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पटियाला में क्यों निकल आई थीं तलवारें? कैसे आया खालिस्तान का जिक्र; जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम


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पंजाब: पंजाब के पटियाला में शुक्रवार की रोज सड़क पर जो मंजर दिखा वो प्रदेश की आवाम और सरकार दोनों के लिए किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं। हाल ही में पहली बार चुनाव जीतकर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में सरकार बनाई है। अलगवावादी ताकतों के मुद्दे को लेकर हुई हिंसक घटना निसंदेह सरकार के लिए बड़ी परेशानी है। 28 अप्रैल की दोपहर पटियाला में काली मंदिर के पास दो गुट आमने-सामने आ गए थे। कारण था- ‘खालिस्तान’। ये वही मुद्दा है जो पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले तमाम पार्टियों ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ बुलंद किया था। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरवाल पर अलगाववादी ताकतों से मिलने का आरोप लगा था। उस रोज खालिस्तान का मुद्दा कहां से आया और क्यों सिख समुदाय और हिन्दू संगठन के बीच तलवारें निकल आईं थीं।

पंजाब के पटियाला में शुक्रवार की रोज घटी यह घटना प्रदेश की नई ‘आप’ सरकार के तहत राज्य की कानून-व्यवस्था को पहली बार हिलाने वाली घटना थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मामले में तुरंत एक्शन लिया और अधिकारियों के साथ बैठक करके “तत्काल जांच” के निर्देश दिए। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दोषियों को बख्शा न जाए। वहीं, प्रदेश में विपक्षी दलों कांग्रेस और शिअद ने राज्य सरकार की आलोचना की और इस घटना को “अराजकता” बताया।

पटियाला में शुक्रवार को जो कुछ हुआ उसके बाद सरकार के निर्देश पर शुक्रवार शाम 7 बजे से 11 घंटे का कर्फ्यू लगाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने खालिस्तान विरोधी नारे लगाने शुरू किए तो पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हवा में फायरिंग करनी पड़ी। इस दौरान सिख कार्यकर्ता और निहंग काली माता मंदिर के बाहर तलवारें लहराते हुए भी नजर आए। इस घटना में दोनों पक्षों ने पथराव भी हुआ, जिसमें दो पुलिसकर्मियों सहित कम से कम चार लोग घायल हुए।

दरअसल, पंजाब में शिवसेना के नेता हरीश सिंगला के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा खालिस्तान स्थापना दिवस मनाने का आह्वान किया गया था। जिसके विरोध में सिंगला ने खालिस्तान विरोधी मार्च का आह्लान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यही हिंसा की मुख्य वजह सामने आई है।

पटियाला के एसएसपी नानक सिंह का कहना है कि सिंगला को मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी गई थी। सिख संगठन शिअद (अमृतसर) के कार्यकर्ताओं को सिंगला के आह्वान के खिलाफ गुरुवार को बैठक करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें कहा गया कि मार्च की अनुमति नहीं दी जाएगी, उसके बावजूद सिंगला के नेतृत्व में मार्च निकाला गया। मार्च के दौरान घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए थे। जिसमें लोगों का एक वर्ग हवा में तलवारें लहराते और नारे लगाते दिखा। स्थिति बढ़ने पर कुछ लोगों ने पुलिस कर्मियों से भी बहस की। वीडियो में एक व्यक्ति एक मंदिर के पास एक इमारत के ऊपर खड़ा था और नीचे लोगों पर पत्थर फेंक रहा था।

हिंसा की घटना के तुरंत बाद ही मुंबई में शिवसेना नेतृत्व ने अपनी पंजाब इकाई को पार्टी से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ “कड़ी कार्रवाई” करने का निर्देश दिया, जो झड़प में शामिल थे। पंजाब इकाई के माध्यम से जारी एक बयान में शिवसेना ने कहा कि उसने एक स्थानीय नेता हरीश सिंगला को निष्कासित कर दिया है, जिन्होंने कथित तौर पर “खालिस्तान मुर्दाबाद” मार्च का नेतृत्व किया था। दूसरी ओर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि झड़प में शामिल समूह “शिवसेना इकाई नहीं” था। कहा कि कुछ लोग शिवसेना से होने का दावा करते हैं। उनका शिवसेना से कोई संबंध नहीं है। हम पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।

पटियाला हिंसा के मामले में पुलिस अब तक 6 मुकदमे दर्ज कर चुकी है। पुलिस के मुताबिक, हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता बरजिदर सिंह परवाना है। अब तक तीन आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, वहीं 22 आरोपियों को पकड़ना अभी बाकी है। 25 लोगों को हिंसा के मामले में आरोपी बनाया गया है। हिंसा के लिए नामजद कई लोग सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पटियाला की घटना को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘मैंने डीजीपी से बात की, इलाके में शांति बहाल कर दी गई है। हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं और किसी को भी राज्य में अशांति पैदा नहीं करने देंगे।” मान ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार “पंजाब विरोधी ताकतों को किसी भी कीमत पर पंजाब की शांति भंग करने की अनुमति नहीं देगी”। इस बीच, आप ने कथित तौर पर झड़प की तस्वीरें पोस्ट कीं और तस्वीरों में दिखाए गए दो लोगों पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े भाजपा नेता होने का आरोप लगाया।

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