए उपदेशों पर चलने से व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है. गीता के उपदेश में जीवन को जीने की कला, प्रबंधन और कर्म सब कुछ है। इसलिए इस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए.
श्रीमद्भागवत गीता की महत्वपूर्ण बातें
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत्यु होने वाले के लिए जन्म लेना, इसलिए जो अपरिहार्य है उसपर शोक मत करो.
क्रोध भम्र से पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट हो जाता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.
व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.
कोई व्यक्ति अपने जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है.
वासना, क्रोध और लोभ ये नरक के तीन द्वार हैं.
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रण में नहीं रख सकता, वह शत्रु के समान कार्य करता है.