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ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के झंडे के कोने में बना होता है ब्रिटेन का झंडा,जानें वज़ह


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नई दिल्लीः आपने भारत का झंडा देखा होगा. ऐसे ही दुनिया में हर देश के पास अपना फ्लैग है.विश्व के हर एक देश के पास अपना-अपना ध्वज है, जो उस देश का प्रतिनिधित्व करता है. सभी देशों ने अपनी मातृभूमि से जुड़ी चीजों को ध्यान में रखते हुए अपना राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन किया है. हमारे भारत देश के झंडे में मौजूद हर रंग और चिन्ह किसी न किसी महत्वपूर्ण चीज का प्रतीक है, जिनसे हम प्रेरित होते हैं, लेकिन दुनिया के दो देश ऐसे भी हैं, जिनके फ्लैग यह बाकी देशों के झंडों से अलग हैं.

कोई देश दूसरे देश का झंडा इस्तेमाल कैसे कर सकता है ?

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के पास भी है, लेकिन यह बाकि देशों से अलग है. इसमें कुछ खास बात है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के झंडे के कोने में ब्रिटेन का झंडा बना होता है. ऐसा आपको और किसी भी देश के झंडे के साथ देखने को नहीं मिलता है. आप अगर किसी व्यक्ति की कोई चीज ले लेते हैं, उस ब्रांड के नाम से जुड़ा कोई चीज इस्तेमाल कर लेते हैं तब आपके ऊपर कॉपीराइट लग जाता है. ऐसे में कोई देश दूसरे देश का झंडा इस्तेमाल कैसे कर ले रहा है.

नेशनल फ्लैग हर देश की पहचान होती है

नेशनल फ्लैग हर देश की पहचान होती है. आमतौर पर आपने हर देश का अलग नेशनल फ्लैग देखा होगा. लेकिन ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का झंडा देखने में अलग है. ध्‍यान से देखें तो दोनों में एक समानता आपको नजर आएगी. दोनों झंडों के कोने में ब्रिटेन का झंडा बना हुआ दिखेगा. दुनिया के किसी और मुल्‍क के झंडे में ऐसा नहीं है. अगर इसे गुलामी का प्रतीक के तौर पर देखा जाए तो फ‍िर भारत के झंडे में ऐसा क्‍यों नहीं? भारत पर भी तो ब्रिटिश हुकूमत का राज रहा है. सवाल यह भी है ब्रिटेन के झंडे का इस्‍तेमाल दूसरा देश कैसे कर रहा है.

इसलिए बना होता है झंडे में जैक

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के झंडे के कोने में यूनियन जैक इसलिए बना होता है, क्योंकि ये दोनों देश ब्रिटिश उपनिवेशों का हिस्सा थे. ये अब ब्रिटिश कॉमनवेल्थ राष्ट्र का हिस्सा हैं. यूनियन जैक की उपस्थिति उस संबंध का प्रतीक है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के झंडे में यूनियन जैक होने के कुछ कारण ये हैं. यह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड और यूके के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करता है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दोनों ब्रिटिश उपनिवेशों का हिस्सा थे. यूनियन जैक एक पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश और प्रभुत्व के रूप में न्यूजीलैंड की ऐतिहासिक नींव को मान्यता देता है.

ब्रिटिश झंडे की अलग कहानी

ब्रिटिश झंडे का नाम यूनियन जैक (union jack flag)है और इसके पीछे एक अलग ही कहानी है. लेकिन यह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के झंडे पर कैसे? तो बता दें कि दोनों देश ब्रिटिश साम्राज्‍य का हिस्सा थे और अब ब्रिटिश कॉमनवेल्थ राष्ट्र का हिस्सा बन गए हैं. इनके झंडे में यूनियन जैक की मौजूदगी दोनों के बीच खास संबंध का प्रमाण है. इनके झंडे में यूनियन जैक होने का मतलब है कि एक पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश न्‍यूजीलैंड और ऑस्‍ट्रेल‍िया को मान्‍यता देता है. उसकी तरक्‍की में भागीदार है.

जब न्‍यूजीलैंड ने ऑस्‍ट्रेल‍िया से कहा-अपना ध्‍वज बदलो

दोनों देशों के झंडों में इतनी समानता है कि जुलाई 2018 में न्‍यूजीलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स ने ऑस्‍ट्रेल‍िया की सरकार से अपना झंडा बदल लेने का आग्रह तक कर डाला था. उन्‍होंने कहा था कि झंडों में समानता होने की वजह से भ्रम पैदा हो रहा है. दरअसल, दोनों का झंडा गहरे नीले रंग का है और ऊपर कोने में ब्रिटेन का यूनियन जैक का प्रतीक है. भारत के झंडे में यह इसल‍िए नहीं, क्‍योंकि कहा जाता है कि 1947 में जब भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने इस तरह के झंडे का प्रस्‍ताव रखा था तब नेहरू और जिन्‍ना ने इसे अपनाने से इनकार कर दिया था.

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के झंडे

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के नेशनल फ्लैग में यूनियन जैक के अलावा कुछ और समानता भी देखने को मिलती हैं. न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का झंडा गहरे नीले रंग का है . अंतर बस इतना है कि ऑस्ट्रेलियाई के फ्लैग में 6 व्हाइट स्टार्स हैं. वहीं, न्यूजीलैंड के झंडे में 4 रेड स्टार्स हैं. ऑस्ट्रेलिया में यूनियन जैक को पहली बार 29 अप्रैल 1770 को कैप्टन कुक ने स्टिंग्रे हार्बर (जिसे बाद में नाम बदलकर बॉटनी बे) में रखा था

दोनों झंडों में मामूली अंतर

न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के झंडे में मामूली अंतर है. ऑस्ट्रेलियाई झंडे में छह सफेद तारे हैं जबक‍ि न्यूजीलैंड के झंडे में चार लाल तारे हैं. हालांकि, ऑस्‍ट्रेल‍िया के पास तीन ध्‍वज हैं. राष्ट्रीय ध्वज, आदिवासी ध्वज और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर ध्वज. ये झंडे महत्वपूर्ण प्रतीक हैं जो देश की उत्पत्ति और पहचान का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऑस्ट्रेलिया में यूनियन जैक को पहली बार 29 अप्रैल 1770 को कैप्टन कुक ने स्टिंग्रे हार्बर में रखा था. तब से इसकी पहचान यही बनी हुई है.

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