International Labour Day 2024: आखिर क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, इस साल अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की थीम
नई दिल्ली – अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस 2024 की आधिकारिक थीम की घोषणा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा अभी तक नहीं की गई है।विषय चाहे जो भी हो, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस श्रमिकों की उपलब्धियों को पहचानने, उनके अधिकारों की वकालत करने और सभी के लिए काम के अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 01 मई को मनाया जाता है। इस दिन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे- कामगार दिवस, श्रम दिवस, श्रमिक दिवस और मई दिवस। इस दिन को एक बेहद खास मकसद के साथ मनाया जाता है और वह है श्रमिकों के योगदान की सराहना करना और लोगों को उनकी परिस्थिति और समस्याओं के बारे में जागरूक करना। इस दिन के जरिए लोगों को श्रमिकों के प्रति संवेदनशील बनाने और देश निर्माण में उनकी अहम भूमिका के बारे में सजग करने की कोशिश की जाती है। आइए जानते हैं, इस साल अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की थीम क्या है और आखिर क्यों इसे हर साल 01 मई को ही मनाया जाता है।
समाज और देश के विकास
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हमें समाज और देश के विकास में श्रमिकों और श्रमिक वर्ग के योगदान को पहचानने में मदद करता है. यह मजदूरों से अपने अधिकारों के बारे में जानने का भी आग्रह करता है।श्रमिकों का अक्सर शोषण किया जाता है, और यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए अपने अधिकारों को जानें। यह लोगों से श्रमिकों की कामकाजी और रहने की स्थिति को विकसित करने के लिए एक साथ आने का भी आग्रह करता है।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास
अभी से लगभग 135 साल पहले अमेरिका में श्रमिकों की हालत बेहद खराब थी। उन्हें एक दिन में लगभग 15 घंटे काम करना पड़ता था। साथ ही, काम की जगह पर सफाई भी नहीं होती थी और न वे जगहें हवादार होती थीं। इन्हीं बदतर परिस्थितियों से परेशान होकर मजदूरों ने हड़ताल करने का फैलसा किया और 01 मई 1886 को कई श्रमिक अमेरिका की सड़कों पर उतर गए। उनकी मांग थी कि काम के घंटों को 15 घंटे से घटाकर 8 घंटे किया जाए और काम की जगह में भी सुधार किए जाएं। हालांकि, पुलिस को जब लगा कि स्थिति काबू से बाहर जा रही है, तो उन्होंने गोलियां चला दी, जिसमें 100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए थे और कई श्रमिकों की जान भी चली गई थी। इसी दिन को याद करते हुए 1889 को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में 01 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया गया। साथ ही, इस दिन को अवकाश की तरह मनाए जाने और श्रमिकों से 8 घंटे से ज्यादा काम न करनवाले के फैसले को भी पारित किया गया।