जलवायु परिवर्तन से दरियाई शिकारी जीव ज्यादा भूखे हो रहे हैं
मुंबई – महासागरों के जीवों की संवेदनशीलता के कारण महासागरों का पानी गर्म होने का प्रभाव बहुत परिवर्तनकारी साबित हो रहा है. पिछले कुछ अध्ययनों ने पता लगाया था कि महासागरों के गर्म होने से शिकारी मछलियों (Fish Predators) के शिकार मर रहे हैं जिससे वे प्राकृतिक खुराक से वंचित हो रही हैं जिससे वे ध्रुवीय पानी की ओर विस्थापित होने को मजबूर हो रहे हैं. अब नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है महासागरों के शिकारी अब ज्यादा भूखे हो गए हैं.
दशकों से इस बात के ज्यादा प्रमाण मिल रहे हैं जो सुझाते हैं कि मानवीय गतिविधियों के कारण गंभीर होते जलवायु संकट के कारण दुनिया का बचे हुए ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं . फिर भी दुनिया भर का ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि इतने बड़े पैमाने पर महासागरों के शिकारी मछलियों पर असर हाल के सालों के प्रभावों का ही नतीजा है.
पारिस्थितिकविदों की लंबे समय तक मानी जा रही ‘प्रजाति समृद्धि’ की अवधारणा पर ही जोर दिया है जिसके मुताबिक भूमध्य रेखा के पास शिकारी जीव ज्यादा होते हैं. उन्होंने पाया कि कटिबंधों में शिकार और प्रतिस्पर्धा के कारण प्रजातियों में ज्यादा अंतरक्रिया होती है. अपने नतीजों पर पहुंचने से पहले शोधकर्ताओं ने यह जांच भी करके देखी कि क्या निचले सागर तल पर समुद्री जीवों के समुदाय अधिक हैं?
36 इलाकों पर अपने मानक प्रयोग किए जिसमें प्रशांत और अटलांटिक महासगरों दोनों के ही उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के तटीय क्षत्र शामिल थे. उन्हें चौकाने वाले नतीजों से पता चला कि भूमध्य रेखा के पास समुद्र के निचले तल के पास शिकारी जीवों की खुराक दर ज्यादा है. इसमें शिकारी जीवों का स्थान नहीं बल्कि महासागरों के तापमान ज्यादा मायने रखता है.