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राजनीति

Gujarat Election 2022 : गुजरात चुनाव में इन मुद्दों पर होगी रणनीति,अहम् है कुछ मुद्दे


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नई दिल्ली – भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत कई राजनीतिक दल पहले ही गुजरात चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। बेरोजगारी से लेकर भ्रष्‍टाचार तक के मुद्दे उठाए जा रहे हैं। हालांकि, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव देखने को मिलेगा। नरेंद्र मोदी के स्थायी प्रभाव से लेकर मुद्रास्फीति और बेरोजगारी पर असंतोष तक, गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों में निम्‍न मुद्दे महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

गुजरात को संघ परिवार की हिंदुत्व प्रयोगशाला माना जाता है। बिलकिस बानो सामूहिक दुष्‍कर्म और हत्या मामले में दोषियों की सजा में छूट का असर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों में दिखाई देगा। मुसलमान बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, जबकि हिंदुओं का एक वर्ग इस मुद्दे की अनदेखी करना चाहेगा। इस मामले में अन्‍य पार्टियों का क्‍या रुख रहेगा, इसका भी प्रभाव चुनाव पर पड़ सकता है।

30 अक्टूबर को मच्‍छू नदी पर बने मोरबी पुल के गिरने से 135 लोगों की जान चली गई। इस मामले में कुछ अधिकारियों और व्यापारियों के बीच गठजोड़ की बात भी सामने आ रही है। हालांकि, इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पीएम मोदी ने भी घटनास्‍थल का दौरा कर लोगों को उचित जांच का भरोसा दिलाया है। हालांकि, इस मुद्दे पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। गुजरात में चुनावी रैलियों के दौरान ये मुद्दों जरूर उठेगा। ऐसे में जब लोग अगली सरकार चुनने के लिए मतदान करने जाएंगे, तो यह मुद्दा लोगों के दिमाग में हावी होने की संभावना है।

बार-बार प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं और सरकारी भर्ती परीक्षाओं के स्थगित किए जाने से सरकारी नौकरी पाने की आस में मेहनत कर रहे युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिरा है और असंतोष बढ़ा है। राज्य के अनेक हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले दो साल में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान के ऐवज में मुआवजा नहीं दिया गया है।

दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में स्कूल की कक्षाओं का निर्माण किया जाए, तो शिक्षकों की कमी हो जाती है। यदि शिक्षकों की भर्ती की जाती है, तो शिक्षा को प्रभावित करने वाले कक्षाओं की कमी है। देश का कोई राज्‍य ऐसा नहीं है, जिसे इन समस्‍याओं का सामना नहीं करना पड़ रहा हो। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और डॉक्टरों की कमी भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। गुजरात विधानसभा चुनाव में ये मुद्दा भी उठ सकता है।

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