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नवरात्रि में पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा आराधना


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नई दिल्ली – नौ दिन तक देवी दुर्गा के 9 रूपों की पूजा करने से अलग-अलग विशेष लाभ मिलते हैं. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी कि अश्विन प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री (Maa shailputri) की पूजा का विधान है. आइए जानते हैं मां शैलपुत्री का स्वरूप, पूजा के लाभ, मंत्र, पहले दिन का रंग और देवी का प्रिय भोग.

सनातन परंपरा में देवी शैलपुत्री को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. जिनका स्वरूप अत्यंत ही शांत है और वह अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाने वाली हैं. सफेद वस्त्र पहने हुए देवी शैलपुत्री ने अपने एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल धारण कर रखा है. अपने सिर पर चंद्रमा को धारण करने वाली माता शैलपुत्री बैल की सवारी करती हैं. मान्यता है कि माता शैलपुत्री की पूजा से साधक की कुंडली में स्थित चंद्र दोष दूर हो जाता है और उसे पूरे साल किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक कष्ट नहीं होता है.

मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की संतान हैं. शैल अर्थात अडिग. दृढ़ता का प्रतीक हैं. मां दुर्गा से संपर्क साधने के लिए जातक का विश्वास भी अडिग होना चाहिए तभी भक्ति का फल मिलता है. मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा, सती, हेमवती, उमा के नाम से भी जाना जाता है. घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी पशु-पक्षियों, जीव की रक्षक मानी जाती हैं.

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें. अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और भगवान गणेश का अव्हान करें.मां शैलपुत्री की पूजा में सफेद रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें. सफेद मां शैलपुत्री का प्रिय रंग है. स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करें.पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें. मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी,लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें.देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद मिठाई जैसे रसगुल्ला भोग लगाएं. पहले दिन मां का प्रिय भोग गाय के घी से बने मिष्ठान उन्हें अर्पित करें.धूप, दीप लगाकर मां दुर्गा के इस मंत्र का एक माला जाप करें – सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुतेइसके साथ ही मां शैलपुत्री के मंत्रों का 108 बार का जाप करें. कथा पढ़े और फिर देवी की आरती करें. संध्या में भी रोजाना नौ दिन 9 देवियों की आरती करें.

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