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यूएस फेड ने ब्याज दरों में की बढ़ोतरी,भारत होगा बड़ा असर


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नई दिल्ली – यूएस फेड ने लगातर चौथी बार ब्याज दरों में 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर दी है। यह इस साल की यह छठी बढ़ोतरी है। लगातार बढ़ती महंगाई को कम करने के लिए दरें बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इस संदर्भ में यूएस फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने कहा है कि दरें बढ़ने पर ब्रेक कब लगेगा, यह कहना जल्दबाजी है। हालांकि दरें बढ़ने की रफ्तार जल्द ही धीमी हो सकती है।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में वृद्धि की. एक झटके में 0.75 फीसद ब्याज की बढ़ोतरी की गई,बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए फेडरल बैंक ने यह कदम उठाया। केंद्रीय बैंक का कहना है कि आने वाले समय में इन दरों में कमी की जाएगी और महंगाई भी घटेगी। इसी के साथ कम अवधि वाले कर्ज का रेट 3.75 फीसद से बढ़कर 4 फीसद हो गया है जो कि पिछले 15 साल का सबसे ऊंचा स्तर है।

फेड रिजर्व के पॉलिसी बनाने वालों का मानना है कि ब्याज दरें बढ़ने से कर्ज महंगा हुआ है जिसके चलते लोग कम कर्ज ले रहे हैं,इससे लोगों का खर्च कम हुआ है जिससे महंगाई कम हो रही है। महंगाई कम होने पर फेड को उस रफ्तार से ब्याज दरें नहीं बढ़ानी होगी, जैसे वह पहले बढ़ा चुका है. महंगाई अगर नियंत्रण में आ जाए तो ब्याज दरों में कटौती भी संभव है। हालांकि इतनी जल्दी यह कटौती होती नजर नहीं आती।

फेड रिजर्व की दरों में वृद्धि का असर पूरी दुनिया पर देखा जाता है,अमेरिकी कर्ज महंगा होगा तो उस पर आश्रित रहने वाले देशों के कर्ज या खर्च भी महंगे होंगे। वहां से मंगाए जाने वाले सामान के रेट भी बढ़ जाएंगे। अमेरिका में रहने वाले भारतीय लोगों की कमाई घटेगी और वे जिस तेजी से जितनी रकम भारत में भेजते हैं, उसमें कमी आएगी. अमेरिका में बढ़ा खर्च भारत आने वाले रेमिटेंस पर दिखेगा।

यह चौथी बार है, जब यूएस फेड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी इस साल रेपो रेट में चार बार ही बढ़ोतरी की है। फिलहाल देश में रेपो रेट 5.90 फीसदी पर है। इस साल अब तक इसमें 1.9 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।

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