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जानिये भारत के विध्वंसक पिनाका रॉकेट लॉन्चर के बारे में कुछ खासियतें


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नई दिल्ली – भारत लगातार कहता रहा है कि सीमावर्ती इलाकों में शांति दोनों देशों के संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताकर अपना दावा करता है जिसे भारत दृढ़ता से खारिज करता है।

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को हल करने के लिए दोनों पक्षों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है। लेकिन अब तक इसका कोई हल नहीं निकला है। जिसके बाद अब हालही में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन के साथ जारी सीमा विवाद को देखते हुए भारत ने बॉर्डर पर पिनाका रॉकेट लॉन्चर तैनात कर दिए है। इस रॉकेट लॉन्चर के बारे में ख़ास बातें जानते है।

इस लॉन्चर का नाम भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर रखा गया है। मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर पिनाका को पूरी तरह से भारत में भारत द्वारा बनाया गया है। और भारतीय सेना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। इस प्रणाली में मार्क-1 के लिए 40 किलोमीटर और मार्क-2 के लिए 65 किलोमीटर की अधिकतम सीमा है। और 44 सेकंड में 12 उच्च विस्फोटक रॉकेट के उपलक्ष्य फायर कर सकता है। प्रणाली गतिशीलता के लिए यह टाट्रा ट्रक पर आरोहित है। पिनाका कारगिल युद्ध के दौरान सेवा में रही थी। जहां यह पर्वत चोटियों पर दुश्मन पदों को निष्क्रिय करने में सफल रही थी। इसके बाद इसे बड़ी संख्या में भारतीय सेना में शामिल कर दिया गया है। 2014 तक, हर वर्ष लगभग 5000 मिसाइल का उत्पादन किया जा रहा है।

भारतीय सेना रूसी BM-21 ‘ग्रैड’ लांचरों का संचालन करती थी। 1981 में एक लंबी दूरी की तोपखाने प्रणाली के लिए भारतीय सेना की आवश्यकता के जवाब में, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने दो आत्मविश्वास निर्माण परियोजनाओं को मंजूरी दी। जुलाई 1983 में, सेना ने प्रणाली के लिए अपने जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव की आवश्यकता (GSQR) तैयार की। और साथ ही 1995 से प्रति वर्ष एक रेजिमेंट बनाने की योजना बनाई। यह प्रणाली अंततः रूसी BM-21 ग्रेड की जगह लेगी। पिनाक का विकास दिसंबर 1986 में शुरू हुआ, जिसमें 26.47 करोड़ रुपये का स्वीकृत बजट था। विकास दिसंबर 1992 में पूरा किया जाना था। आर्ममेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट, पुणे स्थित DRDO प्रयोगशाला, ने इस प्रणाली का विकास किया।

214 कैलिबर के इस लॉन्चर से एक साथ 12 पिनाका रॉकेट दागे जा सकते है। एक लॉन्चर बैटरी के जरिए 44 सेकेंड में 72 पिनाका रॉकेट दागे जा सकते हैं। पिनाका रॉकेट की स्पीड करीब 5757 किलोमीटर प्रतिघंटा है। माने सेकेंड्स में यह दुश्मनों को राख में तब्दील करने में सक्षम है। 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में पिनाक लॉन्चर्स का इस्तेमाल किया गया था। उस दौरान इसे ऊंचाई वाले इलाको में भेजा गया था जहां इस रॉकेट ने पाकिस्तान द्वारा बनाए बंकरों को ध्वस्त कर दिया था।

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