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नेपाल में भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग हुयी शुरू


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मुंबई – ओम राउत की निर्देशित फिल्म ‘आदिपुरुष’ इन दिनों विवादों में फंसी हुई है। मूवी में राम और सीता का किरदार प्रभास और कृति सेनन ने निभाया है, जबकि रावण सैफ अली खान बने है। लोगो का मानना है की ‘आदिपुरुष’ फिल्म में सनातन धर्म का अपमान किया गया। भगवान राम, हनुमान जी और सीता माता का गलत चित्रण और गलत डायलॉग दिखा कर उन्हें भी अपमानित किया गया। इसलिए ‘आदिपुरुष’ को बैन करने की मांग उठ रही थी।

फिल्म के VFX की फजीहत तो शुरू से हो ही रही थी, लेकिन उससे भी ज्यादा इसके डायलॉग ने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। फिल्म से जुड़े सभी किरदारों को सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल किया जा रहा है। किसी को ‘राम’ के रूप में प्रभास पसंद नहीं आए हैं तो किसी को ‘रावण’ और ‘हनुमान’। फिल्म में माता सीता के जन्मस्थान को लेकर भी गलत जानकारी दी गई थी, जिसको लेकर नेपाल में काफी विवाद हुआ था। यहां तक कि काठमांडू में सभी हिंदी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर बैन लगा दिया था।

फिल्म के एक सीन को लेकर विवाद होने के बाद नेपाल के कई मेयरों ने मिलकर फिल्म की स्क्रीनिंग व भारत की अन्य हिंदी फिल्मों की रिलीज पर रोक लगा दिया था। गुरुवार को पटन हाई कोर्ट के जज धीर बहादुर चांद ने एक आर्डर जारी कर फिल्मों की स्क्रीनिंग पर लगी रोक हटाने का आदेश दिया था। इसके अलावा, उन्होंने यह शर्त लगा दी थी कि इन फिल्मों को नेपाल के सेंसर बोर्ड की अनुमति मिली होनी चाहिए।

नेपाल में सभी हिंदी फिल्मों पर से तो बैन हटा दिया है लेकिन यह अभी भी आदिपुरुष पर जारी है। गौरतलब है कि फिल्म में एक डायलॉग है, जिसमें सीता को भारत की बेटी कहा गया है। इसे लेकर नेपाल में विवाद हो गया है। कई सिनेमा हॉल ने काठमांडू में आदिपुरुष के अलावा अन्य हिंदी फिल्मों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है। इनमें हिंदी फिल्म जरा हटके जरा बचके दिखाई जा रही है। आदिपुरुष के एक डायलॉग में सीता को जानकी कहा जाता है और हिंदू धर्म को मानने वालों का यह विश्वास है कि जानकी का जन्म दक्षिण-पूर्वी नेपाल के जनकपुर में हुआ है।

टी- सीरीज की तरफ से काठमांडू सिटी के मेयर बालेन शाह और नेपाल के फिल्म डेवलपमेंट बोर्ड को माफी लेटर लिखा गया था। इस लेटर में आदिपुरुष के मेकर्स ने लिखा है कि अगर हमने नेपाल के लोगों की धार्मिक भावनाओं को किसी भी तरह से ठेस पहुंचाई है तो हम इसके लिए माफी चाहते है। ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया था। इसके साथ ही लेटर में कहा गया है कि हम आपसे इस फिल्म को एक आर्ट की तरह देखने की अपील करते है।

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