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नोबेल प्राइज 2023 :मेडिसिन क्षेत्र में नोबेल प्राइज कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को मिला


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नई दिल्ली – नोबेल प्राइज 2023 के विजेताओं की अनाउंसमेंट की शुरुआत हो चुकी है. आज यानी मंगलवार को नोबेल प्राइज अनाउंसमेंट का दूसरा दिन है. इससे पहले सोमवार को मेडिसिन क्षेत्र में नोबेल प्राइज कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को मिला है. आज यानी 3 अक्टूबर को फिजिक्स क्षेत्र में नोबेल प्राइज के विजेताओं की घोषणा की जाएगी.

जानें कौन है ड्रू वीसमैन?

साल 1959 में जन्में ड्रू वीसमैन एक अमेरिकी चिकित्सक-वैज्ञानिक हैं जिन्हें आरएनए जीव विज्ञान में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उनके काम ने उन्हें 2023 में चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार दिलाया. ड्रू वीसमैन ने एमआरएनए टीकों के विकास को सक्षम करने में मदद की, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध बायोएनटेक/फाइजर और मॉडर्ना द्वारा उत्पादित कोविड -19 के लिए हैं. वीसमैन वैक्सीन रिसर्च में रॉबर्ट्स फैमिली के शुरुआती प्रोफेसर हैं. वो आरएनए इनोवेशन के लिए पेन इंस्टीट्यूट के निदेशक और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय (पेन) में पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन के प्रोफेसर हैं. उन्होंने 1981 में ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी से बीए और एमए की उपाधि प्राप्त की, जहां उन्होंने जैव रसायन और एंजाइमोलॉजी में पढ़ाई की और उन्होंने गेराल्ड फासमैन की प्रयोगशाला में काम किया। उन्होंने 1987 में बोस्टन विश्वविद्यालय में एमडी और पीएचडी प्राप्त करने के लिए इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में स्नातक कार्य किया. इसके बाद, वीसमैन ने बेथ इज़राइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर में रेजीडेंसी की, जिसके बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के तत्कालीन निदेशक एंथोनी फौसी की देखरेख में फेलोशिप प्राप्त की.

ड्रू वीसमैन का आरएनए का अध्ययन

पेन मेडिसिन (Penn Medicine) के संक्रामक रोग विशेषज्ञ, ड्रू वीसमैन (एमडी, पीएचडी) 15 वर्षों से अधिक समय से टीकों में उपयोग के लिए आरएनए का अध्ययन कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि एमआरएनए टेक्नोलॉजी कोविड-19 आधारित टीकों के लिए इतनी उपयोगी बन जाएगी. कोविड-19 के कई प्रकार के टीके है जो विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्मों पर आधारित हैं. अधिकांश फ्लू टीके एक निष्क्रिय वायरस वाले होते है. ये मुर्गी के अंडों में वायरस को विकसित करते हैं, और फिर वे इसे निष्क्रिय कर देते हैं ताकि वायरस मर जाए और इसे बाद में मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. बहुत से टीकों में जीवित वायरस होते हैं जहां वे वायरस को कमजोर कर देते हैं. वे इसे इसलिए बनाते हैं ताकि यह बीमारी के किसी बुरे संस्करण का कारण न बने. इसे छोटे बच्चों की नाक में भी स्प्रे करते हैं.

जानें कौन है कैटालिन कारिको?

मूल रूप से हंग्री की निवासी कैटलिन कारिको एक जानी-मानी हंगेरियन-अमेरिकी बायोकेमिस्ट हैं.उन्हें आरएनए मिड‍िएटेड मैकेनिज्म में विशेषज्ञ माना जाता है। उनका जन्म 17 जनवरी 1955 में हुआ था. कैटलिन का शोध प्रोटीन थेरेपी के लिए इन विट्रो-ट्रांसक्राइब्ड एमआरएनए का विकास रहा है. उनकी एक पहचान पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर की भी है। फिर सेज़ेड विश्वविद्यालय से पीएच.डी. करने के बाद कारिको ने हंगरी के जैविक अनुसंधान केंद्र, जैव रसायन संस्थान में अपना शोध और पोस्ट डॉक्टरल अध्ययन जारी रखा.साल 1985 में जब लैब ने अपनी फंडिंग खो दी और वह अपने पति और 2 साल की बेटी के साथ हंगरी छोड़कर संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं. यहां आकर उन्होंने वैज्ञानिक शोध जारी रखे। कारिको के काम में आरएनए-मिड‍िएटेड मैकेनिज्म का वैज्ञानिक अनुसंधान शामिल है. इसी वजह से वो अमेरिकी प्रतिरक्षा विज्ञानी ड्रू वीसमैन के साथ न्यूक्लियोसाइड संशोधनों की खोज में जुट गईं. उन्होंने लंबे शोध जो तकनीक ईजाद की, उनकी प्रोटीन प्रतिस्थापन तकनीकों को BioNTech और मॉडर्ना द्वारा विकसित करने के लिए लाइसेंस दिया गया है, लेकिन इसका उपयोग उनके COVID-19 टीकों के लिए भी किया गया था.

नोबेल प्राइज इतिहास और कौन थे अल्फ्रेड नोबेल

नोबेल पुरस्कार एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है. इस पुरस्कार की शुरुआत नोबेल फाउंडेशन ने साल 1901 में की थी. ये पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है. उन लोगों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने पिछले साल के दौरान मानव जाति को सबसे बड़ा फायदा पहुंचाया हो.अल्फ्रेड नोबेल एक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने मानव जाति की भलाई के लिए कई खोज किए थे. 27 नवंबर 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी अंतिम वसीयत और वसीयतनामा पर हस्ताक्षर किए. इससे उन्होंने अपने वसीयत का सबसे बड़ा हिस्सा पुरस्कारों की एक सीरीज, नोबेल प्राइज को दे दिया. दरअसल, उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए, जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी साबित हो. नोबेल प्राइज फिजियोलॉजी, मेडिसिन, फिजिक्स, केमिस्ट्री, लिटरेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस के क्षेत्र में दिया जाता है.

अल्फ्रेड के वसीयतनामा के मुताबिक, फिजिक्स नोबेल प्राइज उस व्यक्ति को दिया जाए, जिसने फिजिक्स क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण खोज या आविष्कार किया होगा. अब तक फिजिक्स में कुल 116 नोबेल प्राइज दिए गए हैं.

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