x
भारत

सूरत के किले का क्या है इतिहास -जानें


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः सूरत गुजरात प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। यह शहर सूरत जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। तापी नदी सूरत शहर के मध्य से होकर गुजरती है। सूरत मुख्यत: कपड़ा उद्योग और डायमंड कटिंग और पोलिशिंग के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए इस शहर को सिल्क सिटी और डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है।सूरत शहर के बीच से गुजर रही ताप्ती नदी के किनारे पर बना है ऐतिहासिक किला। व्यापार की दृष्टि से सूरत बंदरगाह और ये किला प्राचीन काल में बेहद महत्व रखता था। 1572 में मुगल शहंशाह अकबर ने इस किले को जीतकर यहां से विदेशों से हो रहे व्यापार से प्रभावित होकर कहा कि पानी के रास्ते मक्का हज यात्रा पर भी तो जाया जा सकते है.

ऐसा समझा जाता है कि आधुनिक सूरत शहर की स्थापना पंद्रहवी सदी के अंतिम वर्षों में हुई। कहा जाता है कि 1516 में एक हिन्दू ब्राह्मण गोपी ने इसे बसाया था। 12वीं से 15वीं शताब्दी तक यह शहर मुस्लिम शासकों, पुर्तग़ालियों, मुग़लों और मराठों के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 में पुर्तग़ाली यात्री दुआरते बारबोसा ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय अंग्रेज़ और डच, दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 में अंग्रेज़ों का इस पर अधिकार हो गया।

किले का इतिहास :-जानकार बताते हैं कि खींची राजा लाल सिंह ने इसका निर्माण कराया था। तब चाचौड़ा को चंपावती नाम से जाना जाता था। राजा ने अपनी रानी के नाम पर शहर का नाम रखा था। लेकिन राजा के मरने के बाद उसी राजवंश के अन्य राजा इसके पतन का कारण बने।

Back to top button