x
ट्रेंडिंग

प्रेग्नेंसी पर बना ये ऐड अचानक करने लगा ट्रेंड, एक बार जरूर देखें लड़कियां


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

मुंबई – प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन में काफी अहम भूमिका निभाती है. इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की सावधानियां बरतने के लिए कहा जाता है. प्रेग्नेंसी एक ऐसा समय होता है जब महिलाओं के शरीर में कई चीजों की कमी होने लगती हैं जिसमें से एक है आयरन की कमी. यूं तो महिलाओं के लिए आयरन काफी जरूरी होता ही है लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को इसकी काफी ज्यादा जरूरत होती है. भारत में गर्भावस्था के दौरान बहुत सी महिलाओं को आयरन की कमी का सामना करना पड़ता है. जिस कारण महिला और उसके होने वाले बच्चे के शरीर पर इसका काफी बुरा असर देखने को मिलता है.

‘प्रोजेक्ट स्त्रीधन’ ने हाल ही में इसी को लेकर भारतीय महिलाओं में जागरुकता लाने के लिए एक विज्ञापन बनाया है. इसमें गर्भावस्था के दौरान भारत में होने वाली गोद भराई की रस्म को दिखाया गया है. विज्ञापन में गोद भराई के दौरान महिलाओं को सोने-चांदी या हीरे के आभूषण देने की बजाय उनके शरीर में होने वाली आयरन की कमी को पूरा करने के लिए लोहे के आभूषण देने पर जोर दिया जा रहा है.

इस विज्ञापन के जरिए गर्भवती महिलाओं के शरीर में होने वाली खून की कमी के बारे में बताया गया है जो एनीमिया का मुख्य कारण है. किसी गर्भवती महिला को एनीमिया होने पर उसके बच्चे पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. विज्ञापन में महिलाओं को ऐसी चीजें खाते हुए दिखाया गया है जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करती हैं जैसे अनार, चेरी, मक्का और रेड बेरीज.

इससे पहले भी महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को उजागर करते हुए कई तरह के विज्ञापन बनाए जा चुके है. साल 2019 में धनतेरस के मौके पर महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर एक विज्ञापन सामने आया था. इसमें महिलाओं को धनतेरस पर सोने पर रुपया खर्च करने की बजाए आयरन पर निवेश करने की सलाह दी गई थी. इसमें सोने की बजाय लोहा लेने पर जोर दिया गया था.

इस विज्ञापन के जरिए गोद भराई की रस्म में सोने और चांदी पर निवेश करने की बजाय गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए सही फूड और सप्लीमेंट्स पर निवेश करने के लिए कहा गया है.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ समय में भारत के बहुत से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बच्चों और महिलाओं में एनीमिया के मामले काफी ज्यादा बढ़े हैं. साल 2019 में हुए एक सर्वे में 68.4 फीसदी बच्चे और 66.4 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं. वहीं, साल 2016 में 35.7 फीसदी बच्चे और 46.1 फीसदी महिलाओं को एनीमिया था.

साल 2016 में हुए ग्लोबल न्यूट्रीशन सर्वे के मुताबिक, महिलाओं में एनीमिया के मामले में भारत का स्थान 180 देशों में से 170वां है. वहीं WHO के मुताबिक, 15 से 49 साल या 12 से 49 साल तक की महिलाओं के शरीर में हीमोग्लोबिन लेवल 12 ग्राम प्रति डेसीलिटर से कम होना और 5 साल से कम बच्चों में हीमोग्लोबिन लेवल 11.0 ग्राम प्रति डेसीलिटर से कम होना एनीमिया की स्थिति मानी जाती है.

Back to top button