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चांद पर पहुंचने की रूस की कोशिश


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नई दिल्ली – 11 अगस्त को स्थानीय समयानुसार सुबह 2:11 बजे वोस्टोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 लैंडर लॉन्च किया। 47 साल बाद रूस ने चांद पर अपना पहला अंतरिक्ष यान भेजा है. इससे पहले भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेज चुका है। चंद्रमा के दोनों मिशन दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे। इस तरह भारत और रूस अब एक दूसरे के पड़ोसी बनने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि चंद्रयान के समय लूना 25 चंद्रमा की सतह पर उतर सकता है।

दोनों देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारने का लक्ष्य बना रहे हैं। जहां अभी तक कोई भी सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है. अब तक केवल तीन देश – अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन – ही चंद्रमा की सतह पर उतर सके हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो रूस के लून-25 और चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे और दोनों देश चंद्रमा पर पड़ोसी बन जाएंगे।

रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव के मुताबिक, लूना का लैंडर 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतर सकता है। पहले लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त मानी जा रही थी. इंटरफैक्स के मुताबिक, लॉन्चिंग के बाद बोरिसोव ने वोस्टोचान कॉस्मोड्रोम में कर्मचारियों से कहा कि अब हम 21 तारीख का इंतजार करेंगे। मुझे उम्मीद है कि चांद पर बेहद सटीक सॉफ्ट लैंडिंग होगी. लूना 25 लगभग एक छोटी कार के आकार की है और इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक वर्ष तक संचालित करने का इरादा है।

अंतरिक्ष यान भेज रहा है। इस यान का प्रक्षेपण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद के बिना किया गया है। जिसने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मॉस्को के साथ अपना सहयोग ख़त्म कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूसी अंतरिक्ष यान 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की संभावना है। वहीं, भारत का चंद्रयान भी 14 जुलाई को लॉन्च हुआ था, जिसके भी 23 अगस्त के आसपास उतरने की संभावना है।

लूना-25 मिशन की सफलता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रूसी सरकार का दावा है कि यूक्रेन संघर्ष पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। रूस ने पहली बार अपने दम पर यह अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया है. फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रूस की भागीदारी समाप्त हो गई। इसकी वजह से रूस का पश्चिमी देशों के साथ अंतरिक्ष संबंधी सहयोग बहुत कम हो गया है।

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