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मासिक जन्माष्टमी पर शुक्ल योग समेत बन रहे हैं ये संयोग,अहोई अष्टमी पर भूलकर भी ना करें ये काम


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नई दिल्लीः हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार, कार्तिक माह में 5 नवंबर को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ में अपने परम शिष्य अर्जुन से कहते हैं- हे वत्स! मेरे शरणागत हो! तुम्हें सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर शुक्ल योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन संयोग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

माताएं अपने बच्चों के निर्जला व्रत रखती हैं


इस साल अहोई अष्टमी 05 नवंबर को मनाई जाएगी. इस साल अहोई अष्टमी में बेहद शुभ योग बन रहा है. जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्यमित्र योग का निर्माण हो रहा है. वहीं इस दिन माताएं अपने बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिये निर्जला व्रत रखती हैं. माताओं के व्रत रखने से बच्चों पर आने वाली सारी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं, लेकिन इस दौरान व्रतियों के लिए कुछ कार्य वर्जित होते हैं. ऐसा करने से बच्चे के ऊपर नकरात्मक प्रभाव पड़ता है .

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 05 नवंबर (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 12 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 06 नवंबर को देर रात 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।

शुक्ल योग

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। शुक्ल योग का निर्माण 05 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 37 मिनट से लेकर 06 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट तक है। इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

करण

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर बालव और कौलव करण का निर्माण हो रहा है। बालव करण का निर्माण दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक है। इसके बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष दोनों ही करण को शुभ मानते हैं। इन करणों में शुभ कार्य कर सकते हैं।

सर्वार्थ सिद्धि योग

कृष्ण जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 10 बजकर 29 मिनट तक है।

माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा अराधना

सनातनधर्म में अहोई अष्टमी का बड़ा- महत्व है. अहोई अष्टमी के दिन मां अपने बच्चों के लिये व्रत रखती है. ऐसा करने सें बच्चो पर आने वाली सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. वहीं अहोई अष्टमी हर साल कार्तिक माह की अष्टमी तिथी को मनायी जाती है. अहोई अष्टमी में महिलाएं अपने बच्चों के लिये दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चन्द्रमा और तारा देखने के बाद व्रत तोड़ती है. अहोई अष्टमी के दिन विशेष कर माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा अराधना की जाती है. इस दिन विशेष कर माताओं के लिये कुछ कार्यों की मनाही होती है.

अहोई अष्टमी 2023 पर क्या करें

अहोई अष्टमी पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करें। ऐसा करने से घर में पारिवारिक शांति (पारिवारिक शांति के उपाय) बनी रहेगी, परिवार के लोगों के बीच प्यार बढ़ेगा और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होगी।
अहोई अष्टमी के दिन पूजा करने के बाद व्रत पारण करते समय गाय को 7 प्रकार के अनाज खिलाएं। साथ ही, 7 प्रकार के अनाज गरीबों को दान करें। ऐसा करने से घर की उन्नति होगी और घर में बरकत बनी रहेगी।अहोई अष्टमी और इस दिन माताओं को क्या नहीं करना चाहिए?

अहोई अष्टमी पर ये ना करें

अहोई अष्टमी को धातु के बर्तन से ही चन्द्रमा को अर्घ्य दें. इस दौरान भूलकर भी तांबे के बर्तन का इस्तेमाल ना करें. चांदी या स्टील के बर्तन से ही अर्घ्य अर्पित करें.
अहोई अष्टमी के दिन व्रत के दौरान बिल्कुल भी ना सोएं. ऐसा करने सें व्रत का अशुभ प्रभाव पड़ सकता है.
अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी को बिल्कुल भी हाथ ना लगाएं. मिट्टी सें जुड़े कोई भी काम ना करें. ऐसा करना आपके बच्चो के लिये नुकसानदायक हो सकता है.
अहोई अष्टमी के दिन किसी भी तरह के वाद विवाद से बचें. इससे भगवान शिव और माता पार्वती नाराज होते हैं और व्रत का अशुभ प्रभाव पड़ेगा.
अहोई अष्टमी के दिन नुकिली चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें. जैसे चाकू, सुई, कील आदि का प्रयोग ना करें. उस दिन इन सब चीज़ों का इस्तेमाल वर्जित माना गया है.
अहोई अष्टमी के दिन तुलसी के पत्तों को भूलकर भी हाथ ना लगाएं. तुलसी के पत्तों को तोड़ना बच्चे के लिये नुकसानदायक हो सकता है.

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