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Constitution Day 2023: संविधान दिवस आज, जानिए इसके पीछे का इतिहास और महत्व


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नई दिल्लीः हमारे देश का संविधान कई सिद्धांतों को समेटे है जिनके आधार पर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मौलिक राजनीतिक सिद्धांत प्रक्रियाएं अधिकार दिशा-निर्देश कानून वगैरह तय किए गए हैं। 26 नवंबर 1949 में भारतीय संविधान सभा की ओर से संविधान को अंगीकार किया गया था। संविधान दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत साल 2015 से की गई।

संविधान दिवस आज

भारतीय इतिहास में 26 नवंबर 1949 का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन को खास बनाने के लिए हर साल भारत में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास और गौरवान्वित महसूस करने का दिन है. यही वह दिन है जब वो किताब बनकर तैयार हुई थी और पूरे भारत के लोगों को आजादी व समानता के साथ जीने का अधिकार मिला था. आज संविधान दिवस के मौके पर हम आपको इससे जुड़ी कुछ रोचक बाते बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं.

क्यों मनाया जाता है Constitution Day

जैसा कि हमें मालूम है, संविधान दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी मुख्य ये है कि 26 नवंबर 1949 में भारतीय संविधान सभा की ओर से संविधान को अंगीकार किया गया था। संविधान दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत साल 2015 से की गई।26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किए जाने के बाद देश में इसे लागू करने में कुछ महीने का वक्त लगा।26 जनवरी 1950 को संविधान पूरी तरह से लागू कर दिया गया। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।

क्यों लिया गया संविधान दिवस मनाने का फैसला

साल 2015 में संविधान के जनक डॉ. बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके संविधान दिवस मनाने की नींव साल रखी गई थी. 26 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को संविधान दिवस के रूप मे मनाने के लिए केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था.

26 नवंबर को क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस-

दरअसल, हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ था लेकिन इसके बनने के 2 महीने बाद यानी कि, 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू किया गया. इसलिए 26 नवंबर का दिवस संविधान दिवस और कानून दिवस का दिन होता है इसलिए हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. वहीं 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

कैसे है संविधान दिवस 26 जनवरी से अलग?

हमारा संविधान 26 नवम्बर 1949 को पुरे 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन की मेहनत और समर्पण के बाद पूरी तरह से तैयार हुआ था, इसलिए इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, जबकि 26 जनवरी 1950 को पुरे देश में संविधान लागू हुआ था अर्थात् हमारा देश गणतंत्र बना था, इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. हालांकि संविधान दिवस 26 नवम्बर 1949 से ही नही मनाया जा रहा है, पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाते थे. 26 नवम्बर 2015 को पहली बार राष्ट्रीय कानून दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाया गया था.

19 नवम्बर 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने गैजेट लाकर पहली बार इसे मनाने के लिए अधिसूचित किया था. इससे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2015 को मुंबई में बीआर अंबेडकर की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी स्मारक की आधारशिला रखते हुए यह घोषणा की थी.

महत्व

भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए संविधान दिवस को मनाने का फैसला लिया गया था। भारत का संविधान कई सिद्धांतों को समेटे है, जिनके आधार पर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मौलिक, राजनीतिक सिद्धांत, प्रक्रियाएं, अधिकार, दिशा-निर्देश, कानून वगैरह तय किए गए हैं।

क्यों खास है संविधान

आपको बता दें कि, भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है. भारत के संविधान के कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिये गये हैं. संविधान में देश के नागरिकों के मौलिक अधिकार, कर्तव्यों , सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है.

संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है

संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देना है। इसीलिए इस दिन स्कूल और कॉलेजों में भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़ाया जाता है। संविधान बनने की प्रक्रियाओं को लोगों को बताया जाता है. इसके पीछे संविधान निर्माताओं को सोच और आकाँक्षाओं को समझाया जाता है. इसके साथ ही भारत के संविधान की विशेषता और महत्व पर भी चर्चा की जाती है।

संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया था. बीआर अंबेडकर द्वारा लिखित भारत के संविधान को एक अमेरिकी इतिहासकार ने ‘सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज’ बताया है.। इसमें कई देशों के संविधान को आंशिक रूप से अपनाया गया है। इसके अनेक बिंदु दक्षिण अफ्रीका, रूस, यूके, अमेरिका , जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं।डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित भारत के संविधान को अमेरिकी इतिहासकार ग्रेनविले सेवार्ड ऑस्टिन ने सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज के रूप में परिभाषित किया था. डॉ अम्बेडकर ने संविधान सभा की प्रारूप समिति की अध्यक्षता की और संविधान के प्रारूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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