
मुंबई –कंगना रनौत की फिल्म ‘तेजस’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. कंगना हिंदी सिनेमा की उन एक्ट्रेसेस में से हैं जिनके नाम से दर्शक थिएटर्स में फिल्में देखने जाते हैं. अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंसेस के जरिए कई बार तारीफें पा चुकीं और राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं कंगना रनौत अब ‘तेजस’ लेकर आई हैं. लेकिन इंडियन एयरर्फोस की ऑफिसर तेजस गिल की इस काल्पनिक कहानी में क्या कंगना फिर अपना जादू चला पाई हैं? क्या वो ‘धाकड़’ से निराश अपने फैंस को ‘तेजस’ के रूप में एक अच्छी फिल्म का तोहफा दे पाई हैं? आइए आपको इस रिव्यू के जरिए बताती हूं.
फिल्म की कहानी क्या है?
फिल्म में तेजस गिल नाम की वायुसेना अफसर की कहानी दिखाई गई है, इसका किरदार कंगना रनोट ने निभाया है। होनहार विंग कमांडर तेजस देश के लिए कोई भी जोखिम उठाने के लिए हमेशा तैयार रहती है।तेजस को पाकिस्तान जाकर एक भारतीय एजेंट को छुड़ाने की जिम्मेदारी मिलती है। अब इस मिशन में तेजस कामयाब हो पाती है कि नहीं फिल्म की स्टोरी लाइन इसी पर बेस्ड है।
फर्स्ट हाफ ढीला, सेकंड हाफी ठीक
तेजस का फर्स्ट हाफ काफी ढीला और बोरिंग है. कहानी में कोई भी एक्साइटमेंट पैदा नहीं होता. इंटरवेल से पहले के 10 मिनट छोड़कर कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे देखकर लगे कि अब आगे क्या होगा. फिल्म में कई जगह लगता है कि जैसे बस सीन-सीन जोड़े गए हैं. उनका आपस में कोई कनेक्शन नहीं है. तेजस के बॉयफ्रेड का इंट्रोडक्शन सीधा गाने से होता है और वो भी पूरे 4-5 मिनट तक चलता है. इतना बड़ा कान्सर्ट करने वाला सिंगर यूं ही घूम रहा है और अचानक एयरफोर्स का फ्लाइंग शो देखने पहुंच जाता है, वो वहां ऑडियंस के बीच खड़ा है. फिल्म के सीक्वेंस इतने अचानक बदल रहे हैं कि समझ ही नहीं आता. हालांकि सेकंड हाफी की स्पीड ठीक है. कहानी में कुछ हाई पॉइंट्स भी हैं.

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
कंगना रनोट एक्टिंग का पावर हाउस हैं इसमें कोई दो राय नहीं है। एक फाइटर पायलट के रोल में वो पूरी तरह से जंची हैं। उनकी मेहनत साफ नजर आती है, हालांकि यही खामी भी है। इस फिल्म में कंगना पहले की तरह एफर्टलेस नजर नहीं आई हैं। फिर भी ये कहा जा सकता है कि उन्होंने फिल्म को अकेले अपने कंधे पर संभाला है।
कैसा है स्क्रीनप्ले और कंगना का अभिनय?
करीब तीन साल पहले आई फिल्म गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल भारतीय महिला पायलट की सच्ची कहानी से प्रेरित थी। उससे वायु सेना की कार्यप्रणाली की अच्छी झलक मिली थी। तेजस को शुरुआत में ही काल्पनिक कहानी बता दिया गया है।फिल्म का फर्स्ट हाफ तेजस की जिंदगी से परिचित कराता है। कहानी के मुख्य मुद्दे महिला सशक्तिकरण, लिंग भेद और देशभक्ति हैं। इन मुद्दों के साथ स्क्रीनप्ले पर गहराई से काम करने की जरूरत थी। अनुशासनात्मक कार्रवाई के दौरान तेजस का सारी जिम्मेदारी खुद पर लेना जैसे दृश्यों में कोई नयापन नहीं है। कंगना की दोस्त बनी अंशुल चौहान का अभिनय इस फिल्म में बेहतरीन है। कंगना के बॉयफ्रेंड के रोल में वरुण मित्रा ने भी अच्छा काम किया है।
कैसा है फिल्म का म्यूजिक?
फिल्म का म्यूजिक शाश्वत सचदेव ने दिया है, गाने उतने प्रभावशाली नहीं है, जिसकी चर्चा की जाए। हालांकि अरिजीत सिंह का एक गाना जरूर सुनने में अच्छा लगेगा।

फाइनल वर्डिक्ट, फिल्म देखें या नहीं?
कंगना रनोट का कद काफी बड़ा है, इस हिसाब से उनसे उम्मीदें भी ज्यादा हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए डायरेक्टर ने पूरी फिल्म में सिर्फ उन्हें ही दिखाने की कोशिश की है। हालांकि हम जिस तरह की पंच लाइन्स की उम्मीद करते हैं वो कंगना को नहीं मिले हैं।अगर आप कंगना के फैन हैं और इंडियन एयर फोर्स के अदम्य साहस पर बनी सिनेमेटिक लिबर्टी लेती हुई एक फिल्म देखना चाहते हैं तो इसे देख सकते हैं।