राज्यसभा सदस्यों को मिलता है अनुच्छेद 267 के तहत ये अधिकार
नई दिल्ली – मणिपुर में पिछले कई दिनों से हिंसा की आग दहक रही है। राज्य से अब तक कई लोगों की जान जाने की खबरें आ चुकी है। वहीं अब मणिपुर से दो महिलाओं को प्रताड़ित करने का एक शर्मनाक वीडियो सामने आया है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस खौफनाक घटना के वीडियो ने पूरे देश को सन्न कर दिया है। इस हैवानियत भरी घटना से गुस्से में आग बबूला हो रहे लोग सोशल मीडिया पर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे है।
महिलाओं को नंगा कर परेड कराने का वीडियो सामने आने के बाद देशभर में मणिपुर को लेकर आक्रोश की लहर है। संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा हो रहा है। लोकसभा की कार्यवाही दूसरे दिन भी बाधित रही, वहीं राज्यसभा में भी हंगामा बरपा है। विपक्षी दलों ने गुरुवार को ही मांग की थी कि मणिपुर मुद्दे को उठाने के लिए दिन भर के लिए अन्य सभी कामकाज स्थगित कर दिए जाएं। लेकिन सरकार केवल “अल्पावधि चर्चा” के लिए सहमत हुई। विपक्ष के जोरदार विरोध के बाद राज्यसभा और लोकसभा को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा में, सभापति जगदीप धनखड़ ने कार्यवाही दोपहर 2:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी है। क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने गुरुवार को सदन की कार्यवाही से कुछ शब्दों को हटाने पर व्यवस्था का प्रश्न उठाने की मांग की। कामकाज दोबारा शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही उच्च सदन की कार्यवाही फिर से पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष नियम 267 के तहत लंबी चर्चा की मांग कर रहा है। जबकि केंद्र सरकार केवल नियम 176 के तहत छोटी चर्चा के लिए हमत हुयी।
संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज दावा किया कि विपक्ष जानबूझकर मणिपुर पर चर्चा नहीं चाहता है। वे बार-बार अपना रुख बदल रहे है और नियमों का हवाला दे रहे है। विपक्षी सांसदों ने नियम 176 के तहत नोटिस भी जमा किया था। सभापति उन्हें पढ़ रहे थे, तभी विपक्ष ने शोर मचाया कि केवल नियम 267 के तहत चर्चा चाहते है। सभापति ने समझाया कि वह केवल एक क्रम में नोटिस पढ़ रहे थे और 267 पर भी आएंगे, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी। फिर वे मांग करने लगे कि पीएम संसद में आकर बयान दें।
‘नियमों के निलंबन’ के तहत ‘नियम 267’ को एक ऐसे उदाहरण के रूप में परिभाषित करती है। जहां कोई भी सदस्य, सभापति की सहमति से, यह कदम उठा सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध व्यवसाय से संबंधित प्रस्ताव के आवेदन में किसी भी नियम को निलंबित किया जा सकता है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। रूल 267 सांसदों के लिए सरकार से सवाल पूछने और प्रतिक्रिया मांगने का एकमात्र तरीका नहीं है। वे प्रश्नकाल के दौरान किसी भी मुद्दे से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं जिसमें संबंधित मंत्री को मौखिक या लिखित उत्तर देना होता है। कोई भी सांसद शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठा सकता है।
नियम 176 किसी विशेष मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देता है, जो ढाई घंटे से अधिक नहीं हो सकती। अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले पर चर्चा शुरू करने का इच्छुक कोई भी सदस्य महासचिव को स्पष्ट रूप से और सटीक रूप से उठाए जाने वाले मामले को निर्दिष्ट करते हुए लिखित रूप में नोटिस दे सकता है। नोटिस के साथ एक व्याख्यात्मक नोट दिया जाएगा जिसमें विचाराधीन मामले पर चर्चा शुरू करने के कारण बताए जाएंगे। नोटिस को कम से कम दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर द्वारा समर्थित किया जाएगा।