दवा कैसे शरीर में दर्द वाली जगह ही जाती है -जाने
मुंबई – कोई दवा गोली के रूप में पेट में जाती है तो कई बार इंजेक्शन रूप में लेना होता है तो कभी दवा को सीधे ही प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है. लेकिन कई बार शरीर के किसी खास हिस्से (Specific Body Parts) में समस्या होने के लिए दवा ही खाई जाती है जो पेट में जाने के बाद उसी हिस्से में असर दिखाती लगती हैं. इसमें दर्द की दवाएं (Pain killers) प्रमुख होती हैं.
सिर दर्द या पीठ दर्द के लिए ली गई दवाएं सिर या पीठ में ही जाकर अपना असर दिखाती हैं. इसका स्पष्ट उत्तर नहीं में तो है, लेकिन दवाओं में खास तरह के रसायन डाल कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे शरीर के किसी विशेष हिस्सों ज्यादा असर दिखा सकें और बाकी में कम.
जब भी हम को दवा निगलते हैं तो वह सबसे पहले पेट और आंतों में जाकर घुलती है. इसके बाद दवा के अणु खून के प्रवाह में मिल जाते हैं जिससे वे शरीर के हर अंग और ऊतकों में चले जाते हैं. दवा के अणु कोशिकाओं के उन बाध्यकारी रिसेप्टर्स को प्रभावित करते हैं जो किसी विशेष प्रतिक्रिया को शुरू करते हैं.
दवाओं को खास तरह के रिसेप्टर्स को ध्यान में रख कर ही डिजाइन किया जाता है जिससे वांछनीय नतीजे मिल सकें, उन्हें खून के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में जाने से रोकना संभव ही नहीं होता है. इसी वजह से गैर जरूरी जगहों पर जाने से हमें दवा के साइडइफेक्ट्स देखने को मिलते हैं. दवा का असर समय के साथ हलका हो जाता है और वह पेशाब के जरिए बाहर भी निकल जाती है इसीलिए कई दवाओं को खाने का बाद पेशाब में बदबू आती है तो कुछ दवाओं के लेने पर पेशाब का रंग ज्यादा पीला हो जाता है.
कुछ दवाएं ऐसी भी होती है जो पेट में घुलती ही नहीं है तो कुछ दवाएं बहुत ही धीमी गति से घुलती हैं. तो कुछ कम घुल पाती हैं जिससे उन्हें बार बार लेने की जरूरत होती है. तो वहां पेट की पाचन प्रक्रिया से गुजरने से बचाने के लिए कुछ दवाओं को सीधे खून में इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है. जैसे कैंसर की ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज में खास प्रोटीन होता है. अगर इस दवा को पेट के जरिए शरीर में पहुंचा जाए तो पेट अन्य प्रोटीन से उसे अलग नहीं देख पाता है.