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ISS से अलग होगा रूस,क्यों लिया ऐसा फैसला


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नई दिल्ली – रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) ने दो साल बाद यानी 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अलग होने (Russia To Quit International Space Station) का फैसला लिया है. समाचार एजेंसी एएफपी ने रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख के हवाले से कहा, “बेशक, हम अपने भागीदारों के साथ अपने सभी दायित्वों को पूरा करेंगे, लेकिन 2024 के बाद इस स्टेशन को छोड़ने का फैसला किया गया है.” उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के हवाले से ये बात कही.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 1998 में लॉन्च किया गया था. फुटबॉल के मैदान के आकार की यह स्पेस लैब धरती से करीब 420 किमी की दूरी पर स्थित है. ये पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है. इसमें 19 अलग-अलग देशों के 200 से अधिक अंतरिक्ष यात्री रिसर्च और मिशन के उद्देश्य से सवार हो चुके हैं. यह स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में लगातार मानव उपस्थिति को बनाए रखता है.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर ऑर्बिट में एक बड़ा स्पेसक्राफ्ट है. यह एक घर जैसा होता है जहां अंतरिक्ष यात्री और कॉस्मोनॉट्स रहते हैं. ये स्पेस स्टेशन उन हिस्सों से बना है जिन्हें एस्ट्रोनॉट ने कभी स्पेस में इकट्ठा किया था.यह लगभग 250 मील की औसत ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों तरफ घूमता रहता है. यह 17,500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है. यानी यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है. अंतरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में और भी ज्यादा जानने के लिए नासा इस स्पेस स्टेशन का उपयोग कर रहा है.

अगर इसके स्पेस की बात करें, तो ये स्टेशन पांच बेडरूम के घर जितने बड़ा है. यहां छह लोग आराम से रह सकते हैं. नासा के अनुसार, पृथ्वी पर, स्पेस स्टेशन का वजन लगभग एक मिलियन पाउंड होगा. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अब तक करीब 19 देशों के लगभग 270 एस्ट्रोनॉट आकर समय गुजार चुके हैं. इनमें अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, ब्राजील, डेनमार्क, कजाकिस्तना, मलेशिया, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, यूएई और यूके के यात्री शामिल हैं.

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