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होली कलर : सिंथेटिक कलर से किडनी,लीवर और आंखों को होता है बड़ा नुकशान


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नई दिल्ली – होली आठ मार्च को मनाई जाएगी. इससे पहले बाजार गुलाल, गुजिया, पिचकारी और रंगों से सज गए हैं. होली का मजा अपनों का साथ आता है. वहीं, रंगों में इस्तेमाल होने वाला केमिकल होली के रंग में भंग डाल सकता है. मार्केट में कई तरह के सिंथैटिक कलर आते हैं, जो स्किन के साथ-साथ आंखों और किडनी में असर डाल सकते हैं. ऐसे में होली खेलते वक्त विशेष एहतियात बरतने की सख्त जरूरत है.

आंखों के नीचे लिक्विड या फिर म्यूकस जमने से बैग बनते है.आई बैग बनना इस बात का संकेत हो सकता है कि किडनी और ब्लैडर ठीक से काम नहीं कर रहे है.प्रोस्टेट की प्रॉब्लम, ओवरी और यूट्रस में किसी भी तरह की परेशानी होने पर आई बैग बन जाते हैं.ओवरी में सिस्ट, यूट्रस में गठान और कैंसर होने पर भी आई बैग बन सकते है.

काले सिंथेटिक रंग में लेड ऑक्साइड होता है. ये किडनी पर असर डालता है. इसके अलावा ये दिमाग पर भी असर डालता है. सिंथेटिक नीले में प्रूशियन ब्लू केमिकल होता है. इससे स्किन में एलर्जी और संक्रमण का भी खतरा होता है. हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है. इससे आंखों में जलन और एलर्जी हो सकती है. यही नहीं, इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है. गौरतलब है कि बाजार में सिंथैटिक रंग के साथ-साथ हर्बल गुलाल भी उपलब्ध हैं. इनसे स्किन और सेहत को कोई खतरा नहीं होता है.

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