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महिलाओं पर अत्याचार करने से कब रुकेगा Taliban?,एक और आजादी तालिबान ने छीनी


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नई दिल्लीः महिलाओं पर अत्याचार के लिए चर्चित तालिबान ने एक बार फिर महिलाओं के लिए नया फरमान जारी किया है. बामियान में देश का पहला नेशनल पार्क है, जहां महिलाओं की एंट्री बैन कर दी गई है. तालिबान ने कहा कि बंद-ए-अमीर पार्क में महिलाएं हिजाब नियमों का पालन नहीं कर रही थीं. इस्लामिक नियमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार मंत्रालय ने धार्मिक मौलवी और सुरक्षा एजेंसियों को कोई नतीजा निकलने तक प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है.

अफगानिस्तान में जब से तालिबान ने कमान संभाली है तब से वह अजीबोगरीब फरमान दे रहा है। उसके लगभग सभी फरमान महिलाओं के खिलाफ होते हैं। अब तालिबान ने एक नया फरमान जारी करते हुए देश के सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक नेशनल पार्क में महिलाओं की एंट्री रोक दी है।तालिबान में महिलाओं पर अत्याचार कब जाकर थमेगा? यह बेहद अहम और तालिबानियों के लिए बेहद मुश्किल सवाल है। जिसका जवाब अक्सर देने से तालिबानी कट्टरपंथी घबराते हैं। इस्लाम इस्लाम और इस्लाम का नारा लगाने वाले इन कट्टरपंथियों ने इस्लाम की धज्जीयां उड़ा कर रख दी है। इस्लाम की सीख को पुरे विश्व में इस तरह दिखाया गया है के गैर मुसलमान ना चाहते हुए भी अब इस धर्म से नफरत करेंगे। अफगानिस्तान में जब तालिबान सरकार की वापसी हुई तो वहां के लोगों में ये डर सताने लगा कि उसके आते ही क्रूर कानूनों की भी वापसी होगी और हुआ भी वही।

बंद-ए-अमीर पार्क में अफगानिस्तान में एक बड़ा टूरिस्ट अट्रैक्शन है. 2009 में इसे देश का पहला नेशनल पार्क घोषित किया गया था. आमतौर पर लोग अपने परिवार के साथ यहां आकर एंजॉय करते थे. अब परिवार साथ होता था तो कुछ मामलों में महिलाएं हिजाब, नकाब और अबाया नहीं पहन रही थीं. इससे नाराज तालिबान ने पार्क में उनकी एंट्री ही बैन कर दी. इस तालिबानी फैसले के बाद पार्क में परिवारों का आना कम हो जाएगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि अब इस पार्क में लोग कम ही आएंगे. आमतौर पर वे शाम के समय में परिवार के साथ आया करते थे.

तालिबान अफगानिस्तान के सर्वाधिक लोकप्रिय स्थलों में से एक राष्ट्रीय पार्क बंद-ए-अमीर में महिलाओं को जाने से रोकने के लिए सुरक्षाबलों का इस्तेमाल करेगा। अफगानिस्तान के ‘सदाचार’ मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि बामियान प्रांत में स्थित बंद-ए-अमीर में जाते समय महिलाएं हिजाब पहनने के सही तरीके को नहीं अपना रही हैं। इससे एक सप्ताह पहले मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने प्रांत का दौरा किया था और अधिकारियों तथा धार्मिक नेताओं से कहा था कि महिलाएं हिजाब पहनने के सही तरीके का पालन नहीं कर रही हैं।

बामियान प्रांत में स्थित बंद-ए-अमीर नेशनल पार्क की खूबसूरती की येनेस्को ने भी सराहना की है. पार्क झीलों, पहाड़ों और बेहतरीन स्ट्रक्चर्स से घिरा है. अपने परिवार के साथ लोग यहां बोटिंग, झीलों की सैर करने आया करते थे. बामियान में धर्म गुरुओं ने कहा कि जो महिलाएं पार्क में जा रही थीं, वे हिजाब नियमों का उल्लंघन कर रही थीं. बामियान शिया उलेमा काउंसिल ने कहा हिजाब नहीं लगाने और गलत तरीके से हिजाब लगाने की शिकायतें मिलीं. ये लोग बामियान के नहीं हैं और वे महिलाएं बाहर से आई थीं.

तालिबान (Taliban) ने शुरूआत में आते ही जमकर आतंक मचाया। एक ओर वो दुनिया के सामने ये कहता रहता कि वो पहले जैसा नहीं है बदल चुका है। तो वहीं, दूसरी ओर सोशल मीडिया पर कई सारे वीडियो सामने आए जिन होने तालिबान के अत्याचारों की पोल खोली। तालिबान महिलाओं को लेकर 20 साल पहले भी सख्त था और अब भी। अफगानिस्तान की सत्ता में आने से पहले उसने वादा किया था कि वो महिलाओं के अधिकार को नहीं छीनेगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया, घर से बाहर पुरुष के साथ ही निकल सकती है, सरकारी कार्यलयों में काम सीमीत कर दिया। यहां तक कि अब अफगानिस्तान में लड़कियां सिर्फ कक्षा 7 तक ही पढ़ सकती हैं। इसके आगे उन्हें इजाजत नहीं है।

हनाफी ने सुरक्षाकर्मियों से महिलाओं को पर्यटन स्थल पर जाने से रोकने के लिए कहा था। हनाफी ने उस समय कहा, ‘महिलाओं के लिए दर्शनीय स्थलों की यात्रा करना जरूरी नहीं है।’मंत्रालय के प्रवक्ता मौलवी मोहम्मद सादिक अकीफ ने हनाफी के बयान पर आधारित एक रिपोर्ट शनिवार रात को साझा की जिसमें हनाफी के आदेश का पालन करने के लिए सुरक्षाबलों, धर्मगुरुओं और बुजुर्गों की मदद की बात शामिल है।

तालिबान ने महिलाओं को पार्क में बैन का आदेश ऐसे समय में दिया जब दुनिया महिला समानता दिवस मना रही थी. 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. अफगानिस्तान पर टेकओवर के बाद से तालिबान ने महिलाओं के लिए कई कड़े नियम लागू किए हैं, जिसे वे इस्लामिक नियम बताते हैं. दिसंबर 2022 में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी गई थी. उन्हें स्कूल जाने से रोक लगा दिया गया था. महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर अकेली जाने पर पहले से ही रोक है. बिना हिजाब-नकाब के वे घर से नहीं निकल सकतीं.

जब से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी (Taliban) शासन आया है तब से तो बस यही लगता है पता नहीं कब कट्टरपंथी तालिबानी नया फरमान जारी कर देंगे और वहां की महिलाओं का जीना दुश्वार कर देंगे। इस्लाम की छवि, इस्लाम की सीख को बर्बाद करने वाला यह एक अकेला देश है। जिसने इस्लाम से हट कर सारे क़ानून बनाये और फिर इस्लाम का नाम दे कर इस्लाम को बदनाम किया है। इस्लाम हमें अमन शांति से रहना सिखाता है। इस्लाम में महिलाओं को इज़्ज़त दी जाती है। इस्लाम में ज़ोर ज़बरदस्ती का कोई क़ानून नहीं। इस्लाम को अगर लाना है तो उसके लिए इन कट्टरपंथियों को इस्लाम को गहराई से पढ़ना होगा। नहीं तो यह अत्याचार तो कभी बंद नहीं होंगे।

अकीफ की रिपोर्ट के अनुरूप, बामियान में मंत्री के भाषण की रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर साझा की गई। हालांकि, अकीफ रविवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करने के ए उपलब्ध नहीं थे। बामियान में बंद-ए-अमीर पर्यटकों को आकर्षित करने वाला एक बड़ा केंद्र है। इसे वर्ष 2009 में देश का पहला राष्ट्रीय पार्क बनाया गया जहां हर साल हजारों पर्यटक पहुंचते हैं।

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