वैज्ञानिकों को पहले ही पता लग जायेगा तारे की ‘मौत’ का
नई दिल्ली – हमारा सूर्य भी एक तारा है, जिसके चारों ओर हमारे सौरमंडल के ग्रह परिक्रमा करते हैं। तारों पर वैज्ञानिकों की विशेष नजर रहती है। रिसर्चर्स इन्हें और बारीकी से समझने में जुटे हैं। जब किसी तारे में विस्फोट होता है, यानी वह खत्म हो रहा होता है, तो बहुत अधिक चमकदार हो जाता है। इसे सुपरनोवा कहते हैं। यह अंतरिक्ष में होने वाला सबसे बड़ा विस्फोट है। इसे और करीब से समझने के लिए वैज्ञानिकों ने ऐसा क्लू ढूंढा है, जो यह बता देगा कि किसी तारे में विस्फोट होने वाला है यानी सुपरनोवा बनने वाला है। कहा जा रहा है कि इस खोज की बदौलत वैज्ञानिकों को ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ (early warning system) डेवलप करने में मदद मिल सकती है, जो उन्हें रियल टाइम में सुपरनोवा को देखने का मौका देगी।
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिस में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन ने उन सितारों के डेटा का अनुकरण किया, जो एक साल बाद सुपरनोवा बन गए। वैज्ञानिकों ने पाया कि विस्फोट से पहले तारे के चारों ओर परिस्थितिजन्य धूल का एक कोकून बना था। सुपरनोवा पर हाल के अध्ययनों से पता चला है कि जिस तारे में विस्फोट हुआ वह एक मोटे कोकून के अंदर था। शायद विनाश से पहले तारे से कोकून निकल आया था।
प्रमुख लेखक बेंजामिन डेविस ने कहा कि अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के साथ हम सुपरनोवा को रियल टाइम में देखने के लिए तैयार हो सकते हैं। हम हमारे बेस्ट टेलीस्कोप को तारे पर फोकस कर देंगे, जिससे उससे होने वाला विस्फोट रियल टाइम में हमें दिखाई देगा।
सूर्य के द्रव्यमान के आठ से 20 गुना के बीच का तारा अपने अंतिम कुछ महीनों में नाटकीय परिवर्तन से गुजरता है। बेंजामिन डेविस ने कहा कि हमें नहीं पता कि सितारे ऐसा क्यों करते हैं। ऐसे तारों के विनाश से कुछ महीने पहले उनमें प्रकाश लगभग 100 गुना कम हो जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा क्यों होता है, यह तब तक पता नहीं चलेगा जब तक सुपरनोवा होते हुए नहीं देखा जाएगा।
वास्तविक समय में एक सुपरनोवा को पकड़ने के लिए, वैज्ञानिकों को एक दूरबीन की आवश्यकता होगी जो उन्हें बता सके कि किस तारे का प्रकाश लगभग 100 गुना कम हो गया है। साल 2023 में लॉन्च होने वाली वेरा रुबिन ऑब्जर्वेटरी (वीआरओ) के जरिए यह संभव हो सकता है। इसका 3.2 गीगापिक्सेल कैमरा हर तीन रात में आसमान में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों का पता लगाएगा। यदि वैज्ञानिक का सिद्धांत सही है तो यह मान लेना चाहिए कि बहुत जल्द हम वास्तविक समय में एक मरते हुए सितारे को देख पाएंगे।
सोर्स : NDTV