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जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी,केन्द लगाई फटकार


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नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के प्रति नाराजगी जाहिर की। दरअसल कालेजियम की ओर से जज के तौर पर नियुक्ति के लिए नाम भेजे गए थे, जिसपर सरकार की तरफ से निर्णय नहीं लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विधि सचिव को नोटिस जारी किया है और जवाब की मांग की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस तरह नामों को रोक नहीं सकती। इसके कारण कई अच्छे नामों को वापस लिया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात पर संज्ञान लिया है कि 5 हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी सुझाए गए नामों पर फैसला लेने में देरी हो रही है। बार एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि जजों के पद खाली होने से भी 6 महीने पहले भी नामों के सुझाव भेजने के बाद भी सरकार की तरफ से कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है।सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह से नामों को रोका नहीं जा सकता है। जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिशों को लंबे समय तक लटकाए रखने की कोई वजह नज़र नहीं आती है।

इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट एसोशिएशन बंगलोर की ओर से दायर याचिका में कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार की ओर से फैसला न लेने पर सवाल खड़ा किया गया था। ये मामला जब जस्टिस सजंय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा तो याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि कॉलेजियम की ओर से जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की सिफारिश भेजे हुए पांच हफ्ते से ज़्यादा का समय बीत चुका है पर अभी तक सरकार ने उस सिफारिश पर कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसे में सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू होनी चाहिए।

दूसरी बार नामों का प्रस्ताव पेश करने के बाद नियुक्ति जारी की जानी चाहिए थी। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में यह भी कहा है कि नामों को होल्ड पर रखना स्वीकार्य नहीं है। यह एक तरह का उपकरण बनता जा रहा है, जो इन व्यक्तियों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करता है जो पहले हुआ है। कालेजियम द्वारा प्रस्तावित नामों में जयतोष नाम के व्यक्ति का हाल ही में निधन हो गया है।

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