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कतर में 8 भारतीय नौसेना कर्मियों की सजा घटी,मौत की सजा को कारावास में बदला


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नई दिल्लीः कतर की एक अदालत ने कतर में कथित जासूसी के आरोप में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व कर्मियों की फांसी पर रोक लगा दी है। कतर की अदालत ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया. विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है.सुनवाई के दौरान भारतीय राजदूत अदालत में मौजूद थे. सभी 8 जवानों के परिवार के सदस्य भी उनके साथ थे. भारत ने इसके लिए एक विशेष परिषद नियुक्त की। हालांकि, इस फैसले के बारे में अभी विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है.

विदेश मंत्रालय ने कहा- फैसले के ब्योरे का इंतजार

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस संबंध में एक लिखित बयान जारी किया गया है. जिसमें मौत की सजा को कारावास में बदलने की जानकारी दी गई है. बयान के मुताबिक, कतर कोर्ट ने ‘दहरा ग्लोबल केस’ में 8 भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिकों की सजा कम कर दी है। फैसले के विवरण की प्रतीक्षा है.कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी आज अदालत में उपस्थित थे। इसके अलावा नौसेना के सभी जवानों के परिवार भी वहां मौजूद थे. हम शुरू से ही अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए खड़े हैं और राजनयिक पहुंच सहित सभी सहायता प्रदान करना जारी रखेंगे। इसके अलावा हम कतर प्रशासन से भी इस मुद्दे पर बातचीत करते रहेंगे.’

3 दिसंबर को भारतीय राजदूत ने किया था दौरा

इससे पहले 3 दिसंबर को कतर में मौजूद भारतीय राजदूत निपुल ने नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों से मुलाकात की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह जानकारी दी. बागची ने कहा- हमने पूर्व सैनिकों की मौत की सजा के खिलाफ अपील की। इसके बाद दो सुनवाई हो चुकी हैं. हम मामले पर नजर रखे हुए हैं. उन्हें सभी कानूनी सहायता उपलब्ध करायी जा रही है.इससे पहले 23 नवंबर को कतर की अदालत ने नाविकों की मौत की सजा के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली थी. भारत सरकार ने करीब एक महीने पहले पूर्व सैनिकों की सजा के खिलाफ अपील की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 9 नवंबर को अपील की जानकारी दी.

कौन हैं वो 8 भारतीय?

कतर में जिन 8 पूर्व नौसेना अफसरों को मौत की सजा सुनाई गयी थी उनके नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश.

30 अगस्त 2022 को किया गया था गिरफ्तार

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था. हालांकि, भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था. 30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई थी. पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद दी गयी थी. दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस दिसंबर में दिया गया था.

कई बार खारिज हुई जमानत याचिकाएं

आठ लोगों की जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी हैं. भारत सरकार ने कतर की अदालत के फैसले पर हैरानी जाहिर की थी. सरकार ने कहा था कि उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते खोजे जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि हम जजमेंट की डिटेलिंग का इंतजार कर रहे हैं.

कतरी कोर्ट के फैसले पर क्या बोला भारत

भारत ने कहा कि हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं। विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है. हम अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ निकट संपर्क में हैं। कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ आज अपील अदालत में उपस्थित थे। हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतरी अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे। इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

विदेश मंत्री ने कर्मियों के परिवार वालों से की थी मुलाकात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इन लोगों के परिवारों से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था कि वह उनका दर्द और चिंता समझ सकते हैं. जयशंकर ने कहा था कि सरकार आठों लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी कोशिशें कर रही हैं.

आइए अब जानते हैं उन 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों के बारे में जिन्हें कतर में मौत की सजा सुनाई गई थी

  1. कैप्टन नवतेज सिंह गिल: हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कैप्टन नवतेज सिंह गिल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। उनके पिता एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी हैं। वह देश के प्रसिद्ध डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंग्टन, तमिलनाडु में प्रशिक्षक रहे हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ कैडेट होने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
  2. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी: नौसेना के शीर्ष अधिकारी रहे हैं। वे नेविगेशन में माहिर हैं. युद्धपोत आईएनएस ‘क्रोकोडाइल’ की कमान संभाली। डहरा कंपनी के प्रबंध निदेशक सेवानिवृत्त कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में उनकी सेवाओं के लिए वर्ष 2019 में ट्रैवलर भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला। वह यह पुरस्कार पाने वाले सशस्त्र बलों के एकमात्र व्यक्ति हैं।
  3. कमांडर सुगुनाकर पकाला: टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, 54 साल के सुगुनाकर पकाला विशाखापत्तनम के रहने वाले हैं। नौसेना अधिकारी के रूप में उनका कार्यकाल शानदार रहा है। वह 18 साल की उम्र में नौसेना में शामिल हुए। वह नवंबर 2013 में भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद वह कतर की कंपनी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी से जुड़ गए।
  4. कमांडर संजीव गुप्ता को गनरी स्पेशलिस्ट के रूप में जाना जाता है. कमांडर एक ऐसा पद है जो एक इकाई के संचालन का प्रमुख होता है।
  5. कमांडर अमित नागपाल नौसेना में संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली के विशेषज्ञ हैं।
  6. कैप्टन सौरभ वशिष्ठ एक तेज तर्रार तकनीकी अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने कई कठिन ऑपरेशन्स को अंजाम दिया है.
  7. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा अपने नौवहन कौशल के लिए जाने जाते हैं।
  8. नाविक रागेश नौसेना में अनुचर और सहायक के रूप में काम करता था।

पीएम मोदी ने दुबई में की थी कतर के शासक से मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी से दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने काफी देर तक बातचीत भी की थी। मुलाकात के एक दिन बाद दो दिसंबर को पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया था, “कल दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमदद अल थानी से मिलने का अवसर मिला। द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर हमारी अच्छी बातचीत हुई।” कतर की ओर से इस मुलाकात को लेकर कोई खास जानकारी नहीं दी गई।

कतर में भारतीय नौसैनिकों की सजा का मामला

कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में आठ सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई। ये लोग अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के कर्मचारी थे, जो एक निजी कंपनी थी जो कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती थी। उन्हें पिछले साल अगस्त से अज्ञात आरोपों के चलते गिरफ्तार किया गया था। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उन पर जासूसी की आरोप लगाए गए हैं, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

पहले ही कतर ने दिया था नरमी का संकेत

कतर ने पीएम मोदी और शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मुलाकात के तुरंत बाद भारत को पूर्व नौसैनिकों से मिलने के लिए दूसरी बार कांसुलर एक्सेस दी थी। तभी संभावना जताई गई थी कि कतर इस मामले को लेकर अब नरम रुख दिखा रहा है। मुलाकात के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, “…हमारे राजदूत को तीन दिसंबर को जेल में बंद सभी आठों से मिलने के लिए राजनयिक पहुंच मिली। अब तक दो सुनवाई हो चुकी हैं (ये 23 नवंबर और 30 नवंबर को हुईं)। हम मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता दे रहे हैं। यह एक संवेदनशील मामला है, लेकिन हम इसका पालन करना जारी रखेंगे और जो कुछ भी हम साझा कर सकते हैं, हम करेंगे।”

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