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Joshimath Tragedy: मंदिर के शिवलिंग में आई दरारें,जोशीमठ धंस ने की वारदात


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नई दिल्ली – उत्तराखंड का जोशीमठ धंस रहा है। जोशीमठ में भू-धंसाव की चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर के बाद अब शंकराचार्य माधव आश्रम मंदिर के शिवलिंग में दरारें आ गई हैं। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं।

जोशीमठ के मकानों में दरार आने की शुरुआत 13 साल पहले हो गई थी। हालात काबू से बाहर निकले तो NTPC पॉवर प्रोजेक्ट और चार धाम ऑल वेदर रोड का काम रोकने के आदेश दे दिए गए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लास्टिंग और शहर के नीचे सुरंग बनाने की वजह से पहाड़ धंस रहे हैं। अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया, तो शहर मलबे में बदल सकता है।

इमारतों की दीवारों और सड़कों में दरारें पड़ती जा रही हैं. इन दरारों से निकल रहा पानी लोगों को डरा रहा है. इस बीच जोशीमठ का भू-धंसाव का मामला शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने वकील के जरिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से सरकार को प्रभावित लोगों के पुनर्वास और उनको आर्थिक मदद मुहैया कराने का आदेश देने की अपील की है।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हिमालय में योजनाबद्ध तरीके से विकास के नाम पर विनाश किया जा रहा है. इसकी वजह से भारतीय संस्कृति के मुख्य केंद्र जोशीमठ के हजारों लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि जमीन धंसने की वजह से बद्रीनाथ मंदिर और ज्योतिष पीठ खतरे में पड़ गए हैं. सरकार को लोगों की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नरसिंह मंदिर भगवान बद्रीनाथ का शीतकालीन निवास है।

जोशीमठ में तबाही का मंजर देख विशेषज्ञों की टीम भी हैरान रह गई। शहर के बेतरह धंसने और दर्जनों घरों और इमारतों की दीवारों, दरवाजों, फर्श, सड़कों पर आईं दरारों का कारण पता लगाने में पहले दिन टीम को नाकामी हासिल हुई।

शंकराचार्य की गद्दी स्थल की सामने आई तस्वीरें हर किसी को तकलीफ पहुंचा रही है। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ भी इसकी चपेट में आ रहा है।

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