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राजनीति

महिला आरक्षण बिल के खिलाफ लोकसभा में पड़े सिर्फ 2 वोट,जानें वज़ह


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नई दिल्लीः महिला आरक्षण बिल दो तिहाई बहुमत के साथ लोकसभा में पास हो गया है.लोकसभा ने बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया, जिसमें महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है. बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े जबकि विपक्ष में सिर्फ दो वोट पड़े. ऐसे में सवाल उठता है कि जिस बिल को लेकर पिछले 27 साल से इंतजार हो रहा था उसके विरोध में कौन-कौन से दो नेताओं ने वोट डाले. आपको बता दें कि महिला आरक्षण बिल के विरोध में एआईएमआईएम के हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी और सांसद इम्तियाज जलील ने वोट डाला है. एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान ही अपनी पार्टी का रुख साफ कर दिया था. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है.

संसद के निचले सदन लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल) चर्चा के बाद बुधवार (20 सितंबर) को पारित हो गया. इसके पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े. इस बीच सामने आया है कि विरोध में वोटिंग करने वाले दो नेता कौन हैं?नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल के विरोध में मत डालने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी और एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील हैं. दरअसल हैदराबाद से सांसद ओवैसी बिल में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के लिए रिर्जेवशन की मांग कर रहे हैं.

लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले बिल पर गुरुवार (21 सितंबर) को राज्यसभा में चर्चा होगी. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि इस विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है.एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने सदन में कहा कि सरकार संसद में सिर्फ सवर्ण महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है. ओबीसी (OBC) और मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की चिंता नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि ओबीसी और मुस्लिम समुदायों के लिए आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया गया?

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल करते हुए कहा, इस बिल में ओबीसी महिलाओं और मुस्लिम महिलाओं को अलग से आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया गया. उन्होंने स्मृति ईरान से पूछा कि अगर धर्म के आधार पर आरक्षण देना गलत है तो 1950 प्रेसिडेंसियल ऑर्डर क्या है? ओवैसी ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा, ये सरकार पिछड़े, गरीब और दबे-कुचले लोगों को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है. सरकार की मंशा केवल बड़े लोगों को आगे बढ़ाने की है.

ओवैसी ने कहा कि संसद में ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है. उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी हैं, लेकिन आज सदन में ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व महज 20 प्रतिशत है.”ओवैसी ने तर्क दिया कि यह विधेयक केवल सवर्ण महिलाओं की भागीदारी को सुविधाजनक बनाएगा. ओवैसी ने कहा, “मैं इस कानून का विरोध करता हूं… विधेयक के लिए जो औचित्य दिया जा रहा है वह यह है कि अधिक महिलाएं संसद में निर्वाचित होंगी. यदि यही औचित्य है, तो उस औचित्य को ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं तक क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है.

ओवैसी ने इस विधेयक को चुनावी स्टंट भी करार दिया. सदन में कांग्रेस, सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने विधेयक का समर्थन किया. विधेयक पारित किए जाने के दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे.ओवैसी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल मुस्लिम प्रतिनिधित्व को आगे आने से रोकती है. उन्होंने इस बिल को चुनावी स्टंट बताया. उन्होंने कहा कि इस लोकसभा में केवल 130 ओबीसी सांसद हैं जबकि 232 सवर्ण सांसद हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ओबीसी पर कोई ध्यान नहीं है क्या यही उनका ओबीसी के प्रति प्यार है.

लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले बिल पर गुरुवार (21 सितंबर) को राज्यसभा में चर्चा होगी. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि इस विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है.AIMIM चीफ ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “मोदी सरकार सवर्ण महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है. ये मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ाना चाहते हैं.”

‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ के कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी. राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी. विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा.

महिला आरक्षण बिल को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने चेक बाउंस बिल बताया है. उन्होंने इसे ओबीसी और मुस्लिम विरोधी बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार, गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस बिल को लेकर आई है. उन्होंने कहा कि इस सदन में जैन समुदाय का कोई भी सांसद क्यों मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि क्या अमित शाह इसका कोई जवाब दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि 1984 के बाद से गुजरात से कोई मुस्लिम सांसद क्यों नहीं बना. उन्होंने चर्चा के दौरान सरकार पटेल और जवाहर लाल नेहरू पर संविधान सभा में मुस्लिम समुदाय को धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने सही समय पर सही निर्णय लिया होता तो सदन में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की अलग ही तस्वीर देखने को मिलती.

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