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ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक


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नई दिल्ली – मुस्लिम पक्ष, हिंदू पक्ष और यूपी सरकार ने अपनी दलीलें रखीं. मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे पर रोक लगाने की मांग की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले यूपी सरकार से जवाब मांगा. यूपी सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि किसी तरह की कोई खुदाई नहीं हुई है. परिसर में केवल मैपिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग चल रही है.

4:30 बजे वाराणसी के जिला जज अजय कुमार विश्वेश ने ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे का आदेश दिया था. आज यानी सोमवार सुबह 7 बजे से ASI की टीम ने वहां पहुंचकर अपना काम शुरू कर दिया. इस बीच सुबह 10:40 पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने मामला गया. मुस्लिम पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने सर्वे पर तत्काल रोक की मांग की. उन्होंने दावा किया कि जिला जज ने मस्जिद परिसर में खुदाई का आदेश दिया है. इससे इमारत को नुकसान पहुंच सकता है. यह सुप्रीम कोर्ट के भी उस आदेश का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद को कोई नुकसान न पहुंचाया जाए.

हिंदू पक्ष ने दलील देते हुए सुनवाई के दौरान कहा कि ASI के डायरेक्टर को निचली अदालत ने आदेश दिया था कि किसी भी तरह का डैमेज नहीं होना चाहिए. यूपी सरकार ने कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष चाहते तो पहले ही निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते थे. इन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया है. सुप्रीम कोर्ट में एएसआई के सर्वे पर यूपी सरकार ने जवाब जारी करते हुए कहा कि केवल वीडियोग्राफी और मैपिंग चल रही है. एक हफ्ते तक किसी भी तरह की कोई खुदाई नहीं होगी.

सॉलिसीटर जनरल ने सुझाव दिया कि ASI के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए सुप्रीम कोर्ट मस्जिद पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दाखिल करने का मौका दे. लेकिन मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि सर्वे के आदेश पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए. अहमदी ने कहा कि शुक्रवार को ज़िला जज का आदेश आया. इससे पहले कि वह अपील दाखिल कर पाते, सर्वे का काम शुरू कर दिया गया.आखिरकार, सुबह 11.45 बजे चीफ जस्टिस ने आदेश दिया कि अंजुमन इंतजामिया मस्ज़िद कमिटी को अपील का समय दिया जाना चाहिए. इसलिए, जिला जज के आदेश पर अंतरिम रोक ज़रूरी है. उन्होंने साफ किया कि यह रोक 26 जुलाई शाम 5 बजे तक जारी रहेगी.

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