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भारतराजनीति

संदेशखाली मामले में CBI करती रहेगी की जांच,ममता सरकार ने किया विरोध


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नई दिल्लीः संदेशखाली मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सीबीआई ही मामले की जांच करती रहेगी. हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? अब गर्मियों की छुट्टियों के बाद अदालत में इस मामले की सुनवाई होगी.

संदेशखाली मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की

सुप्रीम कोर्ट ने आज कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध और संदेशखाली में भूमि कब्जा करने के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का निर्देश दिया गया है. अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पारित एक आदेश में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को उस उद्देश्य के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाकर मामले में जांच शुरू करने का निर्देश दिया था.हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने जांच एजेंसी से उसे एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा, जिसके बाद अदालत आगे की कार्रवाई पर फैसला करना था. इसने सीबीआई को एक अलग पोर्टल और ईमेल खोलने का निर्देश दिया, जिस पर संदेशखाली के पीड़ित भूमि हड़पने और जबरन वसूली से संबंधित अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें.अदालत ने केंद्रीय एजेंसी को शिकायतकर्ताओं की पहचान के संबंध में पूर्ण गोपनीयता बनाए रखने का भी आदेश दिया था. इससे पहले मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में ईडी और सीएपीएफ टीमों पर हमले की सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने महिलाओं के यौन शोषण मामले में FIR दर्ज की

कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने संदेशखली में जमीन हड़पने और महिलाओं के खिलाफ अपराध (यौन शोषण) से केस में पहली FIR दर्ज की है। इसमें 5 मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। हालांकि ये आरोपी कौन हैं, ये सामने नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि ये प्रभावशाली लोग हैं।

HC के आदेश के बाद ममता सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा सकती

हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा सकती है। दरअसल, राज्य से जुड़े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की इन्क्वायरी के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है।पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए CBI को दी गई ‘सामान्य सहमति’ वापस ले ली थी। उस समय चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।

कौन है मुख्य आरोपी शाहजहां शेख

आरोपी शाहजहां शेख संदेशखाली में कहां से आया, ये कोई नहीं जानता। 2000-2001 में वो मत्स्य केंद्र में मजदूर था। वह भी सब्जी भी बेचता था। फिर ईंट-भट‌्ठे पर काम करने लगा। यहीं उसने मजदूरों की यूनियन बनाई। फिर सीपीएम से जुड़ा।सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में वामदलों की जमीन खिसकी तो 2012 में शाहजहां तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव मुकुल रॉय और उत्तर 24 परगना जिले के ताकतवर नेता ज्योतिप्रिय मलिक के सहारे पार्टी से जुड़ गया। संदेशखाली के लोगों के मुताबिक, शाहजहां के पास सैकड़ों मछली पालन केंद्र, ईंट भट्‌ठे, सैकड़ों एकड़ जमीन हैं। वो 2 से 4 हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक है।

याचिका में क्या कहा गया है?

याचिका में कहा गया है, “उच्च न्यायालय ने एक बहुत ही सामान्य आदेश में राज्य को बिना किसी दिशानिर्देश के केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आवश्यक सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है, भले ही वह जनहित याचिका में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित न हो। यह संदेशखालि क्षेत्र में किसी भी संज्ञेय अपराध की जांच करने के लिए राज्य पुलिस की शक्तियों को हड़पने के समान है।” संदेशखालि में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है और एजेंसी ने पांच जनवरी की घटनाओं से संबंधित तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं।

अगली सुनवाई के लिए दो मई को सूचीबद्ध किये जाने का निर्देश

जांच की निगरानी अदालत द्वारा किए जाने का उल्लेख करते हुए, उच्च न्यायालय ने राजस्व दस्तावेज और कथित भूमि के भौतिक निरीक्षण का गहन निरीक्षण करने के बाद मछली पालन के लिए कृषि भूमि के जल निकायों में कथित अवैध रूपांतरण पर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और भूमि पर कब्जा करने के आरोपों की जांच करने और सुनवाई की अगली तारीख पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय की पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए दो मई को सूचीबद्ध किये जाने का निर्देश दिया तथा उस दिन तक सीबीआई को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था।

ममता सरकार को जोरदार झटका

मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने की. दरअसल कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार को जोरदार झटका देते हुए संदेशखाली केस की सीबीआई जांच करने का फैसला सुनाया था. कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली कांड की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे और कहा था जांच की निगरानी खुद कलकत्ता हाईकोर्ट करेगी.मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने कुछ समय की मांग की, अब संदेशकाली मामले की सुनवाई जुलाई में सुनवाई होगी.हालांकि कोर्ट ने टिप्पणी की कि एक निजी आदमी (शाहजहां शेख) के लिए, जिसके ख़िलाफ़ सीबीआई जांच कर रही है, राज्य सरकार कोर्ट में क्यों आई है.

अमित मालवीय ने पोस्ट करके ममता सरकार को घेरा

भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के राष्ट्रीय संयोजक अमित मालवीय ने इस मामले में ममता सरकार को X पर पोस्ट करके घेरा है. अमित मालवीय ने X पर अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की निगरानी में चल रही सीबीआई जांच में किसी भी कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसने आगे स्पष्ट किया है कि मामला SC में लंबित होने के कारण पश्चिम बंगाल सरकार कोई लाभ नहीं ले सकती है. ममता बनर्जी के लिए बड़ा नुकसान! सीबीआई जांच जारी रखेगी…’संदेशखाली मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सोमवार (29 अप्रैल, 2024) को जुलाई के दूसरे सप्ताह के लिए टल गई. राज्य सरकार ने 1 सप्ताह तक टालने का अनुरोध किया था .

शेख शाहजहां और उसके साथियों ने यौन उत्पीड़न किया

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यहां मामला लंबित होने को आधार बना कर राज्य की ममता बनर्जी सरकार हाईकोर्ट में कोई लाभ लेने की कोशिश नहीं करेगी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ हो रही जांच का राज्य सरकार विरोध कर रही है.कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली में महिलाओं के शोषण और लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों की जांच सीबीआई को 10 अप्रैल सौंप दी थी. राज्य सरकार इसका विरोध कर रही है. दरअसल, संदेशखाली की कई महिलाओं ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित नेता शेख शाहजहां और उसके साथियों ने यौन उत्पीड़न किया और जमीन हड़पी है.

शेख के समर्थकों ने ED की टीम पर हमला किया था

कोरोना के दौरान कथित तौर पर हुए हजारों करोड़ रुपए के राशन घोटाले में ED ने 5 जनवरी को बंगाल में 15 ठिकानों पर छापा मारा था। टीम नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में शेख शाहजहां और शंकर अध्य के घर भी रेड डालने गई थी। इस दौरान उन पर TMC समर्थकों ने जानलेवा हमला किया था। इसमें तीन अधिकारी घायल हो गए थे।आरोप लगाने वाली पीड़ित महिलाओं का कहना है कि शाहजहां शेख जिसे चाहे उसे अपनी हवस का शिकार बनाता था। ED की रेड के बाद वह फरार हो गया था। करीब 55 दिन बाद उसे 29 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।

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